हरियाणा कांग्रेस में अंतर्कलह : हुड्डा खेमे में धीरे-धीरे सेंध लगा रहीं सैलजा!

हरियाणा कांग्रेस में अंतर्कलह : हुड्डा खेमे में धीरे-धीरे सेंध लगा रहीं सैलजा!
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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सैलजा ने पहले भजनलाल खेमे से जुड़े रहे नेताओं को साथ मिलाया, अब हुड्डा के खासमखास रहे नेताओं को जोड़ रहीं हैं।

डॉ. अनिल असीजा. हिसार

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच तल्खियां छुपी नहीं हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाई-बहन की तरह कांग्रेस को एकजुट करने का दंभ भरने वाले दोनों नेता शक्ति प्रदर्शन में होड़ में रहते हैं। इस समय सैलजा का पूरा जोर हुड्डा की खेमेबंदी में सेंध लगाने का है। जिस तरह भूपेंद्र सिंह हुड्डा वर्ष 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बने और उस वक्त के अपने धुर विरोधी भजनलाल के साथियों को अपने खेमे में मिलाना शुरू किया था। कुमारी सैलजा भी अब उन्हीं की तर्ज पर हुड्डा समर्थकों को अपने साथ जोड़ने में जुटी हैं। हालांकि कांग्रेस के मौजूदा विधायकों की संख्याबल की बात करें तो सैलजा के मुकाबले हुड्डा का पलड़ा अभी भी भारी है।

5 विधायक खुलकर साथ, 3 संशय में, 23 ने साधी चुप्पी

हरियाणा में कांग्रेस के मौजूदा 31 विधायकों की बात करें तो पांच विधायक प्रदीप चौधरी (पंचकूला), रेणुबाला (साढौरा), शमशेर सिंह गोगी (असंध), शैली चौधरी (नारायणगढ़) और शीशपाल (कालांवाली) खुलकर सैलजा के साथ हैं। वहीं, वरिष्ठ नेत्री किरण चौधरी के अलावा पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव के पुत्र चिरंजीव इस समय हुड्डा व सैलजा दोनों के कार्यक्रमों में शिरकत करते हैं जबकि कुलदीप बिश्नोई अपने प्रतिनिधि को कार्यक्रमों में भेजते हैं।

18 मई को दिखी थी हुड्डा-सैलजा में तल्खी

हुड्डा व सैलजा के बीच सार्वजनिक कड़वाहट 18 मई, 2021 को तब सामने आई थी जब हुड्डा ने कहा था कि वैसे तो उन्हें पूरे प्रदेश में बनाई गई कमेटियों की जानकारी दी जानी चाहिए थी, लेकिन उनको अपने रोहतक जिले की आपदा प्रबंधन कमेटी के सदस्यों तक के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई। सार्वजनिक तौर पर हुड्डा की इस नाराजगी पर सैलजा ने कोई टिप्पणी नहीं दी। इसके बाद कांग्रेस के 23 विधायक सैलजा के खिलाफ उतरे थे। इस बीच सैलजा खुद की मजबूती के लिए प्रयास करती रहीं। ऐसा माना जाता है कि जब कांग्रेस के संगठन महासचिव वेणु गोपाल ने विधायकों को पार्टी हित की बजाए व्यक्तिगत राजनीति के लिए सख्ती दिखाई तो सभी विधायक शांत हो गए।

हिसार में खास सिपहसालार तोड़े

हिसार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास सिपहसालारों में प्रमुख हरपाल बूरा जिन्हें उन्होंने हरियाणा टैक्स ट्रिब्यूनल का न्यायिक सदस्य बनाया, वह पिछले डेढ़ साल से खुलकर सैलजा के खेमे में हैं। इनके अलावा हुड्डा सरकार में कान्फेड के चेयरमैन बनने वाले बजरंग दास गर्ग भी कांग्रेस से भाजपा और फिर सैलजा की शरण में हैं। राजेंद्र सूरा, जिन्हें हुड्डा ने हिसार जिला परिषद का चेयरमैन बनाने में मदद की, वे पहले रणदीप सुरेवाला के खेमे में रहे लेकिन अब सैलजा के कार्यक्रम में देखे जाते हैं। इनके अलावा हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल होने वाले इनेलो सरकार में मंत्री रहे हांसी के पूर्व विधायक सुभाष गोयल भी सैलजा के साथ हैं।

हविपा सरकार के पूर्व मंत्री अत्तर सिंह सैनी ने करीब तीन माह पहले कुमारी सैलजा के नेतृत्व में कांग्रेस का दामन थामा था। फतेहाबाद से इनेलो टिकट पर वर्ष 2014 में विधायक बनने वाले बलवान सिंह दौलतपुरिया ने पिछले विस चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामा था। कृषि आंदोलन के बाद सैलजा के नेतृत्व में कांग्रेस ज्वाइन की। जींद जिले की बात करें तो बीरेंद्र सिंह, भूपेंद्र सिंह हुड्डा व रणदीप सुरजेवाला के साथ देखे जाने वाले सुरेंद्र श्योकंद को सैलजा ने जींद जिला का कार्डिनेटर नियुक्तकिया। सैलजा करनाल जिले में कई दिग्गजों को अपने पाले में लाने में कामयाब रहीं। नारायणगढ़ की विधायक शैली चौधरी के अलावा असंध के विधायक शमशेर सिंह गोगी की गिनती सैलजा समर्थकों में होती है। पिछले विस चुनाव में सैलजा ने हुड्डा गुट के वीरेंद्र मराठा की टिकट काटकर शमशेर सिंह गोगी को दी और वे जीत भी गए। मराठा ने वर्ष 2018 में हुड्डा के नेतृत्व में अपनी एकता शक्ति पार्टी का कांग्रेस में विलय किया था। टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। गोगी के अलावा भजनलाल सरकार में परिवहन मंत्री रहे चंदासिंह, हुड्डा शासनकाल में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य रहे उनके पुत्र ललित बुटाना अब सैलजा के कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी करते हैं। हुड्डा सरकार में पुलिस भर्ती बोर्ड के सदस्य रहे राजेंद्र बल्ला भी सैलजा के साथ देखे जाते हैं।

