बढ़ते निगम व शहरीकरण के कारण बदलेगी पंचायतों की तस्वीर, प्रदेश में ग्राम पंचायतों के चुनावों से पहले होगा एक बड़ा होमवर्क

योगेंद्र शर्मा : चंडीगढ़
प्रदेश के अंदर जैसे-जैसे नए नगर निगमों के गठन के साथ ही शहरीकरण बढ़ता जा रहा है, उसका सीधा-सीधा प्रतिकूल ग्राम पंचायतों पर देखा जाने लगा है। प्रदेश के अंदर एक दौर में 68 सौ ग्राम पंचायतों की संख्या हुआ करती थीं लेकिन बढ़ते शहरीकरण ने ग्रामीण तस्वीर को तगड़ा झटका दिया है। पंचायतों की संख्या लगातार नीचे खिसक रही है। नूतन साल 2021 फरवरी में पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। इसके ठीक पहले नई पंचायतों, समितियों के चुनाव कराने होंगे लेकिन इससे पहले पंचायत विभाग और हरियाणा चुनाव को लंबा चौड़ा होमवर्क करना होगा।
भरोसेमंद उच्चपदस्थ सूत्र बताते हैं कि भले ही राज्य चुनाव आयोग की ओऱ से भरपूर तैयारी का दावा किया जा रहा हो, इससे पहले हरियाणा के पंचायत विभाग को भी खासी तैयारी करनी होगी। पंचायत विभाग के रोल की बात करें, तो उन्हें नई घोषणा के हिसाब से पचास फीसदी पंचायतों के पद महिलाओं को देने होंगे। इसी बार से यह घोषणा लागू होने जा रही है। इसके अलावा बीसी वर्ग का आरक्षण लाटरी द्वार और अनुसूचित जातियों का आऱक्षण उनकी संख्या बल के हिसाब से फैसला चुनावों से पहले पहले करना होगा। विभागीय आला अफसरों ने इस पर अभी से माथापच्ची की शुरुआत कर दी है।
पानीपत और रोहतक को छोड़कर सभी स्थानों पर होगा होमवर्क
सूबे में तेजी से बढ़ते शहरीकरण औऱ नए निगमों की घोषणा के कारण पंचायती क्षेत्रों का खाका पूरी तरह से बदल चुका है। राज्य चुनाव आयोग हरियाणा चुनाव आयुक्त भी मानते हैं कि जो ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में चली गई हैं, उनको हटाकर ही आंकलन होगा।, वार्डबंदी, सीटों का निर्धारण, आरक्षण कईं तरह की चुनौतियां हैं। सूबे में लगभग 75 ग्राम पंचायतों पर दोबारा से काम करने की जरूरत है। हालांकि विधानसभा वाली वोटर सूचियों के हिसाब से ग्राम पंचायतों में वोटर लिस्ट इस्तेमाल होंगी। चुनाव आयुक्त बताते हैं कि विधानसभा वाली लिस्टों पर काम होगा, काफी हद तक होमवर्क कर लिया गया है। लेकिन काफी काम पंचायत विभाग को करना होगा, जिसके बाद में आयोग का काम शुरू होगा।
64 सौ के लगभग पंचायतों में चुनावों की तैयारी
इस बार लगभग 64 सौ पंचायतों में चुनावों की तैयारी की जा रही है। पंचायत विभाग हो या फिर चुनाव आयोग के आला अफसरों का कहना है कि कोविड औऱ अन्य तरह की कईं चुनौतियां भी सामने हैं। अगर सभी कुछ सामान्य रहा, तो ही समय पर चुनाव होंगे वर्ना इसमें कुछ देरी भी हो सकती है। यहां पर उल्लेखनीय है कि "फरवरी-2016" में 24 फरवरी को पांच साल का वक्त पूरा हो जाएगा। पंचायतों के चुनावों के साथ ही पंचायत समितियों और जिला परिषद के चुनाव कराने का एलान जनवरी में किसी भी वक्त हो सकता है।
अहम बात यह है कि केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनावों के लिए जो सूचियां तैयार की गईं थी, वहीं इन चुनावों के दौरान मान्य होंगी।पंचायतों के चुनाव एक बार नहीं कराकर कईं चरणों में कराए जा सकते हैं। इससे जहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी वहीं एक स्थान से दूसरे स्थान पर फोर्स आदि को शिफ्ट करने के लिए वक्त मिलेगा। दूसरा पंचायतों के चुनावों में आमतौर पर हरियाणा पुलिस ही सारी मैनेजमेंट व्यवस्था करती रही है।
चुनाव आयुक्त डा. दिलीप सिंह का कहना है कि पंचायत चुनावों को लेकर पहले से प्रक्रिया चला जा चुकी है। जिलों में अधिकारियों को निर्देश दिए थे। कुछ कार्य विभाग के स्तर पर होने हैं, आयोग अपनी पूरी तैयारी करने में जुटा हुआ है।
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