रेलवे कर्मचारी को ऐसी बीमारी....स्टेशन पर कर दी थी अंधाधुंध फायरिंग, फिर भी विभाग नहीं दे रहा VRS

हिसार। नींद न आने की मानसिक बीमारी से ग्रस्त गांव राजली निवासी रेलवे कर्मी बलवान सिंह रेलवे अधिकारियों की कथित लापरवाही से अधर में लटक गाया है। विडंबना यह है कि मानसिक रोगी 58 वर्षीय बलवान सिंह को न तो भारतीय रेलवे मेडिकल मैनुअल के हिसाब से ड्यूटी मिल रही है और न ही अधिकारी उसे ऐच्छिक सेवानिवृति दे रहे हैं। वर्तमान में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पार्सल भार वाहक के तौर पर कार्यरत रेलवे कर्मी बलवान सिंह भारतीय रेलवे मेडिकल मैनुअल के अनुसार वर्ष 1988 से ही पैरा 573-574 के गंभीर रोगी है। हिसार के नागरिक अस्पताल सहित देश के एक दर्जन से अधिक अस्पतालों में अपना उपचार करवा चुका है।
रेलवे कर्मी बलवान सिंह इससे पहले नींद न आने की स्थिति में पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल में तैनाती के दौरान अंधाधुंध फायरिंग भी कर चुके हैं। तब चिकित्सकों ने रेलवे अधिकारियों को उसे उसकी स्थिति को देखते हुए ऐसी ड्यूटी देने की वकालत की थी, जिसमें स्वयं उसकी या रेलवे पैसेंजर्स को किसी भी प्रकार का जान-मान का खतरा न हो। मगर रेलवे अधिकारियों ने पहले जहां उसे रेलवे सुरक्षा बल में ड्यूटी दी, उसके बाद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पार्सल भार वाहक जैसी कठिन डयूटी देकर रेलवे नियमों की बार-बार धज्जियां उड़ाई। रेलवे अधिकारियों की लापरवाही की इंतहा इससे अधिक ओर क्या हो सकती है कि मानसिक तौर पर बीमार एवं बुजुर्ग की ऐच्छिक सेवानिवृत्ति की अपील भी उन्हेंं सुनाई एवं दिखाई नहीं दे रही है।
नींद में चला दी थी पांच राउंड गोलियां
लंबे समय तक नींद आने की बीमारी से ग्रस्त बलवान सिंह वर्ष 27 नवम्बर 1994 में अंधाधुंध फायरिंग कर चुका है। तब क्वाटर कैश एवं असला गार्ड के तौप पर ऑन ड्यूटी बलवान सिंह ने पांच राउंड फायरिंग कर दी थी। तब उसकी जांच में उसे रेलवे मेडिकल बोर्ड की जांच में उसे गंभीर रुप से मानसिक रोगी पाया गया था। तब चिकित्सकों ने बलवान सिंह को पैरा 573-74 के तहत उसे ड्यूटी देने की वकालत की थी।
क्या है बलवान की बीमारी
भारतीय रेलवे मेडिकल मैनुअल के हिसाब से बलवान सिंह को लंबे समय तक नींद नहीं आती। जिसके कारण उसका मानसिक संतुलन खराब हो जाता है। लंबे समय तक नींद न आने के कारण उसे शारीरिक एवं मानसिक थकान भी रहती है। वैसे भी 58 वर्षीय बलवान सिंह अपनी उम्र के ऐसे पड़ाव पर है, जिसमें आमतौर पर नींद कम आती है। बलवान सिंह तीन बार अब तक इस बीमारी से गंभीर रुप से ग्रसित पाया गया है। ऐसे में बलवान सिंह कई बार तो दो यो तीन सप्ताह तक लगातार नींद नहीं आती। ऐसे में उससे पार्सल भार वाहक की डयूटी लेने का मतलब उसकी जिन्दगी को खतरे में डालने से कम नहीं है।
क्या है पैरा 573-74 रेलवे मैनुवल नियुक्ति नियम
भारतीय रेलवे मेडिकल मैनुवल के अनुसार इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को ठीक होने के बाद रलवे कर्मी से इंजन चलाने, सिंग्नल व्यवस्था संभालने, गाड़ियों का संचालन करने, प्लेटफार्म निरिक्षण, सहायक रेवले स्टेशन मास्टर, बुकिंग क्लर्क, टिकट कलेक्टर, वेतन क्लर्क, सुरक्षा कर्मी, पार्सल भार वाहक, भार उठाने/ कुली गिरी जैसे ऐसी डयूटी नहीं दी जा सकती, जिसमें कर्मचारी को अत्याधिक मानसिक तनाव या शारीरिक थकान का अनुभव होता हो।
मामला मेरे संज्ञान में : केएल मीणा
यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। इस संबंध में जल्द ही आला अधिकारियों को अवगत करवा दिया जाएगा। इसके अलावा यदि ऐसी कोई समस्या है तो पीडि़त के परिजनों को इस मामले में आला अधिकारियों से मिलना चाहिए था। उम्मीद है इस मामले में जल्द पीडि़त को न्याय मिल जाएगा। - केएल मीणा, मुख्य पार्सल पर्यवेक्षक उत्तर रेलवे नई दिल्ली।
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