PGIMS Rohtak : लंदन से आए चिकित्सकों ने पीजीआईएमएस का दौरा किया, स्मार्ट हेल्थ प्रेगनेंसी प्रोजेक्ट के कायल हुए

Rohtak News : पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के साथ मिलकर चल रहे स्मार्ट हेल्थ प्रेगनेंसी प्रोजेक्ट को देखने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन एंव जॉर्ज इंस्टीट्यूट हैदराबाद की टीम ने विश्वविद्यालय का दौरा किया। टीम में शामिल लंदन से डॉ. जेन हिरस्ट, डॉ. निकोल वाटेरुबा, डॉ. डी प्रवीण, अंकिता शर्मा, श्रेया, टी सुधीर राज, डॉ. मीनाक्षी से मीटिंग करते हुए कुलपति डॉक्टर अनीता सक्सेना ने खुशी जताई कि गर्भवती माता को घर बैठे बीपी, शुगर व हीमोग्लोबिन की जांच सुविधा मिल रही है। इसके द्वारा कई गर्भवती महिलाएं व नवजात को समय रहते बचाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 1 साल में 1450 गर्भवती माताओं को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया और इन माताओं की डिलीवरी के 1 साल तक इनका फॉलोअप किया जाएगा। स्मार्ट हेल्थ प्रोजेक्ट के उत्तरी भारत क्षेत्र के अन्वेषक डॉ. वरुण अरोड़ा ने बताया कि स्मार्ट हेल्थ प्रोजेक्ट हाई रिस्क प्रेगनेंसी हीमोग्लोबिन, बीपी व शुगर की जांच करता है। रोहतक व झज्जर जिले की गर्भवती महिलाओं को इसमें शामिल किया गया है। जिसमें 800 महिलाओं को मोबाइल टैबलेट द्वारा घर बैठे यह सुविधा दी जाएगी ताकि समय रहते हाई रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान हो सके और उसे सही रेफरल सेंटर पर भेजा जा सके। डॉ. वरुण अरोड़ा ने बताया कि यह प्रोजेक्ट भारत में नॉर्थ इंडिया में रोहतक व झज्जर में चल रहा है। दक्षिणी भारत में यह सिद्धिपेट तेलंगाना में है।
पूरा सहयोग मिलेगा
सिविल सर्जन डॉ. अनिल बिरला ने आश्वासन दिया कि यूएचएस रोहतक को इस प्रोजेक्ट में पूरा सहयोग मिलता रहेगा। डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. सत्यवान ने बताया कि जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिकता है। झज्जर से आए डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. शैलेंद्र डोगरा ने बताया कि झज्जर में हर हाई रिस्क प्रेगनेंसी का ट्रैक रखा जाता है और एमओ, एएनएम व एंबुलेंस के आपसी सहयोग से हर हाई रिस्क प्रेगनेंसी का सुचारू रूप से रेफरल व इलाज कराया जाता है।
कीड़े एनीमिया का कारण
डॉ. ध्रुव चौधरी ने कहा कि शरीर में पेट के कीड़े भी एनीमिया का मुख्य कारण है और इससे होने वाले प्रभावों को भी हमें अध्ययन करना होगा। ताकि एनीमिया नमक व्यापक बीमारी का सुचारू रूप से निदान हो सके।
जान बचाई गई
डॉ. सविता ने बताया कि कई महिलाएं जिनके हीमोग्लोबिन 5 से 6 ग्राम था, उन्हें समय रहते पीजीआई रेफर किया गया और समय रहते उनकी जान बचाई जा की। यह प्रोजेक्ट गर्भवती माताओं व रेफरल सेंटर के बीच समन्वय में मिलेगी सहायता।
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