सूरजकुंड मेला स्थगित होने से कलाकारों में मायूसी

हर साल सूरजकुंड में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले का आयोजन भी कोरोना के कारण इस बार खटाई में पड़ गया है। ऐसे में देशभर के शिल्पकारों में मायूसी छा गई है। बहादुरगढ़ के विख्यात नेशनल अवार्डी शिल्पकार भी सरकार के इस निर्णय से मायूस हुए हैं। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि हालात सुधरने पर सरकार भी सकारात्मक निर्णय लेगी। बता दें कि अगले साल फरवरी की शुरूआत में होने वाला 35वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला इस बार नहीं होगा। हर वर्ष 1 फरवरी से 15 फरवरी तक आयोजित होने वाला यह मेला टलने से कलाप्रेमी भी मेले का लुत्फ नहीं उठा पाएंगे।
वर्ष-2004 में नेशनल अवार्ड प्राप्त करने वाले चंद्रकांत बोंदवाल के अनुसार कोरोना के कारण सबसे ज्यादा कारीगर प्रभावित हुए हैं। हर वर्ग के लिए सरकार ने कुछ ना कुछ किया है, लेकिन कलाकार किसी को याद नहीं आया। सूरजकुंड मेले में भाग लेने वाले कारीगरों को लंबे ऑर्डर मिल जाते थे। कुछ बिक्री भी हो जाती थी, लेकिन इस साल इससे भी कारीगर हाथ धो बैठे। सरकार को कलाकारों के लिए भी कदम उठाने चाहिएं।
वर्ष-2015 में शिल्पगुरु सम्मान और 1984 में नेशनल अवार्ड प्राप्त करने वाले राजेंद्र बोंदवाल भी मानते हैं कि सुरजकुंड मेले की तैयारियां आमतौर पर 4 से 5 महीना पहले से ही हो जाती रही हैं। लेकिन कोरोना के चलते नए वर्ष में लगने वाले सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले के आयोजन को फिलहाल टाल दिया गया है। हमें उम्मीद है कि हालात दुरुस्त होने के बाद सरकार मेले के आयोजन पर विचार करेगी।
वर्ष 1979 में राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त करने वाले महाबीर बोंदवाल ने बताया कि कोरोना के चलते मेले के आयोजन पर पहले से ही संशय की स्थिति बनी हुई थी। हालात ठीक नहीं होने के कारण कलाकारों की तरफ से भी कोई खास तैयारी नहीं की गई थी। हालांकि इच्छुक कलाकार आयोजन को लेकर लगातार जानकारी ले रहे थे। उन सभी को इस निर्णय से निराशा हुई है। लोगों को भी मेले का इंतजार रहता था, उन्हें भी मायूसी हाथ लगी है।
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