ऐलनाबाद उपचुनाव : इनेलो के गढ़ को भेदना कांग्रेस और भाजपा के लिए आसान नहीं, सभी की प्रतिष्ठा का सवाल बनेगा यह चुनाव

चंडीगढ़। आखिरकार ऐलनाबाद उपचुनाव का मैदान और सभी पार्टियों के पहलवान तैयार हैं, इस बार का ऐलनाबाद का यह चुनाव कईं मायनों में खास होने जा रहा है। इनेलो के गढ़ में और अभय चौटाला द्वारा इस्तीफा देकर खाली की गई सीट पर इनेलो की ओर से खुद अभय चौटाला मैदान में उतारे गए हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन की ओर से विधायक गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा को प्रत्याशी बनाया गया है। कांग्रेस ने हाल ही में पार्टी ज्वाइन करने वाले पवन बैनीवाल पर दाव लगाया है। सत्तापक्ष हो या फिर विपक्ष यह उपचुनाव सभी की प्रतिष्ठा का प्रश्न बनता नजर आ रहा है।
सिरसा जिले की ऐलनाबाद सीट पर कांग्रेस ने पवन बैनीवाल को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। दडबाकला के रहने वाले पवन बेनीवाल अबसे पहले भाजपा के साथ में रहे हैं। भाजपा के टिकट पर उन्होंने 2014 और 2019 के चुनाव लड़े और दोनों ही चुनाव में उन्हें अभय चौटाला से पराजय हाथ लगी। भाजपा की ओऱ से उन्हें हरियाणा बीज विकास निगम में चेयरमैन लगाकर ताजपोशी भी की गई। लेकिन अब उपचुनाव के मौके पर वे अचानक ही कांग्रेस की ओर रुख कर गए।
दूसरी ओर भाजपा- जजपा गठबंधन में भले ही एक दर्जन से ज्यादा लोगों ने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। लेकिन भाजपा हाईकमान ने गोविंद कांडा को पार्टी ज्वाइन कराकर उन पर दाव लगाने का काम किया है। सूबे में चल लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान होने वाले इस चुनाव में नामांकन के दिन ही विरोध प्रदर्शन के साथ यह भी साफ हो गया है कि आने वाला समय इस पंजाब से सटे इलाके में लोकदल को छोड़कर बाकी के लिए इस गढ़ को भेदना आसान नहीं होगा।
पहलवान तैयार और मैदान भी तैयार
आखिरकार ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव का बिगुल बजने के साथ ही इनेलो की ओऱ से प्रत्याशी और पूर्व विधायक अभय चौटाला विपक्षियों को बारी बारी से नाम लेकर चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने जजपा प्रमुख अपने बड़े भाई अजय चौटाला व भतीजों को सामने उतरने की चुनौती दे डाली है। कुल मिलाकर सत्ताधारी दल अपने प्रत्याशी का मनोबल ऊंचा रखने के लिए नामांकन के मौके पर तो मौजूद रहा।
याद दिला दें कि सीट के लिए मतदान 30 अक्टूबर और मतगणना का काम दो नवंबर को होगा। सीट पर अभय चौटाला द्वारा किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा दिए जाने के कारण उपचुनाव की नौबत आई है। वैसे, तो यह छह माह के अंदर होना। हरियाणा की राजनीति में यह सीट हाट सीट के तौर पर जानी जाती है। इस बार का यह उपचुनाव कईं मायनों में अहम होगा, किसान आंदोलन को दस माह पूरे हो चुके हैं। जिस कारण अभय चौटाला ने इस्तीफा दिया था, वह आंदोलन अभी भी उसी तरह से जारी है। सरकार की ओर से सियासी दिग्गजों द्वारा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार होने की बात कही है।
सीट पर पौने दो लाख लगभग मतदाता
विधानसभा सीट पर 2019 में अभय चौटाला चुनाव जीते थे, इसी तरह से 2014 में भी उन्होंने ही जीत हासिल की है। इस सीट पर 70 हजार से ज्यादा महिलाओं के वोट हैं, जबकि इससे एक लाख के करीब पुरुष वोट हैं। कुल मिलाकर इस बार का ऐलनाबाद सीट इस बार पूरी तरह से सियासी माहौल को गर्मा कर रखेगा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी उपचुनाव को लेकर संगठन की पूरी तैयारी है। प्रत्याशी का नामांकन करा दिया गया है और उपचुनाव हमारे लिए एक अवसर है।
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