ऐलनाबाद विधानसभा उप चुनाव : प्रत्याशी पोलिंग स्टेशन की 200 मीटर की परिधि में बूथ नहीं बना सकते, धारा-144 लागू

हरिभूमि न्यूज : सिरसा
जिलाधीश अनीश यादव ने ऐलनाबाद विधानसभा उप चुनाव 2021 के मद्देनजर 30 अक्टूबर को मतदान के दिन आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 की प्रदत्त: शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिला में धारा-144 लागू करने के आदेश जारी किए हैं।
आदेशों में कहा गया है कि मतदान के दिन राजनीतिक दल या अन्य प्रत्याशी पोलिंग स्टेशन की 200 मीटर की परिधि में बूथ नहीं बना सकते हैं। इसके अलावा एक उम्मीदवार एक ही बूथ बना सकता है। प्रत्येक बूथ में एक टेबल व दो कुर्सियां, छाया के लिए एक छाता/तिरपाल/कपड़ा लगाया जा सकता है। उम्मीदवार को बूथ लगाने से पहले संबंधित रिटर्निंग अधिकारी को लिखित में पोलिंग स्टेशन व बूथ नम्बर की जानकारी देनी होगी। साथ ही उम्मीदवार को स्थानीय अधिकारी जैसे नगर पालिका/पंचायती अधिकारी से लिखित में अनुमति लेनी होगी। ये सभी अनुमति पत्र बूथ में बैठे प्रतिनिधियों के पास होना जरूरी है जोकि पुलिस अथवा चुनाव अथॉरिटी को मांग करने पर दिखानी होंगी।
उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों द्वारा इन बूथों के माध्यम से मतदाताओं को केवल अनौपचारिक पहचान पर्चियां ही वितरित की जा सकेगी। चुनाव आयोग की हिदायतों के अनुसार इन अनौपचारिक पहचान पर्चियों पर राजनीतिक दल का नाम, उम्मीदवार का नाम, चुनाव चिन्ह व अन्य कोई भ्रामक सामग्री प्रिंट न हो। बूथ में केवल एक 3़1.5 का बैनर लगाया जा सकता है तथा उस बैनर पर राजनीतिक दल का नाम, उम्मीदवार का नाम, चुनाव चिन्ह प्रिंट किया जा सकता है। नियमों की उल्लंघना करने पर प्राधिकारियों द्वारा बैनर हटवा दिया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में भीड़ को ऐसे बूथ पर इकट्ठा होने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिस व्यक्ति ने अपना मतदान कर दिया है उसे भी बूथ पर आने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बूथों पर काम कर रहे व्यक्ति मतदान प्रक्रिया में किसी प्रकार का अवरोध पैदा न करें।
इसके अलावा राजनीतिक दल या उम्मीदवार द्वारा नामांकित व्यक्ति उसी बूथ का मतदाता होना जरूरी है। नामांकित व्यक्ति को अपने पास मतदाता पहचान पत्र रखना हो जोकि सेक्टर ऑफिसर या पर्यवेक्षक द्वारा मांगे जाने पर दिखाना जरूरी है। राजनीतिक दल या प्रत्याशियों को यह सुनिश्चित करना होगा की नामांकित उम्मीदवार किसी भी आपराधिक गतिविधि में संलिप्त न हो। आदेशों की अवहेलना करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा-188 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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