सोच- समझकर करें पानी का प्रयोग : 12 दिसंबर को आएगा नहरों में पानी, तब तक राशनिंग से आपूर्ति करेगा जनस्वास्थ्य विभाग

सोच- समझकर करें पानी का प्रयोग : 12 दिसंबर को आएगा नहरों में पानी, तब तक राशनिंग से आपूर्ति करेगा जनस्वास्थ्य विभाग
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जिला महेंद्रगढ़ में अधिकांशतया नहरी पानी आधारित परियोजनाओं के जरिए लोगों के पीने के पानी की आपूर्ति की जाती है। इस बार यहां की नहरों में पानी दो दिसंबर को आना था, लेकिन यह पानी अब दस दिन बाद पाएगा।

नारनौल। जिले की नहरों में इस बार निर्धारित समय पर पानी नहीं आने से मुख्यालय ही नहीं, अपितु जिले के अनेक गांवों में भी पीने के पानी का संकट खड़ा होने वाला है। इन हालातों में प्रत्येक व्यक्ति को पानी की एक-एक बूंद बहुत सोच-सम­झकर इस्तेमाल करने की आवश्यकता होगी। नहरी पानी दो दिसंबर को आना था, लेकिन अब यह दस दिन बाद आएगा और तब तक जनस्वास्थ्य विभाग पानी की आपूर्ति उपलब्ध पानी की कटौती करके आपूर्ति करेगा।

बता दें कि जिला महेंद्रगढ़ में अधिकांशतया नहरी पानी आधारित परियोजनाओं के जरिए लोगों के पीने के पानी की आपूर्ति की जाती है। इस बार यहां की नहरों में पानी दो दिसंबर को आना था, लेकिन यह पानी अब दस दिन बाद करीब 12 दिसंबर तक आ पाएगा। जिले की नहरों में पानी खूबडू हैड से आता है। खूबडू हैड से जब पानी छोड़ा जाता है तो वह रेवाड़ी जिला के कोसली क्षेत्र से होते हुए कनीना की मुख्य नहर से जिला महेंद्रगढ़ में प्रवेश करता है और खूबडू हैड से नारनौल तक आते-आते करीब दो दिन का समय लग जाता है। पिछली बार नारनौल में 13 दिसंबर तक पानी चला था और यह करीब 20 दिन बाद दो दिसंबर से आना था, लेकिन अब पानी 20 की बजाए 30 दिन बाद 12 दिसंबर तक आ पाएगा। नहर विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि जिला ­ाज्जर एवं रोहतक में नहरों की मरम्मत का कार्य चलने के चलते इस बार खूबडू हैड से पानी छोड़ने में करीब दस दिन की देरी होगी। दूसरी ओर सूत्र यह भी बताते हैं कि नहरों की मरम्मत का कार्य जिला महेंद्रगढ़ में भी चला हुआ है। एनबी-6 से जुड़ी नहर सीसी की बनाई जा रही है। इसमें पानी की क्षमता बढ़ाने पर भी कार्य चल रहा है, जिस कारण नहर में पानी नहीं छोड़ा जा सकता।

जनस्वास्थ्य विभाग के टैंक सूखने लगे

नहरों में निर्धारित समय पर पानी नहीं आने से जनस्वास्थ्य विभाग के पानी स्टोरेज के बनाए गए वाटरटैंक अब सूखने लगे हैं। चाहे वह लहरोदा, नसीबपुर एवं हुडा सेक्टर में बनाए गए वाटर टैंक हों या फिर पटीकरा एवं रेवाड़ी रोड कैलाश नगर के वाटर टैंक हों। इन समेत सभी वाटरटैंकों में पानी की हालत खस्ता है और इनका जलस्तर रोजाना घटता जा रहा है।

जनस्वास्थ्य विभाग कर रहा कटौती:

नहरों में पानी नहीं आने के कारण जनस्वास्थ्य विभाग ने पानी की आपूर्ति में कटौती करनी शुरू कर दी है। विभाग के वाटरटैंकों में जो थोड़ा बहुत पानी बचा है, उसे अगले दस-बारह दिन तक राशनिंग करके आपूर्ति किया जाएगा। इन हालातों में जनस्वास्थ्य विभाग नलकूपों का भी सहारा लेगा। नारनौल शहर में विभाग के पास लगभग एक दर्जन नलकूप हैं।

