धान की सीधी बिजाई : किसानों को सब्सिडी पर दी जाएंगी डीएसआर मशीनें, यहां करवाना होगा रजिस्ट्रेशन

हरिभूमि न्यूज. जींद
धान की सीधी बिजाई को लेकर किसान कल्याण एवं कृषि विभाग द्वारा संबंधित किसानों के बैंक खातों में चार हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर 30 जून तक अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। इसके बाद कृषि विभाग के अधिकारियों की अध्यक्षता में बनी कमेटी किसानों द्वारा बुवाई की गई फसल का सत्यापन करेगी और जांच रिपोर्ट 25 जुलाई तक विभाग को सौंपेगी। उसके बाद संबंधित किसान के खाते में यह राशी जारी कर दी जाएगी। कृृषि विभाग द्वारा इस बारे किसानों को जागरूक करने के लिए शिविर लगाकर प्रचार-प्रसार भी किया जाए। उपमंडल स्तर पर भी संबंधित एसडीएम से किसानों व संबंधित विभागों की एक संयुक्त बैठक करवाएं। जिससे किसानाें को इसके बारे में जानकारी हासिल हो सके।
जिला में किसानों से धान की सीधी बिजाई करवाने को लेकर 11 हजार एकड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कृषि विभाग द्वारा धान की सीधी बिजाई करवाने के लिए जिला में 55 डीएसआर मशीने सब्सिडी पर दी जाएंगी। यह मशीनें किसानों को पहले आओ, पहले पाओ प्रणाली के तहत मुहैया करवाई जाएगी। रजिस्टे्रशन कर चुके किसानों को आगामी 21 जून को यह मशीनें मुहैया करवा दी जाएगी। विभाग द्वारा पहले भी 14 किसानों को यह डीएसआर मशीने सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई है तथा जिला के 12 किसान व्यक्तिगत रूप से अपनी मशीन खरीद चुके है।
धान की सीधी बुवाई का क्या है तरीका या विधि
धान की सीधी बुआई दो विधिओं से की जाती है। एक विधि में खेत तैयार कर ड्रिल द्वारा बीज बोया जाता है। बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमीं होना आवश्यक है। दूसरी विधि में खेत में लेव लगाकर अंकुरित बीजों को ड्रम सीडर द्वारा बोया जाता है। बुआई से पूर्व धान के खेत को समतल कर लेना चाहिए। धान की सीधी बुआई करते समय बीज को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर ही बोना चाहिए। मशीन द्वारा सीधी बुआई में कतार से कतार की दूरी 18-22 सेंटीमीटर तथा पौधे की दूरी 5-10 सेंटीमीटर होती है। इस विधि में वर्षा होने से पूर्व खेत तैयार कर सूखे खेत में धान की बिजाई की जाती है।
धान की सीधी बुआई में प्रयोग में आने वाली मशीन
धान की सीधी बुआई के लिए जीरो टिल ड्रिल अथवा मल्टीक्रॉप प्रयोग में लाया जाता है। सीधी बुआई हेतु बैल चलित सीड ड्रिल का भी उपयोग किया जा सकता है। जिन खेतों में फसलों के अवशेष हो और जमीन आच्छादित हो वहां हैपी सीडर या रोटरी डिस्क ड्रिल जैसी मशीनों से धान की बुवाई करनी चाहिए। नौ कतार वाली जीरो टिल ड्रिल से करीब प्रति घंटा एक एकड़ में धान की सीधी बुआई हो जाती है। धान की बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त नमी हो।
धान की सीधी बुवाई तकनीक के यह हैं लाभ
डीसी डा. मनोज कुमार ने बताया कि धान की सीधी बुआई में पानी कम लगता है और लागत में भी कमी आती है। रोपाई वाली विधि की तुलना में सीधी बुआई तकनीक से 20 से 25 प्रतिशत पानी की बचत होती है क्योंकि इस विधि से धान की बुवाई करने पर खेत में लगातार पानी बनाए रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस विधि से किसान भाई जीरो टिलेज मशीन में खाद व बीज डालकर आसानी से बुवाई कर सकते हैं। इससे बीज की बचत होती है और उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ती है।
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