बाढड़ा नगरपालिका पर मंडराने लगे संशय के बादल : नपा का दर्जा रद करवाने के लिए दोनों गांवों के लोगों ने लगाया एड़ी चोटी का जोर

बाढड़ा नगरपालिका कार्यालय के बाहर लगे साइन बोर्ड
संदीप श्योराण : बाढड़ा
बाढड़ा को नगरपालिका का दर्जा मिले एक साल का भी समय भी पूरा नहीं हुआ है इससे पहले ही इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। नगरपालिका का दर्जा मिलने से पहले बाढड़ा में तेज गति से विकास होने की चर्चाओं के चलते नपा का दर्जा मिलने पर लोगों द्वारा मिठाई बांटकर जश्न तक मनाया गया था। लेकिन जश्न मनाने वाले लोग भी अब अपने कदम पीछे खींच नपा का दर्जा रद्द करवाने वाले लोगों के साथ मिलकर नपा का दर्जा रद करवाने की आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि नगरपालिका का दर्जा मिलने के बाद से यहां कार्यालय की अस्थाई स्थापना के अलावा कोई विशेष कार्य नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों को अब लगने लगा है कि नपा का दर्जा मिलने से लाभ कम और नुकसान अधिक होगा। इसी को देखते हुए उन्होंने समय रहते इसे रद्द करवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। ग्रामीणों की आवाज अब सांसद के जरिए सीएम दरबार तक पहुंच चुकी है और नपा का दर्जा रद्द होने की संभावना जताई जा रही है।
बाढड़ा को वर्ष 2021 में जून के अंतिम सप्ताह में नपा का दर्जा देने की घोषणा की गई थी। नवगठित बाढड़ा नगर पालिका में साथ लगने गांव हंसावास को भी शामिल किया गया था। दर्जा मिलने के साथ ही दोनों गांवों के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था यहां तक मिठाइयां बांटी गई थी। लोगों में एक बड़ी आस जगी थी कि नगरपालिाक का दर्जा मिलने से बाढड़ा के विकास को पंख लगेंगे। लेकिन बीते करीब एक साल के दौरान उनकी उम्मीद के अनुरूप नगरपालिका के जरिए कोई विशेष काम नहीं हुआ है। यहां तक की बाढड़ा बाजार की सफाई के लिए भी जो कर्मचारी रखे गए हैं वे व्यापारमंडल द्वारा रखे गए है और उनको सैलरी प्रतिमाह कस्बे के दुकानदारों से एकत्रित कर दी जाती है। हालांकि बाढड़ा में सचिवालय भवन के स्थान पर नपा का कार्यालय तो स्थापित कर दिया गया है लेकिन एक.दो बार अतिक्त्रमण हटाओ अभियान के अलावा अन्य कोई कार्य दिखाई नहीं दिया है जो नपा द्वारा करवाया गया हो।
नफा कम नुकसान अधिक: ग्रामीण
नगरपालिका का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि बाढड़ा व हंसावास में पूरी तरह से ग्रामीण आबादी है। केवल नपा का दर्जा थोपने से इनका शहरीकरण नहीं हो जाएगा। गांव को शहर में बदलने के लिए वहां विकास कायोंर् की आवश्यकता होती है। लेकिन फिलहाल बाढड़ा में इस प्रकार की कोई योजना दिखाई नहीं दे रही है। ग्रामीणों का कहना है कि नपा का दर्जा दिए जाने से उन्हें अनावश्यक टैक्सए सरकार द्वारा नौकरी में मिलने वाली छूंट के अलावा दूसरा नुकसान उठाना पड़ेगा। इसलिए उन्हें नपा मंजूर नहीं है।
नपा में दोनों गांवों को मिलाकर हैं महज साढ़े पांच हजार वोट
नवगठित बाढड़ा नगरपालिका में हंसावास खुर्द व बाढड़ा दोनों गांवों को मिलाकर कुल 11 वाडोंर् में महज 5 हजार 546 वोट ही हैं जिसमें 2893 पुरुष व 2653 महिला वोटर शामिल हैं । इन 11 वार्ड में से वार्ड नंबर छह व सात हंसावास खुर्द के हैं और इन दोनों वाडोंर् के मिलाकर 1470 वोट हैं जबकि बाकि बचे नौ वार्ड बाढड़ा गांव के हैं जिनके 4 हजार 76 वोट हैं
रद्द करवाने के नेताओं व अधिकारियों को दे चुके ज्ञापन
गांव हंसावास व बाढड़ा के ग्रामीण नपा का दर्जा रद्द करवाने के लिए बाढड़ा एसडीमए संजय सिंह के अलावा विधायक नैना चौटाला व सांसद धर्मबीर सिंह को ज्ञापन देकर नपा का दर्जा रद्द करवाने की मंाग कर चुके हैं। वहीं सांसद द्वारा इन दोनों गांवों के ग्रामीणों की मंाग पर प्रदेश के सीएमए शहरी निकाय मंत्रीए मुख्य सचिव व अतिरिक्त मुख्य सचिव को यहां कम आबादी का हवाला देकर इसे रद्द करने की मंाग भी की जा चुकी है। इनके अलावा बुधवार को दोनों गांवों के ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त श्यामलाल पुनियांए बाढड़ा के पूर्व विधायक व वर्तमान में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंद्र मांढी व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को भी ज्ञापन सौंपा है।
कुछ लोग नपा को रखना चाहते हैं बरकरार
एक ओर जहां काफी संख्या में लोग नपा का दर्जा रद्द करवाने में जुटे हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोग नपा का दर्जा बरकरार रखने के पक्ष में भी है बकायदा वे इसके लिए बाढड़ा एसडीएम को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं। बीते तीन जून को ब्रह्मा व्यापार मंडल पदाधिकारियों द्वारा एसडीएम को ज्ञापन देकर नपा का दर्जा बरकरार रखने की मंाग कर चुके हैं। इसके अलावा दूसरे गांवों से आने वाले कस्बे के कुछ दुकानदार भी सामने आए बिना नपा का दर्जा बरकरार रखने के पक्ष में हैं।
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