डिजिटल रथ पर ग्रोथ की यात्रा का हौसला

डिजिटल रथ पर ग्रोथ की यात्रा का हौसला
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने इस कड़वे बजट में भविष्य की ग्रीन व डिजिटल अर्थव्यवस्था का ठोस खाका पेश किया है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बावजूद लोकलुभावन घोषणाओं से बचा गया है। यह जरूरी था। केंद्र सरकार के लिए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने का यही उपयुक्त समय है।

शंभू भद्रा

इस बार के बजट में वर्तमान का रोडमैप कम है और भविष्य का विजन अधिक है। यह मात्वाकांक्षी भारत का बजट है, जिसमें अगले 25 वर्षों की दृष्टि है। अगले वित्त वर्ष के दौरान केवल उद्योग जगतत को अनेक प्रकार से राहत दी गई है, पर नौकरीपेशा मध्यवर्ग को झुनझुना भी हाथ नहीं लगा है। इस बजट में घाटे के रथ पर सवार होकर ग्रोथ की यात्रा करने का हौसला है। 39 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बाजट प्रस्ताव है, जबकि आय की उम्मीद करीब 23 लाख करोड़ रुपये है। आय व खर्च के इतने बड़े गैप को कर्ज के सहारे पाटना आसान नहीं होगा। विनिवेश का टार्गेट भी केवल 78 हजार करोड़ रखा गया है। महंगाई नियंत्रण की परवाह रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के भरोसे छोड़ दिया गया है। नए रोजगार सृजन के बड़े दावे किए गए हैं, इसको व्यवहारिक बनाना बड़ी चुनौती होगी। इसके बावजूद इस बार के बजट में बहुत कुछ नया है, जानने लायक है। वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट न्यू एज इकोनॉमी बजट है। इसमें आर्थिक सुधार के अगले चरण में प्रवेश की नींव इस बजट में है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने इस कड़वे बजट में भविष्य की ग्रीन व डिजिटल अर्थव्यवस्था का ठोस खाका पेश किया है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बावजूद लोकलुभावन घोषणाओं से बचा गया है। यह जरूरी था। केंद्र सरकार के लिए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने का यही उपयुक्त समय है। नौकरीपेशा के लिए बेशक आयकर स्लैब में कोई राहत नहीं है, पर टैक्स का कोई नया बोझ भी नहीं है।निवेश को बढ़ाने के लिए टैक्स कलेक्शन पर भी जोर दिया गया है। महामारी से पस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकारी खर्च पर जोर दिया गया है, पीपीपी मॉडल पर भरोसा जताया गया है, निवेश को प्रोत्साहित किया गया है, निजी क्षेत्र के लिए अवसरों का पिटारा खोला गया है, सब्सिडी कटौती की ओर रुख किया गया है, स्टार्ट अप्स के रूप में नई उद्यमिता को बढ़ावा दिया गया है।

इस बजट में उद्योग जगत के लिए बहुत कुछ हैं। कई तरह से आयात शुल्क में राहत है तो कॉरपोरेट टैक्स दर में कटौती की गई है। पीएलआई स्कीम जारी रहेगी। सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर जस की तस है। इन्फ्रास्ट्रक्चर, रेलवे, पावर, ग्रीन टेक्नोलॉजी, टेलिकॉम, डिजिटाइजेशन व डेटा, रियल एस्टेट, लॉजिस्टिक्स आदि क्षेत्रों पर बड़े खर्च का ऐलान किया गया है। 400 नई वंदे भारत ट्रेन चलेंगी, 100 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल बनेंगे। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च होंगे। आत्मनिर्भर भारत से 16 लाख तो मेक इन इंडिया के तहत 60 लाख रोजगार के मौके बनेंगे। ग्रीन जॉब्स भी सृजित होंगे। डिजिटल करेंसी लाना व क्रिप्टो करेंसी से कमाई पर 30 फीसदी टैक्स व हर खरीद-बिक्री पर एक फीसदी टीडीएस, डिजिटल यूनिवर्सिटी, डिजिटल एजुकेशन टीवी, डिजिटल बैंकिंग, चिप आधारित ई-पासपोर्ट, सब्सिडी में तर्कसंगत कटौती, स्टार्टअप्स को इंसेंटिव आदि प्रोग्रिसव मूव हैं। कृषि में नवाचार को बढ़ावा दिया गया है।

ड्रोन के इस्तेमाल के अलावा रसायनमुक्त जैविक खेती पर फोकस कृषि क्षेत्र को नई दिशा में ले जाएगा। सभी डाकखाने को कोर बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने व 1.5 लाख पोस्ट ऑफिस के ऑनलाइन जोड़ने से बैंकिंग सेवाओं का विस्तार होगा। सोशल सेक्टर पर भी ध्यान दिया गया है। मनरेगा, पीएम आवास योजना के तहत 80 लाख नए मकान का निर्माण, दिव्यांग के लिए टैक्स में राहत का प्रस्ताव है। राज्य कर्मचारियों के लिए एनपीएस में छूट केंद्र के बराबर होगी। पीडीएस खाद्यान्न, रासायनिक खाद और पेट्रोलियम पर सब्सिडी में गिरावट के अनुमान से राजस्व पर बोझ कम होगा। 39 लाख करोड़ रुपये का यह बजट भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने में मदद करेगा, इसकी केवल उम्मीद की जा सकती है, मुत्तमइन नहीं हुआ जा सकता है।

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