पानीपत में तंवर समर्थक रहे सैलजा के पास

हविपा सरकार में पशुपालन मंत्री रहे बिजेंद्र कादियान पहले अशोक तंवर गुट में थे। अब सैलजा के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद वह उनके कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका में हैं। इसी तरह इनेलो सरकार में चेयरमैन रहे और फिर कांग्रेस में दस साल तक पानीपत जिलाध्यक्ष रहे जगदेव मलिक पहले हुड्डा गुट में थे। बाद में अशोक तंवर गुट में गए और अब सैलजा खेमे में हैं।

रोहतक में दे रहीं चुनौती

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के गृह जिले रोहतक में कुमारी सैलजा ने कृष्णमूर्ति हुड्डा व सुभाष बत्रा के रूप में बड़ी सेंध मारी है। किलोई से विधायक बनने के बाद भजनलाल सरकार में मंत्री रहे कृष्णमूर्ति हुड्डा ज्यादातर समय कांग्रेस में रहे। वह वर्ष 2006 में 11 माह के लिए भाजपा से जुड़े तथा एक साल हजकां में रहे। वर्ष 2009 में दोबारा कांग्रेस ज्वाइन करने पर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा से जुड़े। माना जाता है कि इसके बाद कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने पर वह हुड्डा से दूर हुए। इसी तरह रोहतक जिला कांग्रेस कमेटी के 17 साल तक अध्यक्ष रह चुके सुभाष बत्रा जहां 1991 में भजनलाल सरकार में मुख्य संसदीय सचिव व गृह मंत्री रहे। दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल सरकार में मंत्री बने थे। जब उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने नई पार्टी बनाई तो दोनों कांग्रेस छोड़कर हजकां में शामिल हो गए। लेकिन कुछ समय बाद ही कुलदीप बिश्नोई से बगावत कर फिर कांग्रेस में आ गए। वर्तमान में दोनों नेता कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा के साथ नजर आ रहे हैं।

गुरुग्राम में कई चेहरे सैलजा के साथ

जनता दल (यूनाइटेड), बसपा के बाद हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की टिकट पर बादहशाहपुर हलके से पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने वाले राव कमलवीर अब शैलजा गुट में सक्रिय हैं। झाड़सा गांव में कांग्रेस नेता प्रदीप जैलदार के आवास पर आयोजित शैलजा के स्वागत समारोह में पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया, पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव नजर आए। पूर्व मंत्री धर्मबीर गाबा भी शैलजा के कई कार्यक्रम में शिरकत कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भजनलाल के छोटे बेटे अक्सर सैलजा के कार्यक्रमों में शामिल होने से बचते हैं लेकिन उनके बड़े भाई पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन सैलजा के कार्यक्रम में शिरकत करते हैं। इसी तरह दो वर्ष पूर्व सैलजा व हुड्डा की उपस्थिति में इनेलो छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले एवं कालका से विधायक प्रदीप चौधरी भी शैलजा के कार्यक्रमों में नजर आते हैं। उपेंद्र कौर आहलुवालिया को तो सैलजा ने मेयर का चुनाव भी लड़वाया हालांकि वे जीत नहीं पाई।

अंबाला की बात करें तो हुड्डा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे रामकिशन गुर्जर खुलकर सैलजा के साथ हैं। पत्रकार पंकज खन्ना आत्महत्या मामले में सजा होने पर वे विस चुनाव नहीं लड़ सके तो सैलजा ने उनकी पत्नी शैली चौधरी को टिकट दिलवाई और वह अब नारायणगढ़ से विधायक भी हैं। रादौर से पूर्व विधायक बंताराम बाल्मीकि सैलजा के खेमे में दिखाई देते हैं। इसी तरह यमुनानगर जिले से रेणुबाला को जब भाजपा ने टिकट नहीं दी तो सैलजा ने न सिर्फ उनको कांग्रेस में शामिल कराया बल्कि पूर्व विधायक राजपाल भूखड़ी की टिकट काटकर उनको सढ़ौरा से टिकट भी दिलवाई। राजपाल भूखड़ी अब भी सैलजा के साथ है। हालांकि यमुनानगर में कुछ कांग्रेसियों का विरोध भी उन्हें झेलना पड़ा था।

फोटो 30 एचएसआर 5 भूपेंद्र सिंह हुड्डा।

फोटो 30 एचएसआर 6 कुमारी सैलजा।


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