विधायक बलराज कुंडू पर मानहानि का मामला खारिज

हरिभूमि न्यूज: रोहतक
महम के विधायक बलराज कुंडू और पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर के बीच चल रहे विवाद में कई नया मोड़ आ गया है। बुधवार को एडीएसजे रितू वाईके बहल की कोर्ट ने सीजेएम आशीष कुमार की कोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए विधायक को राहत दी है। अब ग्रोवर द्वारा कुंडू पर दर्ज करवाया गया मानहानि का केस नहीं चलेगा।
यहां कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद माना कि बलराज कुंडू ने पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर की मानहानि नहीं की है। इसलिए सीजेएम कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाती है। दूसरा नया मोड़ ये आने वाला है कि अब पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर की ओर से मानहानि के मामले में हाईकोर्ट में अपील दायर की जाएगी। ग्रोवर के वकील राकेश सपड़ा ने बताया कि इस फैसले की कॉपी अभी मिली नहीं है। फैसले का विस्तृत अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट में अपील दायर करेंगे। तीसरी बात ये कि बलराज कुंडू भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर अब कोर्ट में जाएंगे। कुंडू के अनुसार उनके पास सबूत हैं और अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
विधायक ने पूर्व सहकािरता मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे
तीन जनवरी को विधायक बलराज कुंडू ने प्रेसवार्ता कर मनीष ग्रोवर पर कई मामलों में भ्रष्टाचार करने के साथ-साथ कई आरोप लगाए थे। जिसके खिलाफ ग्रोवर ने विधायक को नोटिस भेजकर माफी मांगने के लिए कहा था। लेकिन विधायक द्वारा माफी नहीं मांगने पर ग्रोवर ने कोर्ट में केस दायर किया। उन्होंने कोर्ट में आपराधिक मानहानि का केस दायर करते हुए कहा कि उन्होंने राजनीतिक लाभ उठाने की मंशा, योजनाबद्ध तरीके से उनकी राजनीतिक छवि को खराब करने के लिए आधारहीन आरोप लगाए हैं। उनका एक लंबा राजनीतिक सफर रहा है। वह करीब 40 साल से एक ही राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं। आरक्षण आंदोलन 2016 में उनकी भूमिका पर सवाल उठाए। जबकि एजेंसी इस मामले की जांच कर चुकी है। लेकिन महम विधायक ने उनकी छवि खराब करने की कोशिश की। जिससे उनकी मानहानि हुई है। सीजेएम ने सुनवाई करते हुए आईपीसी 499 और 500 में शिकायत को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि बलराज कुंडू द्वारा पूर्व मंत्री पर बिना सबूत होते हुए आरोप लगाकर अपराधिक मानहानि का अपराध किया गया है। उनके खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए। कोर्ट ने मानहानि होने का मामला मानते हुए 30 मई को विधायक कुंडू को 4 अगस्त के लिए समन जारी किया था लेकिन इससे पहले विधायक के वकील पियूष गक्खड़ ने सीजेएम कोर्ट के नोटिस भेजने के निर्णय के खिलाफ एडीएसजे रितू वाईके बहल की कोर्ट में रिविजन डाली। जिस पर बुधवार को निर्णय लिया गया।
कुंडू के वकील ने ये तर्क दिया
बलराज कुंडू की तरफ से अधिवक्ता पियूष गक्खड़ कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने तर्क दिया कि मानहानि खुद की नजर में नहीं होती। किसी भी व्यक्ति की मानहानि उस समय तक नहीं होती जब तक कोई व्यक्ति कोर्ट में यह न कहे कि मैं पहले उनकी बहुत इज्जत करता था लेकिन अब उनकी इज्जत कम हो गई है। इसके अलावा सीजेएम कोर्ट में ऐसा कोई गवाह पेश नहीं किया गया। साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करना मानहानि की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। उन्होंने ईलाहबाद हाईकोर्ट, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट, हिमाचल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पांच फैसलों को बतौर उदाहरण पेश किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद माना कि बलराज कुंडू ने पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर की कोई मानहानि नहीं की है। इसलिए सीजेएम कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाती है।
वहीं इस मामले में विधायक बलराज कुंडू ने कहा यह सच्चाई और ईमानदारी की जीत है, जिससे माननीय अदालतों पर आमजनों का विश्वास और बढ़ेगा। आज ही के दिन अयोध्या में ऐतिहासिक प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर की नींव देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गयी है। आज ही रोहतक अदालत ने भी मेरे ऊपर दायर झूठे आरोपों को भी खारिज कर दिया जिससे साबित होता है कि सच बोलने वाले का श्रीराम भी साथ देते हैं। वहीं कुंडू ने कहा ग्रोवर के भष्टाचार मामले को माननीय अदालत में लेकर जाएंगे। के खिलाफ हमेशा बुलंद करता रहूंगा आम आदमी की आवाज। मेरी आवाज को दबाया नहीं जा सकता क्योंकि मेरी आवाज में हरियाणा के हर आम आदमी की आवाज मिली हुई है।
फैसले का अध्यनन करने के बाद अपील करेंगे
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर हाईकोर्ट द्वारा कोर्ट में दायर किए मानहानि के मामले में अब हाईकोर्ट में अपील दायर की जाएगी। पूर्व मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश सपड़ा ने बताया कि सपड़ा ने कहा कि इस फैसले की कॉपी अभी मिली नही है। फैसले का विस्तृत अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट में अपील दायर करेंगे। महम विधायक बलराज कुंडू ने पूर्व मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर पर जो आरोप लगाए थे, उनको लेकर जिला कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए विधायक कुंडू को नोटिस जारी किया था, लेकिन कुंडू ने उस आर्डर के खिलाफ जिला अदालत में रिविजन दायर की थी जिसके द्वारा फैसला दिया है। उन्होंने कहा हम उनका सम्मान करते हैं किन्तु ये अंतिम अदालत का फैसला नहीं है। अपील का अधिकार कानूनी अधिकार है। फैसले का अध्ययन करने के बाद निश्िचत तौर हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी जाएगी।
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