मंडे मेगा स्टोरी : अब खेतों में खाद और दवाई का छिड़काव करेंगे ड्रोन, सरकार देगी 40 से 75% सब्सिडी, किसान ऐसे उठा सकते हैं लाभ

मंडे मेगा स्टोरी : अब खेतों में खाद और दवाई का छिड़काव करेंगे ड्रोन, सरकार देगी 40 से 75% सब्सिडी, किसान ऐसे उठा सकते हैं लाभ
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अब किसानों को खेतों में ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी, बल्की स्मार्ट तरीके से खेती की ओर कदम बढ़ाना होगा। इससे मानव श्रम बचेगा और मजदूरों की कमी से भी नहीं जूझना पड़ेगा। किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

विनोद कौशिक : रोहतक

अब किसान हाईटेक होंगे। मोबाइल पर मौसम, मंडियों में सब्जियों और फसलों के भाव की जानकारी मिलेगी। वहीं, जल्द खेतों में ड्रोन खाद और दवाई छिड़कते नजर आएंगे। अब किसानों को खेतों में ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी, बल्की स्मार्ट तरीके से खेती की ओर कदम बढ़ाना होगा। इससे मानव श्रम बचेगा और मजदूरों की कमी से भी नहीं जूझना पड़ेगा। किसानों की आमदनी बढ़ेगी। किसान डिजिटल युग में प्रवेश करेगा। कुछ ऐसी तैयारी कर रही है केंद्र और राज्य सरकार।

केंद्रीय बजट में भी यह झलक साफ दिखाई दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को आम बजट में किसानों के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। इससे किसानों की गरीबी दूर होगी। सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए कृषि ऋण लक्ष्य को चालू वित्त वर्ष के 16.50 लाख करोड़ से बढ़ाकर 18 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। वर्ष 2023 को 'मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष' घोषित किया गया है।

पांच से दस लाख तक होगी कीमत

सभी किसानों के लिए ड्रोन खरीदना संभव नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये काफी महंगे हैं। 20-30 लीटर की क्षमता वाले ड्रोन की कीमत 5 से 10 लाख रुपये तक होगी। ऐसे में कई ड्रोन कंपनियों ने किसानों को किराए पर ड्रोन देने की स्कीम लॉन्च की है। एग्री ड्रोन कंपनियों ने प्रति एकड़ करीब 400 रुपये किराया निर्धारित किया है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि लिथियम-आयन बैटरी से चलने वाले ड्रोन की कीमत छह लाख और एथेनॉल ईंधन से चलने पर ड्रोन की कीमत लगभग 1.5 लाख रुपये होगी। इस राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी भी दी जाएगी। किसान ड्रोन की यदि किसान समूह खरीदते हैं तो सरकार की तरफ से 75 प्रतिशत अनुदान मिलता है। यदि कस्टम हायरिंग सेंटर या किसान निजी तौर पर खरीदता है तो उसे 40 फीसदी केंद्र सरकार की तरफ से अनुदान दिया जाता है।

सटीक अंदाजा लग सकेगा

फसलों की बुआई के लिए भी एग्री ड्रोन का इस्तेमाल होगा। टेक्नोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के शामिल होने से फसल की मॉनिटरिंग और न्यूट्रियंट मैनेजमेंट भी किया जाता है। फसल सटीक अंदाजा लग सकेगा।

ऐसे काम करेगा

किसान ड्रोन में एक टैंक होगा, जिसमें 10 लीटर तक कीटनाशक भरा जाएगा। इसके बाद यह 15 मिनट में ही एक एकड़ जमीन पर कीटनाशक का बराबर छिड़काव कर देगा। नैनो यूरिया खाद व पौषक तत्वों का छिड़काव भी करेगा।

पायलट ट्रेनिंग के लिए देश में 40 स्कूल

भारत में ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग देने वाले अभी करीब 40 स्कूल हैं जो डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) से अप्रूव्ड हैं। ड्रोन की डिमांड को देखते हुए कई और स्कूल खोले जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश में इस वक्त 1,000 से ज्यादा ड्रोन पायलटों की कमी है।

यह मिलेगी वित्तीय मदद

हरियाणा में किसान ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी मदद करेगा। सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेलाइनजेशन (स्मैम) स्कीम के तहत यह मदद दी जाएगी। ड्रोन के प्रदर्शन एवं खरीद के लिए केवीके/आईसीएआर संस्थान और एफएमटीटीआईएस द्वारा 100% वित्तीय मदद दी जाएगी। किसान उत्पादन संगठन (एफपीओएस) को 75% पर वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी।

