बढ़ते तापमान से किसानों में मायूसी, गेहूं की पछेती फसल के लिए नुकसानदायक

बढ़ते तापमान से किसानों में मायूसी,  गेहूं की पछेती फसल के लिए नुकसानदायक
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कृषि विशेषज्ञों (Agricultural experts) का कहना है कि लगातार बढ़ते तापमान का हर फसल (Crop) पर असर दिखेगा। पछेती गेहूं की फसल इससे ज्यादा प्रभावित होगी। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए इन दिनों में ठंडक बनी रहनी जरूरी है। बढ़ते तापमान से गेहूं पर टर्मिनल हीट का खतरा रहता है। इससे गेहूं का दाना पूरी तरह फूलने से पहले ही सिकुड़ सकता है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा।

कैथल : पिछले कई दिनों से लगातार बढ़ते तापमान से किसानों (Farmers) में मायूसी है। एकाएक बढ़ती गर्मी गेहूं की फसल (Wheat Crop) के लिए ठीक नहीं है। खासकर पछेती गेहूं के लिए तो यह बेहद नुकसानदायक है। पिछले तीन दिनों से दिन के साथ-साथ रात के तापमान में भी बढ़ोतरी होने लगी है। न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। यह सामान्य से पांच डिग्री तक अधिक चल रहा है। इतना ही नहीं अधिकतम तापमान भी 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने लगा है। अगले चार-पांच दिनों में ही इसके तीन से चार डिग्री तक बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में बढ़ता तापमान गेहूं की पकाई के अनुकूल नहीं है।

जिला भर में करीब एक लाख 50 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल खड़ी है। इसी में से करीब 30 हजार हेक्टेयर में तो गेहूं की पछेती बिजाई हुई है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ते तापमान का हर फसल पर असर दिखेगा। पछेती गेहूं की फसल इससे ज्यादा प्रभावित होगी। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए इन दिनों में ठंडक बनी रहनी जरूरी है। बढ़ते तापमान से गेहूं पर टर्मिनल हीट का खतरा रहता है। इससे गेहूं का दाना पूरी तरह फूलने से पहले ही सिकुड़ सकता है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा।

इन दिनों में गेहूं की फसल में बाली बनने के बाद दाना बन रहा है। अक्सर इन दिनों में मार्च तक ठंड रहने पर बाली में दाना पूरी तरह से फूलता है। मौसम जितना ठंडा रहता है उतना ही फसल को पकने के लिए पूरा समय मिलता है, जिससे दाना पूरी तरह से परिपक्व हो जाता है। इससे पैदावार अच्छी रहती है। लेकिन इन दिनों मौसम बिल्कुल उल्ट चल रहा है। इस हाइ टेंपरेचर में गेहूं का दाना जल्दी सिकुड़ सकता है।

फरवरी के अंतिम सप्ताह में ही बढ़ने लगा था तापमान

फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में ही तापमान में एकाएक बढ़ोतरी होने लगी थी। 22 फरवरी के बाद से ही तापमान तेजी से बढ़ने लगा था। 26 फरवरी को ही अधिकतम तापमान 33 डिग्री और न्यूनतम तापमान भी 17 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। इसके बाद मार्च माह में तापमान ऊपर-नीचे होता रहा। अब मार्च के अंतिम सप्ताह व अप्रैल के शुरू में भी तापमान ने एक दम तेजी पकड़ ली है।

बढ़ते तापमान से हो सकता है नुकसान

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. रमेश वर्मा ने कहा कि एकाएक तापमान बढ़ने से गेहूं पर टर्मिनल हिट का प्रभाव पड़ सकता है। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए इन दिनों में ठंडक रहना जरूरी है। अब तापमान 35 डिग्री तक पहुंचने लगा है। इस बढ़ते तापमान में गेहूं का दाना अच्छी तरह से नहीं पकता। इसका सीधा असर पैदावार पर पड़ेगा। इस कारण पछेती गेहूं के उप्तादन में तो 20 फीसदी तक कमी आ सकती है।

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