दिल्ली पुलिस के सिपाही ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, आठ पेज का सुसाइड नोट बरामद

बहादुरगढ। लेनदारों के दबाव में आकर दिल्ली पुलिस के एक मुख्य सिपाही ने बहादुरगढ़ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मौके पर पुलिस को आठ पेज का एक सुसाइड नोट मिला है। इस सुसाइड नोट में मृतक ने अपना दुख बयां करते हुए गांव के तीन लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है। सात अन्य लोगों पर भी रुपये वापस ना देने का आरोप है। इनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। फिलहाल पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर नागरिक अस्पताल में रखवा दिया है। परिजनों के बयान के बाद पुलिस संबंध में केस दर्ज करेगी।
मामला नया गांव का है। मृतक की पहचान प्रवीण कुमार के रूप में हुई है। करीब 28 वर्षीय प्रवीण नया गांव का निवासी था। दिल्ली पुलिस में मुख्य सिपाही था। इन दिनों उसकी पोस्टिंग पीतमपुरा में थी। बीती रात को खाना खाकर परिवार सहित सोया था। देर रात को उसने फंदा लगा लिया। जब तक परिजनों की नजर पड़ी थी, उसकी सांसें थम चुकी थी। अस्पताल ले गए तो मौत की पुष्टि हो गई। सूचना मिलते ही सदर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और आवश्यक कार्रवाई शुरू की। शव को नागरिक अस्पताल में रखवा कर परिजनों से पूछताछ की।
जांच के दौरान पुलिस को आठ पेज का एक सुसाइड नोट मिला सुसाइड नोट में प्रवीण ने अपना पूरा दर्द बयां कर रखा है। अपनी मौत का जिम्मेदार गांव के ही तीन लोगों को ठहराया है। इनके नाम मुकेश उर्फ तोता, महेंद्र सैनी और काला यादव हैं। सुसाइड नोट में लिखा है इन लोगों से उसने रुपये लिए थे। समय पर ब्याज दिया और रकम भी लौटा दी। इसके बावजूद ये लोग उससे रुपये मांगते रहे। ब्याज पर भी ब्याज लगाना शुरू कर दिया। किसी ने जमीन के रुपये नहीं दिए तो कोई मकान पर कब्जा करने की कोशिश करता रहा। बार-बार धमकी देते रहे। इस कद्र परेशान किया गया कि ये हालात पैदा हो गए। वह और रुपये नहीं दे सकता। उसके जाने के बाद परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इन तीनों के अलावा सात अन्य लोगों ने उससे लाखों रुपये ले रखे हैं, जो मांगने पर भी वापस नहीं मिले। वे सारे रुपये रिकवर करके मेरे परिवार- बच्चों को दिए जाएं, ताकि वे गुजारा कर सकें। सुसाइड नोट पर पहले 6 सितम्बर तारीख लिखी है। फिर काटकर 12 सितम्बर की गई हैं। संभवतः यह नोट पहले ही लिखा गया है। इधर पुलिस मामले को लेकर गंभीर है। मामले में जांच शुरू कर दी है।
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