प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल से सावित्रीबाई फुले की जयन्ती को महिला शिक्षिका दिवस घोषित करने की मांग

रोहतक : ऑल इण्डिया सैनी सेवा समाज महिला इकाई की प्रदेश उपाध्यक्ष रीतुराज सैनी ने प्रथम भारतीय महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयन्ती 3 जनवरी को महिला शिक्षिका दिवस घोषित किए जाने की मांग को लेकर उपायुक्त रोहतक के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहर लाल के नाम मांग-पत्र भेजा है।
हरियाणा सैनी विकास मंच के प्रदेश प्रवक्ता ललित मोहन सैनी ने महात्मा ज्योतिराव फुले तथा माता सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न सम्मान की मांग की है । प्रदेश उपाध्यक्ष रीतुराज सैनी ने बताया कि सावित्री बाई फुले की जंयती को राजस्थान व महाराष्ट्र सरकार ने महिला शिक्षिका दिवस घोषित करने के आदेश जारी कर दिए हैं, जोकि सराहनीय कदम है। दूसरे राज्यों में भी इस निर्णय को लागू करे ताकि आने वाली पीढ़ियों को प्ररेणा मिल सकें। भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले ने समाज में दबे, कुचले, शोषित वर्ग को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया तथा आधुनिक भारत निर्माण करने के लिए अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 1 जनवरी 1848 को प्रथम बालिका विद्यालय स्थापित किया। महिलाओं को चूल्हा और बच्चों की परम्परा से बाहर लाने का काम सावित्रीबाई फुले ने किया। उस समय सामाजिक बहिष्कार स्वीकार कर तथा गोबर व पत्थरों की मार सहते हुए उन्होंने लड़कियों को पढ़ाने का ऐतिहासिक कार्य किया । इसलिए उनका जन्मदिन देशभर में महिला शिक्षा दिन के रूप में मनाया जाए ।
रीतुराज सैनी ने बताया कि सावित्रीबाई फूले पूरे देश की महानायिका थी । उन्होंने हर बिरादरी और धर्म के लिए काम किया। सावित्रीबाई फुले ने स्त्रियों के अधिकारों एवं शिक्षा के लिये बहुत कार्य किए। ललित मोहन सैनी नेे कहा कि महिलाओं को शिक्षित होने के साथ कानून संबधित ज्ञान होना भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि नर नारी परमात्मा की नजर में समान हैं तथा हर स्थिति में उन्हें यह अधिकार देना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त होने के लिए आज की किशोरियों का अपना आत्मविश्वास होना जरूरी हैं। ललित मोहन सैनी नेे महिलाओं के हक और अधिकारों की मांग करते हुए कहा कि घूघंट एक अंधेरा है, बाहर निकलो सवेरा हैं, उन्होंने कहा कि महिलाओं के सम्मान को बढ़ाने और बरकरार रखने के लिए आज महिला किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। देश की महिलाओं ने ओलम्पिक खेलों में अपनी प्रतिभा का प्रर्दशन कर विश्वभर में अपनी ताकत का अहसास करवाया हैं।
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