कोरोना से भी खतरनाक हुआ Dengue : रेवाड़ी में पांच दिन में दादी-पोती की मौत, जींद में दो की जान गई, जानें डेंगू के लक्षण और उपचार

कोरोना से भी खतरनाक हुआ Dengue : रेवाड़ी में पांच दिन में दादी-पोती की मौत, जींद में दो की जान गई, जानें डेंगू के लक्षण और उपचार
X
रेवाड़ी में अब तक 31 से अधिक डेंगू के मरीज कंफर्म हो चुके हैं, जबकि इससे कई गुणा अधिक मरीजों का रिकार्ड तो स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंचा ही नहीं।

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी

मौसम में बदलाव व मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से मौसमी बीमारियों के साथ डेंगू का डंक कोरोना से भी ज्यादा जानलेवा होता जा रहा है। रेवाड़ी के गांव प्राणपुरा में 13 वर्षीय बालिका की मौत के पांच दिन बाद 72 वर्षीय दादी की मौत हो गई। डेंगू से मौत की सूचना के बाद हरकत में आए स्वास्थ्य विभाग ने गांव में टीम भेजकर 50 से अधिक ग्रामीणों के सैंपल लिए। दादी-पौती की मौत डेंगू से होने की आशंका जताई जा रही है। जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने मृतकों की मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। वहीं जींद में भी डेंगू के प्रकोप के कारण सफीदों क्षेत्र के दो लोगों की मौत हो गई।

रेवाड़ी में अब तक 31 से अधिक डेंगू के मरीज कंफर्म हो चुके हैं, जबकि इससे कई गुणा अधिक मरीजों का रिकार्ड तो स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंचा ही नहीं। इसके बावजूद सरकारी सिस्टम की चाल पर चल रहे स्वास्थ्य विभाग की डेंगू को लेकर नींद अभी तक पूरी तरह से टूट नहीं पाई है। जिसका फायदा उठाकर निजी कुछ अस्पताल संचालकों ने कोरोना में ऑक्सीजन की तर्ज पर प्लेटलेट्स का खेल शुरू कर मरीजों की जेबों पर डाका डालना शुरू कर दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में डेंगू का डंक और तीखा होने की आशंका से लोगों में डर का माहौल बना हुआ है।

जानकारी के अनुसार गांव प्राणपुरा निवासी 13 वर्षीय बालिका में डेंगू के लक्षण पाए जाने के बाद परिजन उसे उपचार के लिए गुरुग्राम के निजी अस्पताल में ले गए। जहां पांच अक्टूबर को उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद तबीयत बिगड़ने पर उसकी 72 वर्षीय दादी को उपचार के लिए जयपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां 10 अक्टूबर को उसकी की भी मौत हो गई।

यह सावधानी रखें

- मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए अपने घर के आसपास पानी जमा नहीं होने दें।

- पीने के पानी के बर्तन, कूलर, पानी की टंकी, फ्रीज इत्यादि को समय-समय पर साफ करते रहे।

- रात को सोते समय पूरे शरीर को कपड़े से ढंककर सोए।

- नियमित रूप से बुखार होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लें।

लक्षण

- नियमित रूप से सिर दर्द, बदन दर्द के साथ बुखार होना।

- सिर में बाहरी पन, नाक से पानी बहना, बेचैनी होना।

- शरीर पर लाल दाने दिखाई देना तथा उल्टी लगाना।

- बदन टूटना और थकान तथा बाहरीपन महसूस होना।

सावधानी में ही रोकथाम

डीसी यशेंद्र सिंह ने जिलावासियों से मौसमी बीमारियों (मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड व चिकिनगुनिया) इत्यादि से बचाव के लिए सतर्कता रखने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इन बीमारियों के खात्में के लिए प्रयासरत हैं, परंतु आजमन के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है। जिले में ब्रीडिंग चेकर, फील्ड वर्कर्स घर-घर जाकर मलेरिया उन्मूलन संबंधि मच्छर के लारवा की ब्रीडिंग की जांच करें तथा फोगिंग का कार्य तेजी लाए जाए। तालाबों व जोहड़ो में गम्बुजिया मछली भी छोड़े, ताकि मच्छर न पनपने पाए। ठहरे हुए पानी में काला तेल व टेमिफोस की दवाई का छिडकाव करें, जिससे मच्छर का लारवा खत्म हो सके और जानलेवा बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की उत्पत्ति पर पूर्ण रूप से रोक लग सके। फोटो संख्या : 13

मलेरिया पाए जाने पर 14 दिन करवाए उपचार

डिप्टी सिविल सर्जन एवं मलेरिया अधिकारी डॉ. विजय प्रकाश ने कहा कि मलेरिया में सर्द के साथ बुखार होने के साथ सर दर्द होना व उल्टियां होती हैं। बुखार होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवाएं तथा मलेरिया पाए जाने पर स्वास्थ्यकर्मियों की देखरेख में 14 दिन तक उपचार कराएं।

Tags

Next Story