क्या ओमप्रकाश चौटाला अब चुनाव लड़ सकते हैं, पढिये यह खबर

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला जिन्हें जनवरी, 2013 में दिल्ली की रोहिणी सीबीआई कोर्ट द्वारा प्रदेश के जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट), 1988 की धारा 13 (2 ) एवं आई.पी.सी. की धाराओं 120 बी, 418 , 467 एवं 471 में दोषी पाए जाने पर दस वर्ष की सजा दी गई थी जिसके बाद से वो दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे। हालांकि समय समय पर परोल, फर्लो, बीमारी आदि कारणों से वह कुछ समय के लिए जेल से बाहर आते रहे एवं गत कुछ माह से वह कोविड-19 के फलस्वरूप उत्पन्न परिस्थितयों से परोल पर बाहर हैं, उन्हें उनकी वृद्ध आयु और दिव्यांगता के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली ( एनसीटी) सरकार अर्थात दिल्ली के उप-राज्यपाल की मंजूरी से उन्हें उनकी छः महीने की लंबित सजा से छूट दे दी गयी है।
जिस कारण उनकी शेष बची जेल में रहने की सजा समाप्त हो जाएगी क्योंकि जेल नियमों में मिली रेमिशन्स (छूटों) आदि को मिलाकर उनके नौ वर्ष छः महीने की सजा पहले ही पूरी हो चुकी है। हालांकि अब यह देखने लायक होगा कि क्या उनके बड़े पुत्र और जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला, जो हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पिता भी हैं एवं जिन्हे उपरोक्त केस में ही दोषी पाए जाने पर 10 वर्षो की सजा मिली थी, क्या उन्हें भी जेल से जल्द रिहाई मिल सकेगी ? बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि हालांकि लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 (1 ) के अनुसार अपनी रिहाई से छः वर्ष की अवधि तक अर्थात जून, 2026 तक ओम प्रकाश चौटाला कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकतें है. हालाकि अब अपनी रिहाई के बाद चौटाला के पास भारतीय चुनाव आयोग के पास उक्त कानून की धारा 11 में एक याचिका दायर अपनी छः वर्ष की अयोग्यता अवधि को कम करने या पूर्णतया हटाने की प्रार्थना करने का विकल्प है जिसे करने के लिए तीन सदस्यी चुनाव आयोग कानूनन सक्षम है।
हेमंत ने बताया कि पौने दो वर्ष पूर्व सितम्बर, 2019 में भारतीय चुनाव आयोग ने सिक्किम के वर्तमान मुख्यमंत्री और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के नेता प्रेम सिंह तमांग की भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत दोषी पाए जाने के कारण उन पर लगी छ: वर्ष के लिए चुनाव लड़ने की अयोग्यता सम्बन्धी अवधि को घटाकर 1 वर्ष 1 माह कर दिया है। आयोग ने यह निर्णय तमांग द्वारा जुलाई, 2019 में दायर एक याचिका पर दिया था। उन्होंने बताया कि इससे पहले हालांकि तमांग अगस्त, 2024 तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते थे परन्तु 10 सितम्बर, 2019 के बाद वह चुनाव लड़ने के लिए कानूनी सक्षम हो गए। इसी कारण वह सिक्किम विधानसभा का उपचुनाव चुनाव लड़ सख्त थे क्योंकि मई, 2019 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने समय वह विधायक नहीं थे।
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