मर्जर के कई महीने बाद भी पटरी पर नहीं लौटी बैंकों में व्यवस्था

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़
बैंकों के मर्जर का काम पूरा हो चुका है। लेकिन इन बैंकों में व्यवस्था अब तक पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट सकी है। खाताधारकों के बैंकों के नाम, आईएफएससी कोड, एमआईसीआर कोड व ग्राहक आईडी बदल गए हैं। कोर बैंकिंग सोल्यूशन के मर्जर के बाद से बैंकिंग सिस्टम तकनीकी समस्याओं से जूझ रहा है। लिहाजा इन बैंकों के हजारों ग्राहकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नई पासबुक, पुरानी पासबुक अपडेट, एफडी क्लोजर, मोबाइल नंबर, इंटरनेट बैंकिंग व एटीएम से जुड़ी समस्याएं हैं। इसके अलावा बैंकों द्वारा सही तरह से जागरुक नहीं किए जाने के चलते भी दिक्कतें बनी हुई हैं।
बता दें कि कुछ महीने पहले कई बैंकों का मर्जर हुआ है। देना और विजया बैंक अब बैंक ऑफ बड़ौदा, कारपोरेशन और आंध्रा बैंक अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स और यूनाइटेड बैंक अब पंजाब नेशनल बैंक, सिंडीकेट बैंक अब कैनरा बैंक और इंडियन बैंक अब इलाहाबाद बैंक हो गए हैं। इसके बाद ग्राहकों को दिक्कत न हो इसके लिए हर तरह से प्रयास किए जा रहे हैं।
बैंक कर्मियों को आने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी है। इसलिए पासबुक अपडेट आदि का काम बैंकों में किया जा रहा है। चेेकबुक और एटीएम कार्ड आदि के काम में डाटा सेंटर लगातार लगे हुए हैं। आईएफएससी कोड बदलने के बाद उपभोक्ताओं को बैंक द्वारा मैसेज के जरिए इसकी जानकारी दे दी गई है। लेकिन वैसे उपभोक्ता जिनका केवाईसी पूरा नहीं हुआ था, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वैसे खाताधारक जो किसी कंपनी में काम करते हैं, आईएफएससी कोड बदलने के बाद उन्हें अपनी बैंक संबंधित जानकारियां अपडेट करनी पड़ रही हैं। कई बैंकों में दोबारा ई-केवाईसी कराए जाने के कारण भी लोग परेशान है। वहीं, कई उपभोक्ताओं की यह भी शिकायत है कि वह मर्जर के बाद मौजूदा एटीएम कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि बैंक के अधिकारियों का कहना है कि इसका कारण मर्जर नहीं है। अगर एटीएम कार्ड काम नहीं कर रह है, तो इसकी कुछ और वजह हो सकती है।
क्या है सीबीएस मर्जर
सीबीएस यानी कोर बैंकिंग सोल्यूशन। दरअसल, अलग-अलग बैंकों में अलग सॉफ्टवेयर पर काम होता है। इसे सीबीएस कहते हैं। इसमें खाताधारक की पूरी जानकारी होती है।
मर्जर के बाद की दिक्कतें
मर्जर के बाद बैंकों में तकनीकी दिक्कतें हैं। कई बैंकों में सॉफ्टवेयर अपग्रेड होने के बाद कस्टमर की पूरी डिटेल नहीं आ रही है। ऐसे में पासबुक प्रिंट करने में दिक्कत आ रही है। एनईएफटी/आरटीजीएस या फिर डिमांड ड्राफ्ट में भी दिक्कतें आ रहीं हैं। शिकायतें आ रही हैं कि लोन का पैसा नहीं कट रहा है। मर्जर के बाद बैंकों के मोबाइल एप्लीकेशन एक्सेस, ऑनलाइन बैंकिंग में समस्याएं आ रही हैं। कई बैंकों में लोन अप्रूवल में सॉफ्टवेयर डिले प्रोसेस की समस्या है।
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