डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : डिजिटल इकोनॉमी की गति बढ़ेगी

जिस तरह 23 मई से 7 जून तक लोगों के द्वारा बैंकों में अपने 2000 रुपयों के नोटों को जमा कराया गया है, उससे चलन में मौजूदा करीब 50 फीसदी 2000 के नोट बैंकों में जमा हो गए हैं यानी 1.8 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आए हैं और इससे बैंकों में नकदी बढ़ी है। ऐसे में अब 2000 रुपये के नोट जमा होने पर बैंकों के पास लिक्विडिटी की कमी का संकट कम हो जाएगा और ऋण की दरें नहीं बढ़ेगी। इस समय बैंकों में जिस तरह संतोषप्रद तरीके से 2000 रुपये के नोटों की वापसी हो रही है और इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीसदी लोग नोट जमा कराने का विकल्प चुन रहे हैं, वह अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद होगा।
हाल ही में 8 जून को भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में कहा गया कि आरबीआई के द्वारा 2000 रुपये के नोटों के चलन से वापस लिए जाने के फैसले के बाद जिस तरह 23 मई से 7 जून तक लोगों के द्वारा बैंकों में अपने 2000 रुपयों के नोटों को जमा कराया गया है, उससे चलन में मौजूदा करीब 50 फीसदी 2000 के नोट बैंकों में जमा हो गए हैं यानी 1.8 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आए हैं और इससे बैंकों में नकदी बढ़ी है। ऐसे में अब 2000 रुपये के नोट जमा होने पर बैंकों के पास लिक्विडिटी की कमी का संकट कम हो जाएगा और ऋण की दरें नहीं बढ़ेगी। इससे आम आदमी से लेकर उद्योग-कारोबार और संपूर्ण अर्थव्यवस्था लाभान्वित होगी।
गौरतलब है कि पिछले दिनों 30 मई को एसबीआई की रिपोर्ट ‘इकोरैप’ में कहा गया है कि आरबीआई के निर्देशानुसार 23 मई से लेकर 30 सितंबर तक 2 हजार रुपये के नोटों को बैंक खातों में जमा कराया जा सकेगा या ये नोट बैंकों में जाकर छोटे मूल्य के नोटों के रूप में बदले जा सकेंगे। ऐसे में इको रैप की नई रिपोर्ट के तहत रुझान बताता है कि बैंकों में प्राप्त कुल 2,000 रुपये के नोटों में से लगभग 80 प्रतिशत जमा किए गए हैं और शेष 20 प्रतिशत को छोटे मूल्य के नोटों से बदला गया है। यदि नोटों के जमा होने का ऐसा मौजूदा अनुमान ही बना रहता है और 30 सितंबर तक 2,000 रुपये के अधिकांश नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ जाएंगे तो ऐसे में बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। चूंकि अब तक कर्ज की तुलना में बैंक डिपॉजिट कम होने से बैंकों के पास लिक्विडिटी की कमी थी, इसलिए बैंक डिपॉजिट आकर्षित करने के लिए फिक्स डिपॉजिट (एफडी) पर आकर्षक ब्याज दे रहे थे।
आरबीआई का रेपो रेट अभी 6.50 प्रतिशत है। मई 2022 से फरवरी 2023 तक इसमें 2.50 प्रतिशत बढ़ोतरी हो चुकी है। इसी के मुताबिक बैंकों ने भी होम लोन और पर्सनल लोन पर ब्याज दरें बढ़ाई हैं। गौरतलब है कि 2000 रुपये के नोट के चलन को बंद करने के फैसले के बाद आरबीआई ने कहा है कि ये फैसला नोटबंदी के बाद पैदा हुई ज़रूरतों को पूरा करने के मद्देनजर लिया गया है और यह उद्देश्य बाजार में कम मूल्य के अन्य नोट पर्याप्त मात्रा में आ जाने के बाद पूरा हो गया है। रिज़र्व बैंक ने दो हज़ार रुपये के नोटों को वापस लेते हुए यह भी कहा है कि ये निर्णय बैंक की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत किया जा रहा है। क्लीन नोट पॉलिसी यह सुनिश्चित करती है कि लोगों के बीच अच्छी गुणवत्ता के नोट पहुंचे। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था।
इसके बाद पूरे देश में 500 और 1000 रुपये के नोट बंद हो गए थे, जो उस समय पूरी करेंसी सर्कुलेशन के कुल 86 प्रतिशत थे। नोटबंदी के फैसले से काला धन एवं नकली नोट पर रोक आतंकवाद पर अंकुश और देश को डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ाने की बात कही गई थी। ज्ञातव्य है कि 2000 रुपये का यह नोट नवंबर 2016 में बाजार में तब आया था। जब केंद्र सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद किए थे और इनकी जगह 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे। रिजर्व बैंक की अगस्त, 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि 500 और 1000 रुपये के 99.30 प्रतिशत पुराने नोट वापस बैंकों में जमा हो गए। यानी इन रुपयों से प्रचलन में रहा करीब-करीब सम्पूर्ण रुपया बैंकों में जमा हो गया।
