चौपट हो रही पढ़ाई : कोरोना ने फिर लगाया ब्रेक, बच्चे ऑनलाइन के सहारे, अभिभावक चिंतित

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
स्कूलों में अभी तक बच्चों का पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हुआ था कि कोरोना ने एक बार फिर पढ़ाई पर ब्रेक लगा दिया। संक्रमण के खतरे के बीच सभी स्कूल-कॉलेज बंद हैं और बच्चे घरों पर है। कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार को देखते हुए आगे भी स्कूल-कॉलेज खुलने के आसार नहीं हैं। ऐसे में अब ऑनलाइन पढ़ाई का ही विकल्प बचा है। लेकिन अभिभावक इसे खानापूर्ति ही मानते हैं।
बता दें कि झज्जर जिले में 932 सरकारी व गैर सरकारी विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में करीब एक लाख 85 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित है और अव्यवस्थित ढंग से ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। बीते साल कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के बाद स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई शुरू हुई तो अभिभावकों के साथ अध्यापकों ने भी राहत की सांस ली थी। लेकिन सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ था कि पहले प्रदूषण और फिर कोरोना के रफ्तार पकड़ने पर सुरक्षा के लिहाज से सभी स्कूल-कॉलेजों को बंद करा दिया गया। प्रतिदिन संक्रमित होने वाले मरीजों का आंकड़ा देखते हुए आगे भी स्कूल खुलने के आसार नहीं हैं।
बीर बरकताबाद के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिंदी अध्यापिका डॉ. अन्नू कुमारी के अनुसार शासन के निर्देशों की पालना करते हुए ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है। लेकिन चूंकि सब विद्यार्थियों के पास मोबाइल उपलब्ध नहीं है, तो ऑनलाइन कक्षा में 50 फीसद भी उपस्थिति नहीं हो पाती। ऐसे में सभी विद्यार्थियों के पास लिखित में होमवर्क भिजवाया जाता है। सिलेबस लगभग पूरा हो चुका है। व्हाट्सएप ग्रुप पर बनाकर बच्चों की शंकाओं को दूर किया जाता है।
राजकीय कन्या उच्च विद्यालय बामड़ोली की हिंदी प्राध्यापिका रेखा रानी के अनुसार गूगल मीट की मदद से ऑनलाइन कक्षाएं लगाई जा रही हैं। बेशक स्कूल बंद होने से बच्चों के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, लेकिन बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार का स्कूल बंद कराने का निर्णय सही है। बच्चों के ऑनलाइन पढ़ने में कोई बुराई नहीं है। हम नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षाएं लगाते हैं, फिर बच्चों को होमवर्क भेजते हैं। उनकी मदद के लिए वीडियो भी बनाकर भेजते हैं।
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