लीज की बसों के चालक बेलगाम, अंकुश लगाने में अफसर नाकाम

- एनएच 152-डी जाने वाली लीज की बस का चालक 100 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक की रफ्तार पर बार-बार मोबाइल फोन पर मस्ती से बात करता रहा। इससे यात्रियों की जान जोखिम में पड़ी रही। बस में सफर कर रहे एक यात्री ने चालक का वीडियो बनाकर उसे ‘हरिभूमि’ के साथ शेयर किया है।
नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी। रोडवेज में अनुबंध के आधार पर दौड़ रही लीज की बसों के चालक यात्रियों की जान से लगातार खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे बस चालकों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने में अफसर भी नाकाम साबित हो रहे हैं। बुधवार को रेवाड़ी डिपो से चंडीगढ़ के लिए चली एक बस ने अंबाला के पास हादसे को अंजाम दिया, तो चंडीगढ़ के लिए वाया एनएच 152-डी जाने वाली लीज की बस का चालक 100 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक की रफ्तार पर बार-बार मोबाइल फोन पर मस्ती से बात करता रहा। इससे यात्रियों की जान जोखिम में पड़ी रही। बस में सफर कर रहे एक यात्री ने चालक का वीडियो बनाकर उसे ‘हरिभूमि’ के साथ शेयर किया है।
सुबह लगभग साढ़े 5 बजे लीज की एक बस चंडीगढ़ के लिए बस स्टैंड से रवाना हुई थी। यह बस वाया एनएच 152-डी चंडीगढ़ जाती है। यात्रियों के अनुसार,नेशनल हाइवे पर रफ्तार पकड़ने के साथ ही बस चालक ने मोबाइल फोन कान पर लगा लिया। वह लगातार करीब 10 मिनट तक बात करता रहा। इस दौरान कुछ यात्रियों ने आपत्ति भी की, परंतु चालक की सेहत पर इसका कोई असर नहीं हुआ। यात्रियों के अनुसार बस 100 किमी प्रति घंटा से अधिक की रफ्तार कर रही थी, परंतु चालक को यात्रियों की जान की कोई परवाह नहीं थी। एक बस यात्री ने चालक अपने मोबाइल फोन से चालक के मोबाइल फोन पर बात करने का वीडियो बनाकर ‘हरिभूमि’ के साथ सांझा किया। लीज पर ही चलने वाली इस डिपो की एक बस ने अंबाला के पास एक छात्र को गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसके बाद गुस्साए छात्रों ने बस को क्षतिग्रस्त कर दिया। इन बसों से आए दिन हादसों को बढ़ावा मिल रहा है। बदनामी का दाग रोडवेज विभाग पर लग रहा है।
रोडवेज चालकों पर गिरती गाज
अगर कोई रोडवेज बस का चालक मोबाइल फोन पर बात करते हुए पकड़ा जाता है, तो विभाग के अधिकारी उसे तुरंत सस्पेंड कर देते हैं। यह एक्शन लीज पर चलने वाली बसों के चालकों पर नहीं लिया जाता। लीज की बसों के चालकों पर ज्यादा से ज्यादा एक हजार रुपये जुर्माना कर दिया जाता है। कुछ मामलों में ठेकेदार बस चालक को कुछ दिन के लिए हटा देते हैं। बाद में वही चालक फिर से बस चलाने लगते हैं। ऐसे में लीज पर चलने वाली बसों के चालकों पर लगाम लगाना मुश्किल बना हुआ है।
बसों की सर्विस भी समय पर नहीं
लीज पर चल रही अधिकांश बसों की समय पर सर्विस या रिपेयर तक नहीं पाती। लगातार रूटों पर चलने वाली बसों को सर्विस कराने के लिए एक दिन का समय चाहिए। ठेकेदार को संबंधित बस के स्थान पर निर्धारित समय पर दूसरी बस भेजनी पड़ती है। ऐसे में इन बसों की मेंटिनेंस की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। कई बसों की हालत खस्ता बनी रहती है। इनके टायर भी कभी भी जवाब दे सकते हैं। पूर्व में कई बार ऐसी बसों से हादसे हो चुके हैं, परंतु इस दिशा में सकारात्मक कदम नहीं उठाए जा रहे।
लीज की शर्तों के अनुसार एक्शन
अगर लीज पर चलने वाली बस का चालक मोबाइल फोन यूज करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ लीज की शर्तों के अनुसार ही एक्शन लिया जाता है। इस बस चालक के खिलाफ भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। - देवदत्त, जीएम, रोडवेज
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