Commonwealth Games 2022 : झज्जर जिले में मनाई गई दोहरी खुशी, एक ही गुरु के दो चेलों ने रच दिया इतिहास

हरिभूिम न्यूज : बहादुरगढ़
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) में भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया और दीपक पूनिया ने स्वर्ण पदक जीते। इनकी जीत से झज्जर जिला खुशी से झूम उठा। पहलवान बजरंग के पैतृक गांव खुडडन में ग्रामीणों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया। वहीं गांव छारा में दीपक की जीत का जश्न मना। कॉमनवेल्थ गेम्स में खेल प्रेमियों को बेसब्री से कुश्ती मुकाबलों का इंतजार था। शुक्रवार को जैसे ही कुश्ती के मुकाबले शुरू हुए तो जिले के खेल प्रेमियों की नजरें बजरंग पूनिया और दीपक पूनिया पर जम गई। दोपहर को ही इन दोनों पहलवानों के परिजन व कुश्तीप्रेमी टीवी से चिपक गए। देर रात फाइनल तक टीवी के सामने डटे रहे। इन दौरान जब भी बजरंग, दीपक ने मुकाबले जीते तो खुशी से चहक उठते। फाइनल जीतते ही खुशी का ठिकाना न रहा। छारा में दीपक के पिता सुभाष सहित अन्य परिजनों के चेहरे खुशी से चमक उठे।
पिता सुभाष ने कहा कि बेटे ने देश के लिए पदक जीतकर उनका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। प्रदेश के छोटे जिलों में शामिल झज्जर के दो पहलवानों ने कॉमनवेल्थ में एक ही दिन में दो स्वर्ण पदक जीतकर िजले के साथ प्रदेश का नाम विश्व पटल पर चमका दिया। दीपक ने महज 30 सेकेंड में पाकिस्तानी खिलाड़ी को हरा दिय । बजरंग पूनिया ने भी कनाडा के खिलाड़ी लचलाल मैकनीम को एकतरफा मुकाबले में 9-2 मात देकर स्वर्णिम दांव चलकर देशवािसयों को खुशी से झूमने का मौका दे दिया। बजरंग इससे पहले भी कई पदक जीत चुके हैं।
दीपक टोक्यो ओलम्पिक में पदक से चूक गए थे। यह दीपक का पहला कॉमनवेल्थ था। लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे थे। चूंकि दीपक ने फाइनल में पाकिस्तान के पहलवान को हराकर पदक जीता है तो खुशियां भी दोहरी हो गई। कुश्तिप्रेमियों ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस से पहले पाकिस्तान के पहलवान को हराकर दीपक ने पदक जीता है। यह केवल खेल ही नहीं, इमोशन्स की भी जीत है। कॉमनवेल्थ गेम्स का यह मुकाबला लंबे समय तक याद किया जाएगा।
गुरु भी हुए गदगद
छारा स्थित लाला दीवानचंद अखाड़े के संचालक एवं झज्जर जिला कुश्ती संघ के महासचिव आर्य वीरेंद्र भी अपने शिष्यों की जीत से गदगद हो गए। बता दें कि बजरंग और दीपक पूनिया ने आर्य वीरेंद्र से ही कुश्ती की एबीसीडी सीखनी शुरू की थी। आर्य वीरेंद्र ने कहा कि बहुत कम उम्र में दोनों उनके पास आए थे। तब भी इनकी प्रतिभा काबिलेतारीफ थी। आज कुश्ती जगत के बड़े सितारे बन चुके हैं। अब एक बार फिर से देश के लिए पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है।
7 साल में सीखें दांव-पेंच
महज सात साल की उम्र में कुश्ती के दांव-पेंच सीखने वाले गांव छारा के छोरे दीपक पूनिया ने शुक्रवार को कॉमनवेल्थ गेम्स के 86 किलोग्राम फ्री स्टाइल कुश्ती मुकाबले में भारत के मुख्य प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के मोहम्मद इनाम को एक तरफा मुकाबले में धुल चटाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे दीपक के पिता सुभाष पूनिया छोटी से डेयरी चलाते हैं। 2015 में छत्रसाल स्टेडियम के जाने-माने पहलवान के नेतृत्व में ट्रेनिंग शुरू करने के बाद उन्होंने सबसे पहले वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर अपना हुनर दिखाया हालांकि सफलता नहीं मिली लेकिन फिर भी हार नहीं मानी।
स्वदेश लौटने पर शेरों का होगा अभिनंदन
हरियाणा रेसलिंग एसोसिएशन के महासचिव राकेश कोच ने कहा कि कुश्ती का जिक्र हो तो हरियाणा का नाम अदब से लिया जाता है। हमारे पहलवानों एक बार फिर अपनी धाक साबित कर दी है। पहलवानों ने पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। जब ये स्वदेश लौटेंगे तो इनका जोरदार स्वागत किया जाएगा। इसीलिए आज से ही तैयारियां शुरू कर दी जाएंगी ताकि हमारे शेरों के स्वागत को कोई कमी न रह जाए। समारोह के लिए जल्द की जिम्मेदारियां भी तय कर दी जाएंगी।
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