PGIMS Rohtak में अब अलग होगा वैस्कुलर सर्जरी विभाग, 2007 में बने एचएसएमई रूल बदलेंगे

रोहतक। अब रोहतक पीजीआई में वैस्कुलर सर्जरी (खून की नलियों की सर्जरी) का विभाग अलग बनाया जाएगा। अब तक कार्डियो, फोरेसिक, वैस्कुलर सर्जरी विभाग एक साथ थे। इस विभाग को डॉ. एसएस लोहचब संभाल रहे थे। डॉ. लोहचब का प्रयास सफल रहा और वैस्कुलर सर्जरी को अलग विभाग बनाने की अनुमति मिल गई है। अलग विभाग बनेगा तो सीनियर प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनिसर रेजिडेंट, एनेस्थिसिया के डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ आदि की भी जरूरत होगी। इसे भी साथ के साथ मांग लिया गया है।
यह एजेंडा पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की एसी की बैठक में पास कर दिया गया है। अगले महीने होने वाली ईसी की बैठक में इसे रखा जाएगा। वहां से पास होने के बाद सरकार से अनुमति मिलेगी। सोमवार को करीब ढाई घंटे चली एसी की बैठक में कई महत्वपूर्ण एजेंडे पास किए गए। एसी की बैठक में बताया गया कि 2007 में बने एचएसएमई के नियम भी बदले जाएंगे। ये नियम पीजीआई और डेंटल कॉलेज में लागू होंगे। इसके लिए सभी विभागाध्यक्षों से 15 दिन के अंदर ऑब्जेक्शन और सुझाव मांगें गए हैं। उसके बाद इस एजेंडे को दोबारा एसी की बैठक में रखा जाएगा।
कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना की अध्यक्षता में हुई बैठक
कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना की अध्यक्षता में हुई बैठक में कुल 22 एजेंडे रखे गए। इनमें 2 टेबल एजेंडे थे। यूनिवर्सिटी के अंडर आने वाले जिन कॉलेजों की इंस्पेक्शन की गई थी उन सभी का अनुमोदन कर दिया गया है। सुबह 11 बजे से शुरू हुई बैठक करीब 1.30 बजे तक चली।
फिजियोथेरेपी पर लोड था, 16 सीट बढेंगी
पीजीआई में फिजियोथेरेपी विभाग पर मरीजों का ज्यादा बोझ था। हड्डी रोग विभाग भी सहायता कर रहा था, लेकिन फिर भी बोझ कम नहीं हो रहा था। एसी की बैठक में एजेंडा पास किया गया है कि विभाग में 16 सीट बढ़ा दी जाएंगी। इनमें असिस्टेंट प्रोफेसर, डेमोन्स्ट्रेटर, सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट आदि की सीट शामिल हैं। वहीं नियोनेटोलॉजी विभाग में भी 7 सीट बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है।
अनफेयर मीन्स कमेटी दो साल के लिए होगी
एसी की बैठक में यह एजेंडा भी पास किया गया कि अनफेयर मीन्स कमेटी अब दो साल के लिए होगी। अब तक यह एक साल के लिए होती थी। इस कमेटी का कार्याकाल बढ़ा दिया गया है।
नए कोर्स शुरू करने का नियम बदलने पर मुहर
यूनिवर्सिटी के अंडर जितने भी नर्सिंग कॉलेज, मेडिकल, डेंटल और फिजियोथेरैपी आदि कॉलेज आते हैं उनमें नए कोर्स शुरू करने का नियम बदलने पर भी मुहर लगा दी गई है। अब किसी कॉलेज को नया कोर्स शुरू करना होगा तो उसके लिए समय निर्धारित कर दिया गया है। यानी तय तारीख तक की कोर्स शुरू करने के लिए आवेदन किया जा सकता था। अब तक किसी भी समय आवेदन कर दिया जाता था। इसके लिए समय सारिणी बना दी गई है।
बीएससी कोर्स के बारे में अगली बैठक में निर्णय
डॉ. ध्रुव चौधरी अपने विभाग में बीएससी कोर्स शुरू करना चाहते हैं। काफी देर तक इस पर विचार-विमर्श किया गया। निर्णय हुआ कि यह कोर्स शुरू करने के लिए विस्तृत रूप रेखा तैयार की जाए। यह रूप रेखा अगली एसी की बैठक में रखी जाएगी। उसके बाद ही कोर्स शुरू करने का निर्णय होगा।
बिना बताए होगा निरीक्षण
अब यूनिवर्सिटी के संबद्ध कॉलेज में बिना बताए निरीक्षण किया जाएगा। यूनिवर्सिटी की टीम किसी भी समय कॉलेज में पहुंचाकर वहां मिल रही सुविधाओं और वहां की स्थिति का जायजा ले सकती है। अब से पहले कॉलेज को बता दिया जाता था कि किस दिन टीम निरीक्षण के लिए आएगी।
परीक्षक बनना होगा मनमानी नहीं चलेगी
यूनिवर्सिटी में मेडिकल छत्रों की परीक्षाओं के लिए परीक्षक बनने के नियम में भी बदलाव किया गया है। एमबीबीएस की परीक्षा में एचओडी परीक्षक रहेंगे। वे मना नहीं कर सकते। बाकि जो परीक्षक होंगे वे रोटेट होते रहेंगे। होता ये था कि कुछ डॉक्टर परीक्षक बनने से मना कर देते थे और कुछ जो बनना चाहते थे उन्हें बनाया नहीं जाता था। अब कोई भी परीक्षक बनने से इनकार नहीं कर सकेगा। बिना किसी ठोस कारण के परीक्षक बनने से इनकार किया तो उसे दंड दिया जाएगा।
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