सज गया ऐलनाबाद उपचुनाव का मैदान : राजनीति के तीन दिग्गज खिलाड़ियों के बीच होगा रोचक मुकाबला

हरिभूमि न्यूज. सिरसा
ऐलनाबाद उपचुनाव का सियासी मैदान सज गया है। अभय चौटाला तीसरी बार तीसरी बार ऐलनाबाद के चुनावी रण में उतरे हैं, वहीं इनेलो शासनकाल में गहरे दोस्त रहे पवन बैनीवाल भी तीसरी बार अभय के सामने ताल ठोंकेंगे। पवन बैनीवाल इस बार भाजपा छोडक़र कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। भाजपा ने इस बार सिरसा के विधायक गोपाल कांडा के छोटे भाई गोबिंद कांडा को किसान आंदोलन के बाद मैदान में उतारा है। अजय व दुष्यंत चौटाला की पार्टी ने इस बार यहां से उम्मीदवार उतारने की बजाय भाजपा के साथ उम्मीदवार उतारा है।
इन दिनों इनेलो उम्मीदवार अभय चौटाला व जजपा संरक्षक अजय चौटाला के बीच भी सियासी खिंचतान जारी है और अभय बड़े भाई अजय चौटाला को चुनावी मैदान में ललकार चुके हैं। अभय ने भतीजे दुष्यंत चौटाला को भी उचाना से इस्तीफा देकर चुनाव लडऩे की चुनौती दी थी। अब अभय के प्रति अजय व दुष्यंत का क्या कदम होगा, इस पर भी ऐलनाबाद का चुनावी परिणाम टिका है। राजस्थान की सीमा से सटे ग्रामीण बाहुल्य ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में इस बार पूरी तरह से सियासी समीकरण बदले हुए हैं। बता दें कि अभय चौटाला ने जनवरी में किसान आंदोलन के समर्थन में त्याग पत्र दे दिया था, जिसके बाद यह सीट खाली हो गई। अभय एक बार फिर उपचुनाव में कस्मित आजमा रहे हैं, वहीं उन्हें इस चुनाव में अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला का भी सहारा रहेगा। चौटाला पहली बार जेबीटी भर्ती घोटाले में सजा पूरी करने के बाद राजनैतिक रूप से सक्रिय हो गए हैं।
पिछले विधानसभा चुनावा में अभय को पिता की अनुपस्थिति व इनेलो में बिखराव के बाद बड़े भाई अजय चौटाला की पार्टी जजपा से भी टक्कर लेनी पड़ी थी। अभय किसान आंदोलन के सहारे दोबारा विधानसभा में पहुंचने को लेकर चुनाव मैदान में उतरे हैं। वहीं, कांग्रेस भी किसान आंदोलन के सहारे ही भाजपा से दो बार चुनाव लड़ चुके पवन बैनीवाल के सहारे चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है। पवन बैनीवाल 2014 व 2019 में भाजपा की टिकट पर इनेलो के अभय चौटाला को मजबूत टक्कर दे चुके हैं। इसी टक्कर को देखते हुए कांग्रेस ने यहां से पांच बार चुनाव लडऩे वाले पूर्व विधायक भरत सिंह बैनीवाल का टिकट काट दिया। अब भरत सिंह बैनीवाल की क्या भूमिका रहेगी, इस पर भी कांग्रेस की नजर रहेगी।
इससे पूर्व 2014 में कांग्रेस ने भरत सिंह की टिकट काट कर रमेश भादू को उम्मीदवार बनाया था जो अपनी जमानत नहीं बचा सके। भरत सिंह का अब अगला कदम क्या होगा वे कांग्रेस के साथ चलेंगे या कोई नया फैसला लेंगे इस पर कांग्रेस उम्मीदवार की स्थिति नर्भिर रहेगी। भाजपा-जजपा ने भी किसान आंदोलन के बीच गोबिंद कांडा पर दांव खेला है। गोबिंद कांडा ने चार दिन पहले ही हलोपा छोडक़र भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इससे पहले गोबिंद कांडा दो बार रानियां से चुनाव लड़ चुके हैं। गोबिंद के बड़े भाई गोपाल कांडा सिरसा से विधायक हैं और वे सरकार को समर्थन दे रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा तीन कृषि कानूनों को लेकर प्रदेश में मचे बवाल के बीच गोबिंद के सहारे ऐलनाबाद उपचुनाव में जीत दर्ज करना चाहती है। जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह तो 2 नवम्बर को स्पष्ट हो पाएगा, लेकिन ऐलनाबाद उपचुनाव में सियासी मैदान तीन दिग्गजों के बीच पूरी तरह सेे सज गया है।
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