COVID-19 संकट से सलामती के लिए भगवान शिव की शरण में पहुंचे शिक्षा मंत्री कंवरपाल

COVID-19 संकट से सलामती के लिए भगवान शिव की शरण में पहुंचे शिक्षा मंत्री कंवरपाल
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रविवार को पूरे प्रदेश में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया। शिव भक्तों ने शिवालयों में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया और पूजा अर्चना की। दिन भर शिव मंदिरों में हर हर महादेव व बम बम भोले की गूंज रही।

हरिभूमि न्यूज : यमुनानगर

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पर्व रविवार को पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनाया गया। शिव भक्तों (Shiva Devotee) ने शिवालयों में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया और पूजा अर्चना की। दिन भर शिव मंदिरों में हर हर महादेव व बम-बम भोले की गूंज रही। वहीं हरियाणा के शिक्षा व वन पर्यावरण मंत्री कंवरपाल (Minister Kanwarpal) ने महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर शहर के गौरी शंकर मंदिर में भगवान शिव का दूध, गंगाजल व बेलपत्र समेत अन्य पदार्थों के साथ जलाभिषेक किया। उन्होंने कोविड-19 (COVID-19) संकट से जिले व प्रदेशवासियों की सलामती के लिए भगवान शिव की पूजा अर्चना की।

रविवार सुबह हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल जगाधरी स्थित प्राचीन श्री गौरीशंकर मंदिर में पहुंचे। उन्होंने मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया और जिले व प्रदेश के नागरिकों के लिए कोविड संकट से बचाव के लिए व उनके जीवन में खुशियों के लिए प्रार्थना की। शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहा कि शिव पूजा से सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है। जीवन में खुशियां आती हैं। व्यक्ति का मन क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान व लाभ से मुक्त हो जाता है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के चलते प्रदेश सरकार द्वारा मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं। जलाभिषेक करते समय सभी शिव भक्तों को नियमों का पालन करना चाहिए। उन्होंने महाशिवरात्रि पर्व की प्रदेशवासियों को बधाई दी। मौके पर श्री गौरी शंकर मंदिर एडहॉक कमेटी के सदस्य बलजीत गंभीर व ललित गुप्ता आदि मौजूद थे।

पहली बार कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर नहीं पहुंचे

खास बात यह रही कि इतिहास में पहली बार कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर नहीं पहुंचे। शिव भक्तों ने अपने घरों में रखे गंगाजल की बूंदों को शुद्ध पानी में डालकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। रविवार को शिव चौदस का प्रारंभ होते ही शिवालयों में शिव भक्त पहुंचने शुरु हो गए थे। इस दौरान मंदिरों में शिव भक्तों द्वारा स्वयं ही सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए जलाभिषेक किया गया। आलम यह रहा कि अधिकांश शिव मंदिरों में दिन भर शिव भक्त जलाभिषेक करने के लिए बेल पत्र, भांग और दूध लेकर मंदिरों में पहुंचते रहे।

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