वायु प्रदूषण : Delhi-NCR में ग्रेप के नए आदेशों में आपात सेवाओं को भी नहीं मिलेगी छूट, जानें- नए नियम

वायु प्रदूषण : Delhi-NCR में ग्रेप के नए आदेशों में आपात सेवाओं को भी नहीं मिलेगी छूट, जानें- नए नियम
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दिल्ली-एनसीआर में एक अक्टूबर से ग्रैप की सिफारिशों को लागू करने के आदेशों के साथ ही प्रशासन ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। ग्रेप के कई चरणों में अलग-अलग नियम निर्धारित किए गए हैं।

Bahadurgarh News : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता (AQI) में अचानक एवं अनुमानित गिरावट की आशंका को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान ((GRAP)) की सिफारिशों में संशोधन किया है। दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में एक अक्टूबर से ग्रैप की सिफारिशों को लागू करने के आदेशों के साथ ही प्रशासन ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। ग्रेप के कई चरणों में अलग-अलग नियम निर्धारित किए गए हैं। नए आदेशों के तहत इस बार आपातकालीन सेवाओं को भी छूट नहीं दी जाएगी। नए बदलाव पिछले सालों के अनुभव और अभ्यास पर आधारित हैंं।

आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण (Air Pollution) की आशंका से दिल्ली-एनसीआर में एक अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू होने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद साल 2017 में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान नोटिफाई किया गया था। वायु गुणवत्ता को चार हिस्सों में विभाजित कर ग्रेप की बंदिशें प्रभावी होंगी। अब उद्योगों के साथ ही आपात सेवाओं (अस्पताल, बैंक, आदि) में भी डीजल जनरेटर नहीं चल सकेंगे। सीएनजी और हाइब्रिड जनरेटर की ही अनुमति होगी। ज्यादा पुराने वाहनों के संचालन पर सख्त प्रतिबंध होगा। वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के पार होने पर सभी रेस्टोरेंट, भोजनालय और होटलों में कोयला और लकड़ी जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। ग्रेप में बदलाव के साथ ही वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने इसकी उपसमिति का भी पुनर्गठन कर दिया है। सीएक्यूएम ने नई व्यवस्था में निश्चित सीमा से अधिक प्रदूषण होने पर कुछ एक्शन तय किए हैं। यह प्लान पूरी तरह से वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए वर्ष 2018 से 2021 तक हर साल बिगड़ रही दिल्ली की हवा के आंकड़ों को देखते हुए तैयार किया गया है।

चरणबद्ध तरीके से होगा लागू

ग्रेप के पहले चरण में एयर क्वालिटी इंडेक्स 201 से 300 होने पर खराब वायु गुणवत्ता में पुराने डीजल/पेट्रोल वाहन पर रोक लगेगी। दूसरे चरण में एक्यूआई 301 से 400 के बीच होने पर बहुत खराब वायु गुणवत्ता में चिह्नित इलाकों में वायु प्रदूषण से निपटने की तय कार्रवाई के साथ ही डीजल जेनरेटर पर प्रतिबंध रहेगा। तीसरे चरण में 401 से 450 के बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर माना जाएगा। इस दौरान बीएस तीन पेट्रोल और बीएस चार डीजल से चलने वाले चार पहिया वाहनों पर भी प्रतिबंध लगेगा। प्राइमरी स्कूल भी बंद रहेंगे।

चौथे चरण में सर्वाधिक सख्ती

चौथे चरण में 450 से ज्यादा एक्यूआई को अति गंभीर स्थिति माना जाएगा। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों, सीएनजी वाहनों, भारत स्टेज छह डीजल वाहनों और आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले वाहनों को छोड़कर दिल्ली के बाहर पंजीकृत चार पहिया वाहनों को शहरों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। निर्माण गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगेगी। साथ ही सरकारें शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने, सम-विषम प्रणाली लागू करने और गैर-आपातकालीन वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद करने जैसे अतिरिक्त आपातकालीन उपाय भी अपना सकती हैं।

पर्याप्त बिजली देने की मांग

पिछले साल अक्टूबर से ग्रेप के प्रतिबंध लगे हुए थे। इसके विभिन्न चरणों में कई प्रकार के औद्योगिक प्रतिबंध लगे थे। इससे उद्योग जगत को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। करीब छह महीने बाद मार्च-2023 में इससे राहत मिली थी। यह समझने की जरूरत है कि उद्योगों को पर्याप्त बिजली मिलने पर जेनरेटर चलाने की जरूरत नहीं होगी। हम अघोषित बिजली कटौती रोकने और निर्बाध बिजली आपूर्ति की मांग कर रहे हैं। यूएचबीवीएन, गैस आपूर्ति कंपनी और प्रशासन के अधिकारियों के साथ इस मामले में बैठक हो चुकी है। तालमेल बनाने का प्रयास है।- सुभाष जग्गा, अध्यक्ष, बीसीसीआई

एलपीजी, प्राकृतिक गैस और अन्य गैसों के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है। जबकि 19 किलोवाट तक डीजल जनरेटर का इस्तेमाल करने पर (ग्रेप में रोक रहेगी) कोई प्रतिबंध नहीं है। वहीं 19 से 125 किलोवाट के ड्यूल मोड जनरेटर ग्रेप के दौरान केवल 2 घंटे तक चल सकेंगे। हालांकि 125 से 800 किलोवॉट के डयूल फ्यूल मोड के साथ रेट्रो फिटिड ईसीडी पर कोई रोक नहीं रहेगी। जबकि 800 किलोवाट से अधिक क्षमता वाले जनरेटर भी ग्रेप टाइमिंग में दो घंटे तक चल सकेंगे। सीपीसीबी-4 के 800 किलोवॉट तक के जनरेटरों पर ग्रेप में भी कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा।- अमित दहिया, एसडीओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रशासनिक उपायों के साथ जनभागीदारी भी जरूरी है। वायु गुणवत्ता लाखों-करोड़ों नागरिकों के स्वास्थ से जुड़ी है। आमजन को सार्वजनिक परिवहन के साथ ही मानकों पर आधारित वाहन व्यवस्था को अपनाना होगा। अतीत के अनुभवों के आधार पर एनजीटी ने ग्रेप के प्रावधानों में बदलाव किया है। विद्युत आपूर्ति में अघोषित कट घटेंगे तो जनरेटर चलाने की नौबत नहीं आएगी। सभी विभागों के अधिकारियों को एनजीटी के निदेर्शों का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी गई है। - कैप्टन शक्ति सिंह, जिला उपायुक्त, झज्जर

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