Deepender Hooda बोले, किसानों को देशद्रोही बताने वालों को उपचुनाव में सबक सिखाएगी बरोदा जनता

चंडीगढ़
CWC सदस्य और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deepender Singh Hooda) ने किसानों को देशद्रोही करने वाले बीजेपी के बयान की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि देश की 130 करोड़ जनसंख्या एक सुर में जय जवान और जय किसान का नारा लगाती है। जवान और किसान दोनों एक ही परिवार से आते हैं। किसान देश के खेतों को अपने पसीने से सींचता है तो उसका बेटा सैनिक बनकर देश की सीमा की रक्षा के लिए अपना ख़ून बहाता है।
लेकिन देश को ख़ून-पसीने से सींचने वाले किसान वर्ग को बीजेपी ने देशद्रोही (terrorist) कहने का घोर पाप किया है। बीजेपी के इस बयान से पूरे हरियाणा के किसानों और बॉर्डर पर खड़े उनके बेटों में रोष है। बरोदा की जनता किसान को देशद्रोही करने वालों को उपचुनाव में सबक सिखाएगी। क्योंकि बरोदा किसानों और जवानों की धरती है।
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हमारी सरकार के दौरान ख़ुद बीजेपी नेता किसान बनकर अर्धनग्न प्रदर्शन करते थे, लेकिन उन्हें किसी ने देशद्रोही नहीं कहा। लेकिन आज वहीं लोग सत्ता में बैठकर, लोकतांत्रिक तरीक़े से विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों को देशद्रोही कह रहे हैं। इससे दुर्भाग्यपुर्ण कुछ भी नहीं हो सकता।
सांसद दीपेंद्र ने अपनी किसान विरोधी नीतियों की वजह से ही बीजेपी लगातार ऐसे फ़ैसले ले रही है जिससे किसानों को नुकसान हो। इसी दिशा में संसद को बाइपास करके करोना काल में 3 नए अध्यादेश लाए गए हैं। इन 3 अध्यादेशों के ज़रिए सरकार सरकार ख़रीद तंत्र को ध्वस्त कर पूंजीपतियों और जमाखोरी को बढ़ावा देना चाहती है। ये सरकार किसानों को MSP देने से पीछे हट रही है।
इसी वजह से पिछले 6 साल में हुड्डा सरकार के मुक़ाबले MSP में खट्टर सरकार ने ना के बराबर बढ़ोत्तरी की है। दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आंकड़ों के साथ बताया कि हुड्डा सरकार के दौरान धान के रेट में हर साल औसतरन 14-15 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करते हुए 800 रुपये बढ़ाए। इसके अलावा खाड़ी देशों में एक्सपोर्ट की वजह से हुड्डा सरकार के दौरान किसानों को MSP से कहीं ज़्यादा 4000 से 6000 रुपये तक धान का रेट मिला।
दूसरी तरफ खट्टर सरकार में MSP बढ़ोत्तरी दर भी घटकर सिर्फ 6 प्रतिशत सालाना रह गई। गेहूं के रेट में हुड्डा सरकार के दौरान कुल 127 प्रतिशत यानी हर साल औसतन 13 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई। लेकिन खट्टर सरकार में ये बढ़ोत्तरी घटकर सिर्फ 5 प्रतिशत रह गई। गन्ने के रेट को भी हुड्डा सरकार के दौरान करीब 3 गुणा बढ़ोत्तरी करते हुए 117 से 310 रुपये तक पहुंचाया गया। लेकिन खट्टर सरकार ने 6 साल में महज़ 20 से 30 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई। उसकी भी बरसों से पेमेंट रुकी हुई है।
किसानों के बाद राज्यसभा सांसद ने बेरोज़गारी के मुद्दे पर खट्टर सरकार को आईना दिखाया। उन्होंने नौकरियों के आंकड़ों को मीडिया के साथ सांझा करते हुए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि CMIE के आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा इस महीने भी पूरे देश में बेरोज़गारी में नंबर वन है। क्योंकि खट्टर सरकार युवाओं को नौकरी देने की बजाए उनका रोज़गार छीनने में लगी है।
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