सूखाग्रस्त क्षेत्र में नहरों से मिलता है पीने का पानी

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित जिला महेंद्रगढ़ की भौगोलिक पृष्ठभूमि राजस्थान के रेगिस्तान से मिलती-जुलती होने के कारण वहां की भांति ही यहां भी जल संकट बना रहता है। जल संकट के यह हालात भू-जल स्तर के करीब डेढ़-दो हजार फुट तक गिर जाने के कारण बना हुआ है और इसी कारण सरकार ने भी जिले के अधिकांश भू-भाग में डार्क जोन घोषित किया हुआ है, जिस कारण डार्क जोन में किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए ट्यूबवैल बनाने एवं बिजली कनेक्शन लेने तक की अनुमति नहीं है। इस मामले में जिला मुख्यालय यानि नारनौल की हालत सबसे खराब है। यहां का भू-जल में अधिक फैलोराइड होने के कारण यह पानी पीने ही नहीं, नहाने-धौने योग्य भी नहीं है। इस कारण लगभग समूचा शहर नहरी पानी आधारित पेयजल योजनाओं पर पूर्णतया से निर्भर करता है। कुछ ऐसे ही हालात नांगल चौधरी ब्लॉक व नारनौल खंड के गांवों के भी हैं। महेंद्रगढ़ शहर ही नहीं, वहां के गांव एवं सतनाली ब्लॉक में भी यही समस्या बनी हुई है। बरसात में कमी आने से सूखे के यह हालात यहां से गुजरने वाले नदियों कृष्णावति व दोहान नदियों पर राजस्थान की सीमा में बड़े-बड़े बांध बनाकर पानी वहीं रोक लेने से भी बने हैं। जोरासी की तरफ से बहकर नारनौल के बीच से गुजरने वाली छलक नदी का तो लंबे समय से सूखी रहने एवं अतिक्रमण बढ़ने से स्वरूप ही नाले के रूप में बदल गया है। इस कारण सरकार यहां पर कैंपा-कोला से भी महंगा पानी नहरों के जरिए भेजती है और विभिन्न नहरी पेयजल योजनाओं के जरिए शहरों एवं गांवों में पीने के पानी की आपूर्ति की जाती है। हालांकि फिलहाल सर्दी का मौसम बना हुआ है। यदि गर्मी होती तो हालात और भी विकराल यानि बेकाबू होते।

यह कहते हैं अधिकारी

जनस्वास्थ्य विभाग के एसडीओ अशोक डागर एवं जेई प्रियवीर ने संयुक्त रूप से बताया कि नहरों में पानी नहीं आने के कारण उपलब्ध पानी में से कटौती करके पेयजलापूर्ति करने का प्रयास रहेगा। नलकूपों के साथ-साथ वाटरटैंकों की भी मदद की जाएगी। दो सरकारी वाटर टैंकर हैं, जबकि निजी वाटरटैंकों से स्कूल, कॉलेज एवं अस्पताल आदि में आपूर्ति की जाएगी। आम जनता को पानी उपलब्ध करवाने का प्रयास करेंगे, लेकिन इन हालातों में लोगों को भी शांति एवं धैर्य से काम लेने के साथ-साथ एक-एक बूंद को सोच-सम­ाकर इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। फर्श व गाड़ी धौने तथा पशुओं को नहलाने एवं घरेलू पार्कों की सिंचाई नल के जरिए बंद करनी होगी। पानी की बर्बादी हर हाल में रोकनी होगी। जब लोग अपना नल बंद करेंगे, तभी प्रेशर कम रहने पर अंतिम छोर तक पानी पहुंच सकेगा।

नहर विभाग के कार्यकारी अभियंता नवीन भार्गव ने बताया कि नहरों में पानी इस बार 12 दिसंबर तक आएगा। जिला ­ाज्जर एवं रोहतक में नहरी लाइनों की मरम्मत के चलते यह देरी होगी। इसी के मद्देनजर जनस्वास्थ्य विभाग एवं नहर विभाग के एसई स्तर के अधिकारियों की मीटिंग हो चुकी है तथा दोनों अधिकारियों में सहमति बनने पर ही यह निर्णय लिया गया था।

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