यह करना होगा किसानों को

योजना के तहत ड्रोन खरीदने के इच्छुक किसान उत्पादन संगठनों को अपना प्रस्ताव एवं ड्रोन के अंतर्गत कवर किए गए ड्रोन क्षेत्रफल का विवरण कृषि और किसान कल्याण विभाग को देना होगा।

किराए पर भी ले सकेंगे

यदि कोई एजेंसी ड्रोन खरीदना नहीं चाहती तो निर्माताओं से प्रदर्शन के लिए ड्रोन को किराए पर लिया जा सकता है। इस पर विभाग किसानों के खेतों में प्रदर्शन हेतु ड्रोन/ड्रोन पायलट के लिए 100 प्रतिशत वित्तीय सहायता के रूप में 6 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर (2 हजार 400 रुपये प्रति एकड़) किराए के लिए देगा। खरीद एजेंसी को 3 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर (1200 रुपये प्रति एकड़) के हिसाब से वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह प्रावधान 31 मार्च 2023 तक लागू रहेगा। एक ड्रोन की अधिकतम कीमत 10 लाख रुपये रखी गई है, जिस पर अधिकतम 4 व 5 लाख रुपये का अनुदान दिया मिलेगा।

ये है गाइडलाइन

सीएचसी/हाई-टीच हब/सहकारी समिति/ एफपीओएस को 40 प्रतिशत का अधिकतम 4 लाख और कृषि स्नातक को सीएचसी/हाई-टीच हब/सहकारी समिति के लिए 50 प्रतिशत या 5 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। इसके लिए सभी एजेंसियों द्वारा विमानन मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा।

हिसार के लाडवा गांव में स्प्रे किया

हिसार के लाडवा गांव में एग्रीनर्स किसान समूह ने ड्रोन तकनीक का पहली बार प्रयोग किया । यहां उन्होंने फसल पर कीटनाशक स्प्रे किया। किसान समूह का कहना है कि ड्रोन के जरिए स्प्रे करने से कीटनाशकों की खपत कम होगी और जमीन भी खराब होने से बचेगी। यह तकनीक इफको के सहयोग से एग्री नर्स किसान समूह के किसानों तक पहुंची है। यह ड्रोन एक दिन में 15 से 30 एकड़ जमीन में स्प्रे कर सकता है। एग्रीनर्स में समूह इसे 120 किसानों के लिए खरीदेगा।

5 किमी. में कर सकते हैं स्प्रे

इस तकनीक के जरिए एक जगह बैठकर पांच किलोमीटर की परिधि में फसल पर निगरानी की जा सकती है और स्प्रे किया जा सकता है। ड्रोन की मदद से 80 प्रतिशत तक दवा पौधे तक पहुंचेगी वहीं अब नैनो यूिरया का भी ड्रोन के जरिए फसल पर स्प्रे किया जा सकता है। इससे किसानों को बड़ी मदद मिलेगी।

भारत की ड्रोन इंडस्ट्री

भारत में ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। पिछले करीब दो साल में ड्रोन की डिमांड में 15 गुना तक तेजी आई है। ड्रोन इंडस्ट्री अभी करीब 5,000 करोड़ की है। सरकार का अनुमान है कि यह 5 वर्षों में 15 से 20 हजार करोड़ की इंडस्ट्री होगी।

हरियाणा में ड्रोन अथॉरिटी का गठन : सीएम मनोहर

प्रदेश सरकार ने पहले ही ड्रोन अथॉरिटी का गठन किया हुआ है। ड्रोन से किसानों की फसलों का आकलन, दस्तावेजों का डिजिलिटिकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव करने के लिए किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए वित्तीय मदद भी मुहैया कराई जाएगी। किसानों के लिए पीपीपी मोड़ पर नई योजनाएं शुरू की जाएंगी। -मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा

केंद्र की गाइडलाइन

एरिया की मार्किंग की जिम्मेदारी ड्रोन ऑपरेटर की होगी।

ड्रोन ऑपरेटर अप्रूव्ड इंसेक्टिसाइड का ही उपयोग कर सकेंगे।

इंसेक्टिसाइड का इस्तेमाल अप्रूव्ड कंसंट्रेशन और हाइट पर ही होगा।

फर्स्ट एड फैसिलिटी ऑपरेटर की ओर से ही प्रोवाइड कराई जाएगी।

ड्रोन को उड़ाने के 24 घंटे पहले अथॉरिटी को इसकी जानकारी देनी होगी।

ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के अधिकारी के साथ-साथ कृषि अधिकारी को ये जानकारी लिखित में देनी होगी

ड्रोन उड़ाने के लिए पायलट ट्रेनिंग होगी।

डीजीसीए सर्टिफाइड पायलट उड़ा सकेंगे।

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