Delivery मामलों में प्रदेश में टॉप पर रहने के बावजूद महेंद्रगढ़ जिले के सरकारी अस्पताल में महिला विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी

Narnaul News : सरकारी अस्पतालों में डिलीवरी (Delivery) केसों के मामले में कहने को तो जिला महेंद्रगढ़ प्रदेश का ऐसा जिला है, जहां सबसे अधिक डिलीवरी सरकारी अस्पतालों (Government Hospitals) में करवाई जाती हैं, लेकिन यहां इन अस्पतालों में महिला विशेषज्ञ यानि गायनोलोजिस्ट गाइनेकोलॉजिस्ट (Gynaecologist) की बेहद कमी है। पिछले कई सालों से इस बाबत प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारियों को बार-बार पत्राचार भी किया जा रहा है, लेकिन अब तक हालात जस के तस ही हैं। जिला स्तरीय नागरिक अस्पताल में केवल एक ही गाइनेकोलॉजिस्ट है तथा एक डेपुटेशन पर बुलाकर काम चलाया रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिला महेंद्रगढ़ प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा जिला है तथा यह राजस्थान से घिरा हुआ है। राजस्थान से सटा होने के कारण यहां के सरकारी अस्पतालों में केवल जिला महेंद्रगढ़ में रह रहे लोग ही नहीं, अपितु आसपास राजस्थान के गांवों में रहने वाले लोग भी महिलाओं को डिलीवरी के लिए यहां के सरकारी अस्पतालों में लेकर आते रहते हैं। यही कारण है कि यहां मासिक औसत के हिसाब से डिलीवरी केसों की नवंबर-दिसंबर में 600 पार तक पहुंच जाती है। अन्यथा 300-400 डिलीवरी की औसत तो हर माह ही आ जाती है। सामान्य डिलीवरी के केसों के मामले में तो स्थिति ठीक है, लेकिन सिजेरियन मामलों में अनेक बार कठिनाई उत्पन्न हो जाती है। खासकर आम लोगों की परेशानी तब बढ़ जाती है, जब उनके सिजेरियन केसों को चिकित्सक के अभाव या मामला जटिल होने की स्थिति में रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में उन लोगों के सम्मुख निजी अस्पतालों में जाकर महंगा उपचार लेने के सिवाय दूसरा कोई चारा नहीं होता।
जिले में गायनी की स्थिति
स्वास्थ्य विभाग के पास जिले में चार गायनी, यानि महिला विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, जिनमें से एक रेगुलर तथा तीन एनएचएम के तहत कार्यरत हैं। इनमें से एक की ड्यूटी नागरिक अस्पताल नारनौल तो तीन की ड्यूटी उप नागरिक अस्पताल महेंद्रगढ़ में लगी हुई हैं। इन हालातों में महेंद्रगढ़ की एक महिला विशेषज्ञ चिकित्सा की प्रतिनियुक्ति नारनौल के अस्पताल में लगाई है और डा. निशा नामक यह महिला चिकित्सक लंबे समय से डेपुटेशन पर नारनौल में ही सेवाएं दे रही है।
जिले के सरकारी अस्पतालों की स्थिति
वर्तमान में जिले में एक नागरिक, दो उप नागरिक, छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कार्यरत हैं। वैसे तो सरकारी रिकार्ड मुताबिक विभाग ने पीएचसी स्तर पर भी डिलीवरी करने की सुविधा उपलब्ध करवाई हुई है, लेकिन पीएचसी में चिकित्सकों खासकर महिला विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है, जिस कारण लोगों का वहां डिलीवरी करवाने में विश्वास ज्यादा जम नहीं पाता है और वह बड़े अस्पताल की तरफ दौड़ते हैं।
विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी महिलाओं पर भारी
वैसे तो सरकारी अस्पतालों में टाइम टेबल 24 गुणा 7 को तीन-तीन शिफ्टों में बांटा गया है, लेकिन जिला स्तरीय नागरिक अस्पताल को एक रेगुलर एवं एक डेपुटेशन की महिला विशेषज्ञ चिकित्सक मिली हुई है। इस प्रकार शिफ्टों को देखें तो प्रत्येक दिन एक शिफ्ट हमेशा गायनी के बगैर ही चलानी पड़ रही है, जबकि डिलीवरी के जटिल केस आने का कोई समय निर्धारित नहीं है। कई बार इन दोनों महिला चिकित्सकों में से एक छुट्टी पर भी चली जाती है तो स्थिति और खराब बन जाती है। जिस कारण नागरिक अस्पताल में हमेशा ही महिला विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी बनी रहती है। इन हालातों में अनेक डिलीवरी केसों को न चाहकर भी रेफर करना पड़ता है और यही रेफर गरीब मरीजों पर पड़ा भारी पड़ता है।
उच्चाधिकारियों को लिखा
सिविल सर्जन डा. रमेश चंद्र आर्य ने बताया कि गायनी के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। इस समय जिले को चार-पांच और गायनी की आवश्यकता है। यदि पर्याप्त स्टॉफ मिलता है तो आवश्यकता वाली जगहों पर उनकी नियुक्ति प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी।
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