सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ रहे दिव्यांग विद्यार्थियों को मिलेंगे कृत्रिम अंग

सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ रहे दिव्यांग विद्यार्थियों को मिलेंगे कृत्रिम अंग
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ट्रस्ट अध्यक्ष एवं दिव्यांगता मुक्त अभियान संयोजक संजय शर्मा ने बताया कि ट्रस्ट के माध्यम से एक विशेष अभियान चलाकर जिले के सभी बच्चों की कृत्रिम अंगों की आवश्यकता को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।

हरिभूमि न्यूज : नारनौल

प्रगतिशील शिक्षक ट्रस्ट ने समाजहित में एक ओर पहल की है। यह ट्रस्ट अब जिले के स्कूलों (सरकारी व प्राइवेट स्कूल) में पढ़ने वाले दिव्यांग विद्यार्थियों को कृत्रिम अंग देगा। ट्रस्ट अध्यक्ष एवं दिव्यांगता मुक्त अभियान संयोजक संजय शर्मा ने बताया कि ट्रस्ट के माध्यम से एक विशेष अभियान चलाकर जिले के सभी बच्चों की कृत्रिम अंगों की आवश्यकता को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।

दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। यह प्रकृति और मानवीय संतुलन में एक अंशमात्र कमी है जिसे हम आपसी तालमेल से पूर्ण कर सकते हैं। दिव्यांगजनों को अपने सकारात्मक विचार के साथ आगे बढ़ना है। प्रगतिशील शिक्षक ट्रस्ट दिव्यांगजनों को लाभान्वित कराने के लिए संकल्पित है। इस अभियान के लिए 11 सदस्यों की एक टीम का गठन किया गया है। जिसमें नरोत्तम सोनी, हितेंद्र बोहरा, रवीना सोनी, बंसीलाल, डा. मनोज आफरिया, डा. जितेंद्र भारद्वाज, मुकेश दहिया, भीमसेन, राकेश शर्मा, अमित कुमार व लोकेश शर्मा शामिल हैं। यह टीम पूरे जिले में दिव्यांग बच्चों को चिन्हित करने का कार्य करेगी।

यह रहेगा प्रारूप

ट्रस्ट अपने दिव्यांग सहायता कार्यक्रम के अन्तर्गत 100 से अधिक दिव्यांग जनों को निशुल्क कृत्रिम अंग उपलब्ध करवा चुका है। इसी प्रक्रिया में अब जिले के सभी स्कूलों के विद्यार्थियों को कृत्रिम अंग जरूरत मुक्त बनाया जाएगा। प्रथम चरण में इसके लिए विद्यार्थियों को चिन्हित किया जा रहा है। जिले के राजकीय और गैर राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले ऐसे विद्यार्थी जिन्हें कृत्रिम हाथ अथवा पांव की आवश्यकता है और वह लगवाने में असमर्थ हैं तो उन्हें कृत्रिम अंग निशुल्क उपलब्ध करवाये जाएंगे। ट्रस्ट का संकल्प है कि जिले का कोई भी विद्यार्थी इस जरूरत से परेशान न रहे और उनका जीवन सरल व सुगम बने। अगले चरण में सभी चिन्हित विद्यार्थियों का एक शिविर में माप लेकर उनके कृत्रिम अंग तैयार किए जाएंगे। इसके बाद तीसरे चरण में उन्हें ये अंग निशुल्क वितरित किए जाएंगे। ऐसे बच्चों की सूचना ट्रस्ट तक पहुंचाई जाए।

न्यूनतम रखी गई है कागजी कार्यवाही

अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि ट्रस्ट का वास्तविक उद्देश्य केवल दिव्यांग विद्यार्थियों की आवश्यकता पूरी करना है। इसके लिए कागजों की जरूरत को न्यूनतम रखा गया है ताकि कोई बच्चा कृत्रिम अंगों से वंचित न रहे। विद्यार्थी अपने स्कूल से अध्ययनरत प्रमाण पत्र लिखा कर लाए। अपना आधार कार्ड लाए और साथ में अगर विद्यार्थी का दिव्यांगता प्रमाण पत्र बना है तो लेकर आए। अगर प्रमाण पत्र नहीं बना है तो बिना प्रमाण पत्र भी आ सकता है। किसी भी कागजों के अभाव में कृत्रिम अंग से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी का सहयोग लेकर सूची तैयार की जा रही है। नवंबर माह में इस शिविर का आयोजन किया जाएगा। इस शिविर में ट्राई साइकिल, व्हीलचेयर नहीं दिए जाएंगे। केवल कृत्रिम हाथ अथवा पांव ही बनवाएं जाएंगे।

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