लखीमपुर खीरी के किसानों की शहादत का 1 साल होने पर संयुक्त किसान मोर्चा का प्रदर्शन, अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी की मांग

लखीमपुर खीरी के किसानों की शहादत का 1 साल होने पर संयुक्त किसान मोर्चा का प्रदर्शन, अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी की मांग
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किसानों ने कहा कि यह एक सुनियोजित षडयंत्र था जिसे अजय मिश्रा टेनी ने अपने बेटे आशीष मिश्रा टेनी के साथ मिलकर रचा। एसआईटी की जांच के निष्कर्षों में भी 120बी यानी हत्या का सुनियोजित षड्यंत्र किया जाने के बात स्वीकार की गई है।

फतेहाबाद। संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी हत्याकांड के 3 अक्टूबर को 1 वर्ष पूरा होने पर अजय मिश्रा टेनी को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री पद से बर्खास्त करने, निर्दोष किसानों की जेल से रिहाई और उनके ऊपर लगाए गए झूठे केस वापस लेने की मांग को लेकर सोमवार को डीसी कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार व योगी सरकार का पुतला दहन किया। बड़ी संख्या में किसानों मजदूरों नौजवानों ने रोष कार्रवाई में हिस्सेदारी की। कार्यक्रम की अध्यक्षता किसान नेता विष्णु दत्त शर्मा, रविंद्र हिजरावां, संदीप काजला, रामकुमार बहबलपुरिया ने की और संचालन संयुक्त मोर्चा के संयोजक योगेंद्र सिंह भूथन ने किया। इसके बाद किसानों ने उपायुक्त को मांग पत्र भी सौंपा।

किसान नेताओं ने कहा कि पिछले वर्ष 3 अक्टूबर के दिन लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण आंदोलन कर वापस लौट रहे किसानों पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष उर्फ टेनी ने गाड़ी चढ़ा दी थी। इस घटना में 4 किसान और एक पत्रकार शहीद हो गए और 13 से अधिक किसान पूरी तरह से घायल हुए। यह एक सुनियोजित षड्यंत्र था जिसे अजय मिश्रा टेनी ने अपने बेटे आशीष मिश्रा टेनी के साथ मिलकर रचा। एसआईटी की जांच के निष्कर्षों में भी 120बी यानी हत्या का सुनियोजित षड्यंत्र किया जाने के बात स्वीकार की गई है। इसके बावजूद केंद्र सरकार द्वारा अजय मिश्रा टेनी को बचाने का प्रयास जारी है और उससे ज्यादा शर्मनाक बात उसका आज तक केंद्रीय मंत्री बने रहना है।

किसान मोर्चा ने कहा कि मंत्री को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करके मुख्य साजिशकर्ता को जेल में डाला जाए। जेल में बंद किसानों की तत्काल रिहाई और फर्जी केसों की वापसी तुरंत हो। शहीद किसान और घायलों के परिवारों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी का वायदा पूरा किया जाए। इस केस से संबंधित गवाहों पर भी जानलेवा हमले हुए हैं और इसकी पैरवी कर रहे किसान नेताओं पर फर्जी मुकदमा ठोकने, डराने धमकाने की साजिश से हो रही है। यह सरकार की जिम्मेवारी बनती है कि उन्हें सुरक्षा मिले ताकि शहीद किसानों को न्याय मिल सके।

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