हरियाणा के चर्चित IAS अशोक खेमका की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का केंद्र को नोटिस जारी, जानें पूरा मामला

हरियाणा के चर्चित IAS अशोक खेमका की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का केंद्र को नोटिस जारी, जानें पूरा मामला
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हरियाणा बीज विकास निगम में वर्षों पुराने बीज घोटाले में लंबा वक्त बीत जाने के बाद भी आरोपित लोगों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होने से खफा हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है।

योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़

हरियाणा बीज विकास निगम ( Haryana Seed Development Corporation ) में वर्षों पुराने बीज घोटाले में लंबा वक्त बीत जाने के बाद भी आरोपित लोगों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होने से खफा हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ( Ias Ashok Khemka ) ने एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court ) का रुख किया है। चर्चित बीज घोटाले मामले को लेकर चर्चित और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, तो खेमका की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है।

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने राष्ट्रीय सूचना आयोग के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने आरटीआई एक्ट के तहत भ्रष्टाचार संबंधी बीज घोटाले मामले में उन्हें आरटीआई के तहत जानकारी देने से इनकार करने के विरोध यह कदम उठाया है। दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से केंद्र के (डीओपीटी) डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग और सीबीआई डिवीजन को नोटिस भेजे हैं। राष्ट्रीय सूचना आयोग द्वारा मामले में खेमका को जानकारी देने से धारा 81 जे का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था।

खेमका का तर्क है कि प्राथमिक इंक्वायरी के क्लोजर को लेकर जो जानकारी मांगी थी उसे देने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हरियाणा बीज निगम कॉरपोरेशन पंचकूला में बतौर एमडी अशोक खेमका 18 जुलाई 2012 से लेकर चार मार्च 2013 तक तैनात रहे। उन्होंने इस दौरान एक शिकायत दायर करते हुए सीबीआई से बीज घोटाले की जांच के लिए अपील की थी। खेमका ने सीबीआई को बीज घोटाले से किस तरह से सरकार के खजाने को चूना लगाया गया विस्तार से बताया और विधिवत इसको लेकर साक्ष्य भी उपलब्ध कराए थे। सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच की ओर से पूरे मामले में प्राथमिक इंक्वायरी की गई 2013 में 18 अक्टूबर को शुरू की गई इस इंकवायरी को 2 साल बाद बंद कर दिया। खेमका का दावा है कि जांच कर रही टीम ने साक्ष्यों को नजर अंदाज कर दिया। खेमका ने पूरे मामले में उस समय भी आवाज उठाई और केस को रीओरपन करने की मांग की जिसके बाद में किन-किन सीबीआई द्वारा दोबारा खोल दिया गया। सितंबर 2015 में खेमका द्वारा सीबीआई के उच्च अफसरों को लिखे जाने के बाद जांच दोबारा खोली गई।

पूरे मामले को लंबे समय से ठंडे बस्ते में डाले जाने के विरुद्ध 6 अगस्त 2020 में खेमका ने दोबारा आरटीआई एक्ट के तहत मामले की जानकारी मांगी। लेकिन नियमों और रूल का हवाला देते हुए खेमका को एक बार फिर सीबीआई की एंटी करप्शन विंग ने निराश किया जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय सूचना आयोग का रुख किया। खेमका ने पूरे मामले को गलत तरीके से बंद करने का आरोप लगाते हुए इस संबंध में लिखित शिकायत अपनी याचिका के माध्यम से दिल्ली हाईकोर्ट में की है। खेमका का आरोप है कि तमाम साक्ष्य और जानकारी होने के बावजूद एंटी करप्शन ब्यूरो ने इसे बंद कर दिया है। सीआईसी द्वारा इस बारे में सूचना देने के आदेश के बावजूद भी एसीबी की ओर से उन्हें जानकारी नहीं दी गई खेमका ने इसे न्याय के विरुद्ध बताया है।

गेहूं बीज की खरीद का मामला

पूरे मामले पर गौर करें, तो लगभग सात साल से पहले सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच की शुरुआत की थी। पूरा मामामला एक लाख कुंतल गेहूं के बीज की खरीद से जुड़ा हुआ है। हरियाणा बीज विकास निगम में बतौर एमडी रहते हुए खेमका ने पूरा का पूरा मामला उठाया था। उस दौरान तत्कालीन मुख्य सचिव पीके चौधरी और सीबीआई को शिकायत दी थी। जिसके बाद छह माह विचार मंथन के बाद सीबीआई ने जांच करने का फैसला लिया है। खेमका ने बीज की खरीद को लेकर हुई बड़ी गड़बड़ी को पकड़ा था और सीधे सीबीआई को मामला जांच के लिए रेफर कर दिया था। एनसीसीएफ और नेशनल एग्रीकल्चर को-आपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनएएफइडी) के अधिकारियों के खिलाफ उस दौरान केस दर्ज किया था और जांच शुरु कर दी। आरोप था कि कंपनियोंने बीज देने में धोखाधड़ी की। उनकी जांच के मुताबिक किसानों को साल 2010 में गेंहू का एक लाख क्विंटल गेंहू बीजों की का पूरा मामला था।

4 मार्च 2013 को दी शिकायत में आरोप लगाया गया था कि कंपनियों ने निगम को गुमराह किया किया कि उनके पास गेंहू का बीज है। बाद में पता लगा कि कंपनियों ने बाजार से खरीदकर बीज निगम को सप्लाई कर डाला। शिकायत अनुसार बीज हिसार और सिरसा के प्राइवेट सीड सैलर्स से खरीदकर निगम को दिया गया। पूरे मामले में बिचौलियों की हरियाणा के बड़े सौदों में भूमिका थी और कई सौदों में मोटा मुनाफा कमाया गया था। उक्त बीज जो निगम को दिया गया बीज न तो उपचारित था न ही सर्टिफाइड। खेमका ने उस समय सीबीआई को कहा था कि उक्त मामले में सीबीआई जैसी एजेंसी ही काम कर सकती है। इस शिकायत औस सीबीआई द्वारा जांच की शुरुआत के समय से विभाग के आरोपितों में हड़कंप मचा हुआ था।

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