Dhan Kharid : बाहरी राज्यों से सस्ता घटिया धान से सरकार को लगा रहे करोड़ों का चूना

फतेहाबाद/ जाखल। धान सीजन प्रारंभ होने के साथ ही जाखल क्षेत्र के कुछ शैलर मालिकों द्वारा धांधली कर अवैध कमाई करने की नीयत से अंदरखाते से जुगते भिड़ा मिलीभगत से खेल से बाहरी राज्यों से गुणवत्ता विहीन धान मंगाया जा रहा हैं। ऐसे मिलरो द्वारा यूपी बिहार जैसे राज्य से सस्ता धान खरीदी कर मार्केट फीस चोरी कर सरकार को चपत लगाई जा रही है। मिल मालिकों का ये गड़बड़झाला यहीं समाप्त नहीं होता, बल्कि बाद में सरकार को लौटाएं जाने वाले चावल में भी मिलर घटिया चावल मिक्स कर हर बार की तरह इस बार भी चावल घोटाले की बिसात अभी से बिछने लगीं है। बीते दिनों किसानों ने जाखल में बाहरी राज्यों से आए 7 बड़े परमल धान के ट्रकों को पकड़ा था। बताया गया है कि ये धान जाखल के किसी दलाल द्वारा बाहरी राज्य से जहां लाया गया था। इसके बाद यह धान राइस मिलरो को आपूर्ति किया जाता है। राइस मिलर इस धान को मिल की बजाय अलग अपने गोदाम में स्टोर कर लेते हैं।
बताते हैं कि बाद में फर्जी पंजीकरण से इस गुणवत्ता विहीन धान का चावल निकालकर सरकार को आपूर्ति कर दिया जाता है। जानकारों का मानना है कि बाहर से मगाएं जा रहे घटिया व सस्ते धान से मिलरो द्वारा बाद में बड़े घोटाले को अंजाम दिया जाएगा। क्षेत्र के जागरूक नागरिको की मांग है कि यदि उच्च विभाग इस पर निगरानी रख अथवा सभी राइस मिलों में निष्पक्षता से जांच करें तो बड़े स्तर पर हो रहे घोटाले का पर्दाफाश किया जा सकता है। बीते दिनों जाखल में बाहरी राज्यों के घटिया धान आवक की इतनी बड़ी खेप बरामद होने के बाद क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है।
एफसीआई को सीएमआर लौटाने में होता है सारा खेल
सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा धान खरीदी कर संबद्ध किए गए निजी राइस मिलरों को चावल बनाने के लिए दिया जाता है। चावल निकालकर मिलरों द्वारा इसे भारतीय खाद्य निगम में सीएमआर के रूप में जमा करवाया जाता है। जहां से चावल पीडीएस खाद्यान्न के रूप में विपणन केंद्रों पर भेजा जाता है। इस व्यवसाय के जानकार सूत्र बताते हैं कि धान के बदले चावल लौटाने में मिलर पर्दे के पीछे बड़ा खेल खेल रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जाखल क्षेत्र के कुछ राइस मिलरों द्वारा सरकार को दिए जाने चावलों में मिक्सिंग कर लगाया जाएगा। धान लेने से चावल लौटाने के क्रम में विभागीय अफसरों के संलिप्त होने की भी आशंका है। यदि मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाए तो इसमें जिम्मेदार अधिकारियों का नपना भी तय है। इसी बीच कुछ चावल मिल मालिकों द्वारा बाहरी राज्यों से धान मंगवाकर फर्जीवाड़ा करने का संदेह है। यहीं नहीं, बल्कि सवाल ये भी है कि जितना धान हकीकत में मंडी में आने पश्चात मिल संचालकों ने लिया है, क्या मिलर्स वास्तव में उस धान की कुटाई कर निकलने वाला चावल भी भारतीय खाद्य निगम को देंगे या फिर उस धान की एवज में भी सस्ता व घटिया चावल खाद्य निगम को पूर्ति कर लाखों रुपए मुनाफा कमाएंगे।
शासन को लाखों रुपए चूना लगने का संदेह
उत्तरप्रदेश व बिहार आदि दूसरे प्रांतों से सस्ता धान मंगाकर, फर्जी पंजीकरण से इसका गुणवत्ता विहीन चावल एफसीआई को पूर्ति कर लाखों रुपए के वारे न्यारे किए जाते हैं। हर वर्ष की तरह इस बार भी राईस मिल मालिक पूरी तरह से सक्रिय है। जानकार सूत्रों की माने तो मिल मालिकों ने इसे लेकर राईस मिल से दूर स्थानों पर अपने बड़े गोदाम बनाए हुए हैं, जिसे लेकर मिल मालिक उसमे बाहरी राज्यों से आया हुआ धान स्टॉक कर रहे है।
क्या कहते हैं एसडीएम
बाहरी राज्यों से बासमती किस्म का धान आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है जबकि दूसरे प्रदेशों से परमल धान व चावल लाने पर पाबंदी है। इस पर रोक लगाने के लिए मार्केट कमेटी सचिव को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई राइस मिलर बाहरी राज्यों से परमल धान व चावल लाया पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। - प्रतीक हुड्डा, एसडीएम टोहाना
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