डीजीपी के आदेश हवा! सीनियर लाइन में, अब भी थानों में एसएचओ के पद पर जूनियर तैनात

डीजीपी के आदेश हवा! सीनियर लाइन में, अब भी थानों में एसएचओ के पद पर जूनियर तैनात
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डीजीपी के आदेश थे कि तत्काल प्रभाव से सभी थानों की कमान एसएसआई तथा एसआई की बजाए केवल इंस्पेक्टर रैंक वाले अधिकारी के हाथों सौंपी जाए। लेकिन आज भी हिसार जिले के तीन थानों में इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी की बजाए उनके जूनियर (एसआई) थानों की कमान संभाले हुए हैं।

हरिभूमि न्यूज. हिसार

हरियाणा पुलिस महानिदेशक (DGP) के एक अहम आदेश को हिसार पुलिस महकमे में अनदेखा किया जा रहा है। उनके ऑर्डर को एक हफ्ता बीत चुका है लेकिन लगता यही है कि पुलिस विभाग के सबसे बड़े साहब की बात हिसार पुलिस प्रशासन के लिए खास मायने नहीं रखती है।

डीजीपी के आदेश थे कि तत्काल प्रभाव से सभी थानों की कमान एसएसआई तथा एसआई की बजाए केवल इंस्पेक्टर रैंक वाले अधिकारी के हाथों सौंपी जाए। लेकिन आज भी हिसार जिले के तीन थानों में इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी की बजाए उनके जूनियर (एसआई) थानों की कमान संभाले हुए हैं। ऐसे में महकमे में चर्चा है कि बड़े साहब के फरमान को स्थानीय पुलिस प्रशासन छोटा साबित करने में जुटा है।

बता दें कि गत 30 नवम्बर को डीजीपी पीएस अग्रवाल ने तत्काल प्रभावी के नाम से एक पत्र क्रमांक 16294 जारी किया था। गुरुग्राम, फरीदाबाद व पंचकूला के पुलिस कमिश्नर, रेलवे के एसपी समेत प्रदेश के तमाम जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इस पत्र के जरिये यह निर्देश दिए गए थे कि पुलिस विभाग में अब सभी पुलिस थानों में तैनात एसएचओ को इंस्पेक्टर रैंक का होना बेहद जरूरी है। केवल विशेष परिस्थिति अथवा इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी की अनुपलब्धता में इससे नीचे के रैंक को एसएचओ लगाया जा सकता है। वैसे तो डीजीपी के इन आदेशों का प्रभाव प्रदेश के सभी 372 थानों, जिनमें 33 महिला पुलिस थाना, 23 ट्रैफिक पुलिस थाना, 16 जीआरपी थाना और 7 साइबर क्राइम थानों पर होना था। मगर हिसार पुलिस जिला की बात करें तो जिला के अंतर्गत आने वाले तीन थानों अर्बन एस्टेट थाना, सिविल लाइन थाना और उकलाना थाना में अब भी सब इंस्पेक्टरों का ही बतौर थाना प्रभारी का कार्यकाल निर्बाध जारी है। हालांकि हिसार पुलिस जिला से अलग होकर अस्तित्व में आए हांसी जिला पुलिस के सभी चार पुलिस थानों हांसी शहर थाना, नारनौंद थाना, बास थाना तथा सदर थाना हांसी में जो एसएचओ तैनात हैं, वह सभी इंस्पेक्टर रंैक वालेअधिकारी हैं।

नियुक्ति की आस में इंस्पेक्टरों की खुशी काफूर

डीजीपी के आदेश जारी होने के बाद इंस्पेक्टर रैंक वाले अधिकारियों में एकायक खुशी का माहौल बन गया था। विभागीय भाषा में खुड्डे लाइन बैठे इंस्पेक्टर रैंक वाले अधिकारियों में आशा बंधी थी कि विभाग के सबसे बड़े साहब के संज्ञान लिए जाने के बाद अब थानों में प्रभारी लगे सब इंस्पेक्टरों की जगह उन्हें थानों की कमान सौंपी जाएगी। लेकिन उनकी खुशी उन्हीें के जिला पुलिस प्रशासन ने काफूर कर दी।

चहेतों पर मेहरबानी का आरोप

पुलिस विभाग में ऐसी चर्चा आमतौर पर होती है कि थानों में एसएचओ केवल उसी को लगाया जाता है जो अपने आला अधिकारियों की हाजिरी भरते हैं। आला अधिकारी भी सीनियर-जूनियर के क्रम की अनदेखी कर किसी नजदीकी समझे जाने वाले पर मेहरबानी करते हैं। स्थिति यह है कि प्रदेशभर में इस समय कई थानों में सब इंस्पेक्टर तो थाना में प्रभारी हैं जबकि वरिष्ठता में उनसे एक कदम आगे रहने वाले इंस्पेक्टर उनके सहायक की भूमिका में है। हिसार जिला के तीन थानों में सब इंस्पेक्टर एसएचओ की कुर्सी पर बैठे हैं।

उचित पद न मिलने पर निरीक्षकों में तनाव

थाना प्रभारियों नियुक्ति में वरिष्ठता की अनदेखी से पुलिस निरीक्षकों में रोष था। प्रदेश के कई थानों में इस बात की अनदेखी होने की जानकारी डीजीपी पीके अग्रवाल को मिली तो उन्होंने रेलवे एसपी समेत प्रदेश के सभी पुलिस जिला अधीक्षकों को पत्र जारी कर निरीक्षकों को ही थानों में एसएचओ लगाने के निर्देश जारी किए थे।

एसपी का फोन रिसीव नहीं हुआ

हरिभूमि ने एसपी का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल फोन पर सम्पर्क करने का प्रयास किया। मगर उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।

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