सलाह : बच्चों को बिना किसी खास वजह से न दें कोई एंटीबॉयोटिक्स, शरीर पर पड़ता है बुरा असर

हरिभूमि न्यूज : रोहतक
लेक्चर थिएटर पांच में आयोजित एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्यअतिथि पीजीआईएमएस की निदेशक डॉ. गीता गठवाला ने कहा कि हमें हमेशा एंटीबॉयोटिक्स लिखने से पहले मरीज की अच्छी तरह से जांच कर लेनी चाहिए क्योंकि वायरल इंफेक्शन में एंटीबॉयोटिक्स नहीं देनी चाहिए। बच्चे मासूम होते हैं, उन्हें कभी भी बिना वजह एंटिबॉयोटिक्स नहीं दी जानी चाहिए और हमेशा एक अच्छे चिकित्सक की सलाह पर ही बच्चे को दवाई देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब चिकित्सक को जांच में पता चले कि इंफेक्शन है तभी एंटीबॉयोटिक्स देनी चाहिए। यदि किसी को फंगल इंफेक्शन है तो उसे सिर्फ फंगल इंफेक्शन की दवाई दें, उसमें बिना वजह एंटीबॉयोटिक्स को शामिल ना करें। उन्होंने कहा कि जहां पर आप कार्य करते हैं, वहां की एंटीबॉयोटिक्स पॉलिसी होनी चाहिए।
डॉ. गीता गठवाला ने कहा कि यदि हम बिना वजह मरीज को एंटीबॉयोटिक्स लिखते हैं तो उससे मरीज को मंहगी दवा बिना वजह खरीदनी तो पड़ती ही है, उसके साथ ही उससे उसके शरीर पर भविष्य में विपरीत असर भी पड़ता है।
इस मौके पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ईश्वर सिंह ने कहा कि यदि हम वायरल में मरीज को एंटीबॉयोटिक्स दे देते हैं और कुछ दिन में मरीज को इंफेक्शन हो जाता है तो फिर एंटीबॉयोटिक्स देनी पड़ती है। बिना वजह ज्यादा एंटीबॉयोटिक देने से रजिडेंट फैलता है। माइक्रोबॉयालोजी विभागाध्यक्ष डॉ. अर्पणा परमार ने बताया कि 18 से 24 नवंबर तक विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है।
डॉ. अर्पणा ने बताया कि बहुत जल्द एंटीबॉयोटिक्स पॉलिसी बनाकर पूरे अस्पताल के विभागों में वितरीत की जाएगी। आज विद्यार्थियों को एंटीबॉयोटिक्स को लेकर किए जा रहे सर्वें का फार्म भरने की हैंड्स ऑन ट्रेनिंग भी करवाई गई।
डॉ. नीति मित्तल ने बताया कि एंटी बॉयोटिक्स का चलन द्वितीय विश्व युद्व में पेनसिलिन से शुरू हुआ था। इस अवसर पर डॉ. राकेश मित्तल, डॉ. निती मित्तल, डॉ. निधि गोयल और डॉ. कौशल्या उपस्थित रहे।
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