कोरोना के बाद हरियाणा में जहरीला हुआ डेंगू का डंक, अब तक 70 की मौत

ओ.पी. पाल : रोहतक
कोरोना का डर अभी गया भी नहीं था कि प्रदेश में डेंगू ने पांव पसार लिए हैं। मच्छरजनित धीरे-धीरे पूरे प्रदेश को चपेट में ले लिया है। डेंगू के डंक और बुखार से अब तक 70 से ज्यादा मौतों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें जिला नूहं में 18, पलवल में कबड्डी खिलाड़ी समेत 41, महेन्द्रगढ़ में तीन के अलावा जींद, पंचकूला, रेवाड़ी, पानीपत व सोनीपत में दो-दो के अलावा सिरसा व पंचकूला में एक-एक मौत शामिल है। हालात ये हैं कि रफ्ता-रफ्ता राज्यभर के अस्पताल बुखार पीडितों से भर रहे हैं। हालांकि डेंगू का डंक बढते ही स्वास्थ्य अमला सक्रिय तो हुआ है, लेकिन अभी बीमारी पर नियत्रंण होता नजर नहीं आ रहा है।
राज्य डेंगू के करीब ढ़ाई हजार रोगी मिल चुके हैं। सबसे ज्यादा खराब हालात पंचकूला की है, जहां सर्वाधिक 297 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। जबकि सिरसा में डेंगू मरीजों का आकंडा 200 के पार है, तो वहीं गुरुग्राम में 166 मरीज मिले हैं। ऐसे कई जिले हैं जहां 100 से ज्यादा मरीजों की पुष्टि हुई है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के हाथ-पैर फूले हुए हैं। असल में सरकारी अमले के पास मच्छर से निपटने को पूरे अस्त्र-शस्त्र ही नहीं हैं। महज कुछ ही इलाकों में धुआं उडाकर मच्छर को खदेड़ने के प्रयास हो रहे हैं। इसी लिए जरूरी है कि आम आदमी इसके प्रति जागरूक हो और मच्छर को न पनपने दे। प्रदेश में कोरोना के इस भयावह दौर में डेंगू के मामलों में कई गुना वृद्धि हो चुकी है।
प्रदेश एक सितंबर को डेंगू के महज 40 मामले थे, जो 17 अक्टूबर तक पुष्टि किये गये 2406 तक पहुंच गये हैं, हालांकि प्रदेश में डेंगू मरीजों का आंकड़ा इससे भी कहीं ज्यादा बताया जा रहा है। मसलन राज्य में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों से कई गुना रोजाना डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं। डेंगू के डंक ने प्रदेश के जिलों पंचकूला, सिरसा, फरीदाबाद, नूहं, गुरुग्राम, सोनीपत, महेन्द्रगढ़, कैथल, करनाल, फतेहाबाद व अंबाला में अब तक डेंगू के 100 से ज्यादा डेंगू के मामलों ने कहर बरपा रखा है। हालांकि डेंगू और बुखार के कारण अब तक हुई 70 से ज्यादा मौतों में 42 पलवल और 18 नूंह जिले में हुई हैं। इसके अलावा जींद, महेन्द्रगढ़, पंचकूला, पानीपत, सोनीपत, रेवाड़ी फरीदाबाद में भी डेंगू से मौते हो चुकी हैं। प्रदेश में डेंगू के बढ़ते प्रकोप के कारण स्वास्थ्य विभाग भी सक्रीय है, लेकिन इससे पहले कोरोना नियंत्रण करने पर फोकस के कारण स्वास्थ्य विभाग शायद वेक्टर जनित रोगों की योजना तैयार नहीं कर सका। हालांकि विशेषज्ञों की माने तो देरी से मानसून और जलवायु परिवर्तन भी प्रदेश में डेंगू के तेजी से पैर पसारने का बड़ा कारण हो सकता है।
निजी अस्पतालों में भीड़
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की तुलना में बुखार के कारण लोग निजी अस्पतालों की तरफ रुख कर रहे हैं, जहां हर रोज आने वाले मरीजों का का आंकड़ा चौंकाने वाला है। इसका कारण भी साफ है कि सरकारी अस्पतालों में वह सुविधा नहीं है, जो निजी अस्पतालों में मौजूद है। प्रदेश के हलकान स्वास्थ्य विभाग भी मानता है कि उसके पास मच्छर से लड़ने की प्रर्याप्त व्यवस्था नहीं है, महज फोगिंग करने और डेंगू से सावधान करने और बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के अलावा।
मोबाइल टीमें सक्रिय
स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जहां सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त इलाज और सरकारी अस्पतालों में प्लेटलेट्स की मुफ्त प्रक्रिया शुरू की है। वहीं निजी अस्पतालों से प्लेटलेट्स की व्यवस्था के लिए दरें भी निर्धारित की हैं। वहीं जिलों में स्वास्थ्य विभाग की मोबाइल टीमें गठित की गई है, जो लगातार मच्छरों के प्रजनन और विकास की जांच करने के साथ मच्छरों को भगाने के मकसद नियमित फॉगिंग करा रही हैं।
बकरी के दूध की मांग बढ़ी
प्रदेश में डेंगू मच्छर का प्रकोप जिस प्रकार बढ़ रहा है, उसकी के साथ बकरी के दूध की मांग भी बढ़ने लगी है। जिलों से खबर आ रही है कि 50 रुपये लीटर मिलने वाला दूध अब 300 से 400 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से मिल रहा है। एक मान्यता है कि बकरी का दूध मानव शरीर में प्लेटलेट्स बढ़ाने में फायदेमंद है, जबकि चिकित्सक इस बात को नकारते रहे हैं।
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