जिगोलो बनने के अरमान पर शख्स को लगा 8 लाख का चूूना, अमीर औरतों से संबंध बनाने पर 1 घंटे के 9 हजार रुपये मिलने का दिया था झांसा

हरिभूमि न्यूज : जींद
जिगोलो बनाने का झांसा देकर एक युवक को साढ़े आठ लाख रुपये चूना लगाने का मामला सामने आया है। साइबर थाना पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जुलाना थाना इलाका गांव के एक व्यक्ति ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसने अपने नाम से फेसबुक आईडी बनाई हुई है। जिसके माध्यम से रोबिन मंडल व शंभू नाम के व्यक्ति से उसकी दोस्ती हुई और फोन पर बातचीत होने लगी। उन्होंने उसे जिगोलो बनाने का झांसा देकर अमीर औरतों के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर प्रति घंटे के हिसाब से आठ से नौ हजार रुपये देने का झांसा दिया। गत 25 अगस्त को रोबिन ने उस से आईडी व फोटो लिए। साथ ही 2100 रुपये ज्वायनिंग के नाम पर मांगे गए और आईडी कार्ड बनाने का झांसा दिया गया। जिस पर उसे आईकार्ड भी जारी कर दिया गया और सर्टिफिकेट भी दिया गया। आरोपित ने 6500 रुपये सेफ्टी किट के नाम पर जमा करवा लिए। साथ ही एक ड्राइवर का मोबाइल नंबर भी दिया गया। पुलिस सर्टिफिकेट के नाम पर उस से 38 हजार रुपये लिए गए।
29 अगस्त को उसके पास फोन आया कि कंपनी द्वारा उसे दो लाख 47 हजार रुपये दिए जाएंगे और अकाउंट नंबर ले लिया। राशि उसके खाते में डलने के साथ होल्ड होने की बात कही गई। इसी प्रकार किसी न किसी कागजात की कमी होने की बात कह कर उस से आठ लाख 50 हजार रुपये हड़प लिए गए। दोनों व्यक्ति जल्द राशि वापस होने की बात कहते रहे। बावजूद उसके खाते में ठगी गई राशि वापस नहीं आई। साइबर थाना पुलिस ने युवक की शिकायत पर शंभु मंडल तथा रोबिन के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। साइबर थाना के जांच अधिकारी जगदीप सिंह ने बताया कि पीड़ित को जिगोलो बनने का झांसा दिया गया था। जिसकी एवज में राशि को ऐंठा गया। पीड़ित की शिकायत पर दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
क्या होता है जिगोलो
बता दें कि जिगोलो एक प्रकार की एडल्ट मार्केट है। इस धंधे में पैसे लेकर सहमति से किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने का काम होता है। इस धंधे में औरतें मर्दों की बोली भी लगाती हैं। डील फिक्स होने पर वह पुरूष उनके साथ जाता है और संबंध बनाता है। डील फिक्स होने के बाद उस संस्था को कमीशन भी देना पड़ता है जिसके माध्यम से डील फिक्स की गई थी।
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