यद्यपि दो हजार रुपये के नोट जारी करते हुए आरबीआई ने दावा किया था कि इसमें सुरक्षा के जो फीचर रखे गए हैं, उनकी नकल करना काफी मुश्किल है। फिर भी ऐसा नहीं हुआ, जाली नोटों की समस्या अभी बनी हुई है। आरबीआई के अनुसार वर्ष 2016 से 2023 के बीच बाजार में नकली नोटों की संख्या करीब 10.7 प्रतिशत बढ़ गई है। नोटबंदी के बाद से अब तक जितने भी जाली नोट पकड़े गए हैं, उनमें करीब 60 प्रतिशत 2000 रुपये के नोट रहे हैं। इतना ही नहीं मई 2023 में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से जो धनराशि पकड़ी गई उसमें भी 2000 रुपये के नोट हैं। उल्लेखनीय है कि 2000 रुपये के नोट को वर्ष 2019 के बाद से ही छापना बंद कर दिया था। यदि हम आंकड़ों की ओर देखें तो पाते हैं कि देश में 31 मार्च, 2018 को 6.73 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 2000 रुपये के नोट प्रचलन में थे।
जो देश में प्रचलन के कुल नोटों का 37.3 फीसदी थे जो मई 2023 में यह हिस्सेदारी घटकर करीब 3.62 लाख करोड़ रुपये रही है जो प्रचलन में नोटों का 10.8 प्रतिशत है। यदि हम 23 मई से 2000 रुपये के नोट वापस लिए जाने के निर्णय के लागू होने के बाद से सात जून 2023 तक के परिदृश्य को देखें तो पाते हैं कि बैंकों ने वर्ष 2016 में नोटबंदी के समय की अफरा-तफरी से सीख लेते हुए इस बार 2000 रुपये के नोट बदलने और जमा करने के लिए सहराहनीय कदम उठाएं हैं। देश के कोने-कोने में बैंक विशेष काउंटकर लगाकर नोट बदल रहे हैं। कई बैंकों में लोगों को धूप से बचाने के लिए शेड हैं और पानी का प्रबंध भी है। स्टेट बैंक सहित अधिकांश बैंकों में जहां 2000 रुपये के 10 नोट यानी 20,000 रुपये तक बदलने के लिए किसी तरह के पर्ची नहीं भराई जा रही है। यदि हम बाजार की ओर देखें तो पाते हैं कि 2000 रुपये के नोट वापस लेने के फैसले के बाद रियल एस्टेट और सोने जैसी महंगी चीज़ों की मांग बढ़ी है।
ज्वेलर्स की दुकानों पर लोग अपने 2000 के नोट को गहनों में इन्वेस्ट कर रहे हैं। इस फैसले का कुछ बुरा असर कृषि और निर्माण जैसे छोटे व्यवसायों पर पड़ा है। ऐसे क्षेत्र जहां आज भी डिजिटल ट्रांजेक्शन के मुकाबले ज्यादा लोग नकदी का इस्तेमाल करते हैं उन्हें भी कुछ असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। मौद्रिक नीति की ओर देखें तो पाते हैं कि 2,000 रुपये का नोट वापस लिए जाना बड़ी घटना नहीं है। इससे मौद्रिक नीति पर बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि 23 मई से नोट वापसी के साथ-साथ मनी मार्केट और नकदी की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है और पिछले कुछ दिनों में वित्तीय बाजार की दरों और बॉन्ड प्रतिफल में कमी आई है। इसके अलावा 19 मई को आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्र सरकार को लाभांश के रूप में 87,716 करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का जो फैसला किया उससे भी बाजार धारणा अनुकूल हुई है। इन दो घटनाओं से अर्थव्यवस्था में नकदी स्तर में और सुधार होगा और आने वाले महीने में वाणिज्यिक पत्र और जमा प्रमाणपत्र की ब्याज दरों में और नरमी आने की उम्मीद है।
हम उम्मीद करें कि इस समय बैंकों में जिस तरह संतोषप्रद तरीके से 2000 रुपये के नोटों की वापसी हो रही है और स्टेट बैंक की इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीसदी लोग नोट जमा कराने का विकल्प चुन रहे हैं, वह अर्थव्यवस्था व आम आदमी के लिए लाभप्रद होगा। साथ ही नोटों की वापसी से डिजिटल अर्थव्यवस्था को तेज गति मिलती दिखाई देगी।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी (ये लेखक के अपने विचार हैं।)
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