शिक्षा मंत्री कंवरपाल बोले, नई शिक्षा नीति में दो लाख से अधिक सुझाव समायोजित, इसलिए ये है खास

चंडीगढ़
हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल (Kanwar Pal) ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा और संस्कारों का ज्ञान देने पर फोकस किया गया है ताकि वे आगे चलकर राष्ट्र को सही दशा व दिशा देने में सक्षम हो पाएं।
शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने कहा कि हाल ही में घोषित नई शिक्षा नीति में भी इस बात पर मुख्य रूप से बल दिया गया है कि देश का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे चाहे वह बेघर है या झोंपड़पट्टी या शहर में रहता है या गांव में रहता है या महानगरों के वातानुकूलित कमरों में रहता है । हर बच्चे को प्री-स्कूल से लेकर उच्चत्तर शिक्षा स्तर तक की शिक्षा उसकी सुविधा एवं सहजता से उपलब्ध करवाने के लिए इस नीति में आमूलचूल परिवर्तन किये गए हैं।
उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के वर्तमान युग में सभी के लिए साक्षर होना आवश्यक है इसीलिए बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने लोगों का आह्वान किया है कि वे अपने आसपास के निरक्षर व गरीब बच्चों को कम से कम साक्षर तो बनाना सुनिश्चित करें क्योंकि बच्चे देश की धरोहर और भावी राष्ट्रनिर्माता हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पहली बार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए पंचायती राज (Panchayati Raj), शहरी स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधियों से लेकर देश की संसद व राज्यों की विधानसभाओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ शिक्षा के महत्व व मकसद को बखूबी समझने वाले हर शिक्षाविद से सुझाव आमंत्रित किये गये और 2 लाख से अधिक सुझावों को नई शिक्षा नीति में समायोजित किया गया, जो इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की वीडियो कान्फ्रैंसिंग के माध्यम से विधिवत शुरुआत करने के बाद लोगों को जागरुक करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वैबिनार के माध्यम से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य स्वयं नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर हैं और उनकी पहल पर ही चंडीगढ़ में शिक्षाविदों की चार दिवसीय डिजिटल कॉन्कलेव का आयोजन किया गया था।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत की नींव तैयार करने वाली है। यह नीति 34 वर्षों के बाद घोषित हुई है। इस नीति की विशेषता स्कूली शिक्षा में भी आमूल-चूल परिवर्तन लाना है, जिसमें तीन बिन्दुओं पर फोकस किया गया है जैसे, किसी कारणवश शिक्षा बीच में छूट जाती है तो उसमें निरंतरता बनाना, प्री-स्कूल अवधारणा से शिशु शिक्षा पर जोर तथा शिक्षा के स्तर को वैश्विक स्तर पर ले जाना।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर अब तक हरियाणा ने जो पहल की है उसे देखते हुए लगता है कि राज्य निश्चित रूप से इसमें लीड लेगा।
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