चीतों के भोजन पर विवाद बढ़ा : सिरसा में बिश्नोई समाज के अधिवक्ताओं ने सीटीएम को सौंपा ज्ञापन

सिरसा। नामीबिया से लाए गए चीतों के भोजन के लिए जंगलों में हिरण छोड़े जाने से बिश्नोई समाज आहत है। इसके विरोध में मंगलवार को समाज के अधिवक्ताओं ने बार काऊंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा के अनुशासनात्मक व सतर्कता कमेटी के सदस्य एडवोकेट हवा सिंह की अध्यक्षता में सीटीएम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन सौंपा।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा दूसरे देश से मध्य प्रदेश के जंगलों में चीतों को लाकर उन चीतों के भोजन के लिए वन में विचरण करने वाले मूक प्राणी हिरण को जंगल में छोड़े जाने का निर्णय पूरी तरह से गलत है। इससे बिश्नोई समाज के लोग आहत हैं क्योंकि बिश्नोई समाज गुरु जंभेश्वर महाराज के दिए हुए सिद्धांतों पर चलते हुए हमेशा वन्य जीवों व पेड़-पौधों की रक्षा के लिए कुर्बानी देता आया है। 363 शहीदों का उदाहरण सभी के सामने है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह कोई स्थापित तथ्य नहीं है कि चीता प्रकृति के लिए अपरिहार्य है। राजस्थान में हिरणों की प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है, जबकि बिश्नोई समाज लगातार जीवों की रक्षा के लिए कुर्बानी देता आया है। इस तरह से राजस्थान से निरीह प्राणी हिरणों को ले जाकर हत्या के लिए चीतों के आगे छोड़ना बिश्नोई समाज को कतई मंजूर नहीं है। चीतों के भोजन की व्यवस्था जंगल में पहले से है, जिससे चीते अपना जीवन यापन कर सकते हैं। ज्ञापन में समस्त समाज के अधिवक्ताओं की ओर से प्रधानमंत्री से मांग की गई कि भारत सरकार बिश्नोई समाज की भावनाओं को देखते हुए अपने निर्णय को तुरंत वापिस ले व वन्य जीव हिरणों को बचाया जाए। इस अवसर पर आरडी बिश्नोई, पवन बिश्नोई, विष्णु भगवान, रमेश बिश्नोई, विनोद बिश्नोई, शिव बिश्नोई अमित बिश्नोई, संजय बिश्नोई, हरविंद्र थिंद, दीक्षा अरोड़ा, नितिन शर्मा, पंकज मेहता, रविंद्र बिश्नोई सहित अन्य अधिवक्तागण उपस्थित थे।
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