नगर परिषद को डिफाल्टर बताने वाला बिजली निगम ही खुद निकला कर्जदार, चार साल से नहीं दिया टैक्स

नगर परिषद को डिफाल्टर बताने वाला बिजली निगम ही खुद निकला कर्जदार, चार साल से नहीं दिया टैक्स
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अब परिषद की ओर से बिजली निगम से 1 करोड़ 18 लाख 26 हजार रुपये का एमसी टैक्स वसूला गया है। टैक्स के रुपयों को बिजली निगम के अकाउंट में ट्रांसफर करवा दिया गया है। यानि टैक्स के रुपए एडजस्ट किए जाने के बाद अब बिजली निगम की ओर परिषद के करीब 20 लाख रुपये एडवांस में जमा हो गए हैं।

हांसी ( हिसार )

बिजली का बिल जमा नहीं करवाने पर नगर परिषद को डिफाल्टर बताने वाला बिजली निगम ही नगर परिषद का कर्जदार निकला। बिजली निगम द्वारा कुछ समय पहले ही परिषद को डिफाल्टर की श्रेणी में डाला गया था, परंतु अब बिजली निगम ही नगर परिषद का कर्जदार साबित हुआ है। दरअसल बिजली विभाग की ओर से चार साल तक परिषद का एमसी टैक्स नहीं चुकाया गया है। जिसके चलते बिजली विभाग का करीब सवा करोड़ रुपये एमसी बिल बकाया मिला है। बिजली निगम के लाखों रुपये के बिल के कर्ज में डूबे नगर परिषद ने आखिरकार टैक्स के रुपयों से पूरे बिल का भुगतान कर दिया है। ये टैक्स और कहीं से नहीं बल्कि बिजली निगम से ही वसूला गया है।

परिषद की ओर से बिजली निगम से 1 करोड़ 18 लाख 26 हजार रुपये का एमसी टैक्स वसूला गया है। टैक्स के रुपयों को बिजली निगम के अकाउंट में ट्रांसफर करवा दिया गया है। यानि टैक्स के रुपए एडजस्ट किए जाने के बाद अब बिजली निगम की ओर परिषद के करीब 20 लाख रुपये एडवांस में जमा हो गए हैं। बिजली निगम की ओर से जहां 4 साल तक एमसी टैक्स जमा नहीं करवाया गया था। वहीं परिषद की ओर से भी तीन साल से बिजली के बिलों का भुगतान नहीं किया गया था।

नगर परिषद को बिजली विभाग ने बिल न भरने पर डिफाल्टर घोषित कर दिया है। नगर परिषद के नाम से शहर में 37 बिजली के मीटर लगे हुए है। तीन साल से बिल न भरने पर परिषद का एक करोड़ 13 लाख रुपये का बिजली बिल भुगतान बाकी था। बिजली विभाग की ओर से कई बार परिषद को बिल न भरने पर कनेक्शन काटने के लिए नोटिस भी दिए थे। जिसके चलते 13 दिसबंर को बिजली विभाग की ओर से परिषद कार्यालय में लगे 9 कनेक्शन काट दिए गए थे। कनेक्शन काटे जाने के बाद परिषद की ओर से एमसी टेक्स के भुगतान को बिजली बिल के रूप में एडजेस्ट करवा दिया गया था। इसके बाद भी बिजली विभाग का कहना था कि अब भी लाखों रुपये का भुगतान बकाया है। जिसके बाद परिषद की ओर से अपने टैक्स के रिकार्ड का खंगाला गया। रिकार्ड देखने पर परिषद के अधिकारियों को पता चला कि बिजली निगम की ओर पिछले चार साल का लाखों रुपये एमसी टैक्स बकाया है।

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