स्टिंग ऑपरेशन से खुला राज : झूठा निकला दहेज हत्या का केस, 22 साल बाद पूरा परिवार बाइज्जत बरी, जानें मामला

हरिभूमि न्यूज : नारनौल
नारनौल की ऑफिसर कॉलोनी निवासी समाजवादी पार्टी के नेता जोगेंद्र सिंह यादव की पुत्रवधु से जुड़े दहेज हत्या के 22 साल पुराने मामले में जयपुर न्यायालय की पीठासीन अधिकारी न्यायाधीश रिद्धिमा शर्मा ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए उनके परिवार को दोषमुक्त घोषित करते हुए बरी कर दिया है। इस फैसले से ससुराल पक्ष के लोगों ने बड़ा सुकुन महसूस किया है। इस केस में स्टिंग ऑपरेशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मृतका के ससुर जोगेंद्र सिंह की पहले ही इस केस के दौरान मौत हो चुकी है, जबकि उनकी पत्नी राजकीय महाविद्यालय की पूर्व लेक्चरर विजय यादव, उनकी बेटी आस्था राव एवं अन्य परिजनों ने बड़ा सुकून महसूस किया है।
इस फैसले उपरांत पत्रकारवार्ता आयोजित की गई, जिसमें रिटायर्ड प्रिंसीपल लालचंद यादव, निर्मला, संजना, राव कुलवंत, मनोज एवं अशोक यादव आदि उपस्थित हुए, जबकि जोगेंद्र सिंह की बेटी आस्था राव यूएसए तथा उनकी पत्नी विजय यादव जयपुर से वीडियो कांफ्रंसिंग के जरिए पत्रकारवार्ता से जुड़े और इस केस से जुड़े तथ्य बताए। आस्था राव ने बताया कि इस केस में हमारे परिवार पर दहेज प्रताड़ना के झूठे एवं बेबुनियाद आरोप लगाए गए। जबकि मेरी भाभी मानसिक रूप से बीमार थी और उसने डिप्रेशन में आकर यह आत्मघाती कदम उठाया था। बाद में मुझे स्टिंग ऑपरेशन करना पड़ा। इस केस में मेरे माता-पिता को जेल जाना पड़ा। पिता की तो बाद में मौत भी हो गई, जबकि मेरी मां बीमारियों से ग्रस्त है। इस सबके बावजूद लंबे अरसे बाद अदालत का महत्वपूर्ण फैसला आया है और हम सभी बरी करार दिए गए हैं। आस्था राव ने कहा कि हम बदले की भावना नहीं रखते और सबको माफ करते हुए अब किसी के खिलाफ मानहानि का कोई केस नहीं करेंगे। वहीं विजय यादव ने कहा कि अंत भला तो सब भला। आज हम सब के मात्थे पर लगाया गया कलंक धुल गया है, लेकिन इस केस में हमारे परिवार बहुत पीछे चला गया है। फिर भी वह बहन-बेटियों की मदद को सदैव तत्पर रहेंगी।
लंबे समय से चल रहा था डिप्रेशन का इलाज
आस्था राव ने बताया कि हमारा परिवार नारनौल की ऑफिसर्स कॉलोनी के ए-12 मकान में रहता था। 10 फरवरी 1998 को मेरे भाई योगेश की शादी नारनौल निवासी रेणुका से हुई थी। योगेश एमबीए करने के पश्चात जयपुर में केंद्र के एनएसएसओ विभाग में नौकरी के कारण जयपुर में थे तथा वहीं किराये के मकान में रेणुका भी उनके साथ थी। 16 जून 1999 को रेणुका ने फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। जिस पर उसके पीहर पक्ष ने हम पर दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज करवा दिया। उन्होंने बताया कि भाभी का शादी से पहले किसी से अफेयर था और भाभी की मां रिश्ता लेकर जब लड़के के घर गई तो उन्हें इंकार दिया गया। यह सब उक्त लड़का बर्दाश्त नहीं कर सका था और उसने सुसाइड कर लिया था। जब यह बात भाभी को पता चली तो वह डिप्रेशन में चली गई थी। जिस जगह सुसाइड किया, वहां से भी पुलिस को डिप्रेशन के इलाज संबंधी कागजात मिले थे, लेकिन दहेज हत्या की झूठी कहानी रच दी गई।
पुलिस जांच हमारे पक्ष में, मगर कोर्ट में झूठे गवाह खड़े किए
आस्था राव ने बताया कि तब भाभी के ईलाज संबंधी दस्तावेजों को जांचने के लिए बाकायदा एक मेडिकल बोर्ड का गठन करवाया। लंबी जांच के बाद अंत में डाक्टरी ईलाज के पुख्ता सबूतों के कारण पुलिस ने हमारे खिलाफ चालान पेश करने की बजाय एफआर ( नकारात्मक रिपोर्ट ) पेश की थी। लेकिन बाद में बीर सिंह जैसे लोग दूधिया के रूप में झूठे गवाह बनकर अदालत में पेश हो गए और मेरे माता-पिता को गिरफ्तार कर लिया गया।
स्टिंग ऑपरेशन से मिली कामयाबी
उस समय जोगेंद्र सिंह यादव की बेटी आस्था दसवीं में पढ़ती थी और अपने परिवार को मुसीबतों में घिरा देखकर टूटने की बजाए वह बेहद मजबूत बन गई और रेणुका परिवार का स्टिंग ऑपरेशन कर दिया। इन सब की डिटेल कोर्ट में पेश की गई तो सारा मामला साफ हो गया और अदालत ने मामला डिप्रेशन का ही मानते हुए सभी को निर्दोष करार देते हुए बरी घोषित कर दिया।
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