दीपेंद्र हुड्डा का कुलदीप बिश्नोई पर निशाना : BJP को धोखेबाज पार्टी कहने वाले आज बीजेपी की ही गोद में जा बैठे

दीपेंद्र हुड्डा का कुलदीप बिश्नोई पर निशाना : BJP को धोखेबाज पार्टी कहने वाले आज बीजेपी की ही गोद में जा बैठे
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हुड्डा ने कहा,आदमपुर हलके की दुर्दशा के लिए कुलदीप बिश्नोई जिम्मेदार हैं क्योंकि लम्बे समय से आदमपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

आदमपुर उपचुनाव प्रदेश में बदलाव लाने की लड़ाई है तथा आदमपुर उपचुनाव में बदलाव की नींव रखी जाएगी। क्योंकि बीजेपी को धोखेबाज पार्टी कहने वाले कुलदीप आज बीजेपी की ही गोद में जा बैठे हैं। यह बात राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आदमपुर गांव में आयोजित सम्मान समारोह में कही।

उन्होंने कहा कि आदमपुर हलके की दुर्दशा के लिए कुलदीप बिश्नोई जिम्मेदार हैं क्योंकि लम्बे समय से आदमपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुूलदीप बिश्नोई व उनके परिवार को कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया था। कांग्रेस की बदौलत कुलदीप के पिता 12 साल प्रदेश के सीएम रहे। अब प्रदेश अध्यक्ष का बहाना बनाकर पार्टी छोड़कर उन्होंने कांग्रेस के साथ धोखा किया। हुड्डा ने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में बिना भेदभाव के हर क्षेत्र में विकास कार्य करवाए गए तथा आदमपुर में भी करोड़ों रुपये के विकास कार्य करवाए गए।

दीपेन्द्र ने कहा कि जनता 2018 में भी बदलाव चाहती थी इसलिए विधानसभा चुनाव में 75 पार का नारा देने वाली भाजपा को 40 पर ला खड़ा कर दिया लेकिन जेजेपी नेताओं ने प्रदेश की जनता से धोखा कर भाजपा से समझौता कर लिया। उन्होने कहा कि प्रदेश की जनता ने पिछले चुनाव में सरकार बदलने के लिए भाजपा के 14 में से 12 मंत्रियों को पटखनी लगाई ताकि सरकार बदली जा सके। इसके लिए प्रदेश की जनता अब जेजेपी को सबक सिखाएगी। दीपेंद्र ने कहा कि प्रदेश सरकार रोजगार देने की बजाए नौकरी पर लगे युवाओं को हटा रही है तथा बुर्जुगों को पेंशन बंद कर परेशान कर रही है। राजकीय स्कूलों को बंद किया जा रहा है। इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने वालों को सममानित कर पार्टी में पूरा मान सम्मान देने की बात कही। ज्याणी परिवार की तरफ से उपस्थित पार्टी नेताओं को पगड़ी पहनाकर तथा दीपेन्द्र हुडा को चांदी का रथ देकर सम्मानि किया। इस मौके पर पूर्व सांसद जयप्रकाश, पूर्व मंत्री सम्पत सिंह, राव दानसिंह, प्रह्लाद सिंह गिलाखेड़ा, कुलबीर बैनिवाल, रामभगत शर्मा, राजेन्द्र सूरा, कुरड़ाराम नम्बरदार, कर्ण सिंह रानोलिया, भूपेन्द्र कासनिया आदि ने विचार रखे।

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