कोरोना की आड़ में फेक सर्टिफिकेट का खेल : फर्जी दस्तावेजों से स्कूलों में लिया प्रवेश अब बोर्ड ने रिजल्ट पर लगाई रोक, केस भी दर्ज

कोरोना की आड़ में फेक सर्टिफिकेट का खेल : फर्जी दस्तावेजों से स्कूलों में लिया प्रवेश अब बोर्ड ने रिजल्ट पर लगाई रोक, केस भी दर्ज
X
इस परीक्षा में शामिल होने वाले प्रदेश के 92 स्कूलों के 129 विद्यार्थियों के मैट्रिक के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। बोर्ड ने एडीजीपी सीआईडी को पत्र लिखकर फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है। एडीजीपी के आदेशानुसार जिला स्तर पर एफआईआर दर्ज कराने का सिलसिला शुरू हो गया है। रेवाड़ी के थाना कोसली में विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।

नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी

कोरोना के चलते हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (Board of School Education Haryana) ने अप्रैल-2021 में कोविड-19 महामारी के कारण प्रदेश सरकार के आदेशानुसार बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन नहीं हुआ था। परीक्षाएं रद होने के कारण सरकार व बोर्ड की ओर से तय की गई नीति के अनुसार बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों का परिणाम घोषित किया जाना था। इस परीक्षा में शामिल होने वाले प्रदेश के 92 स्कूलों के 129 विद्यार्थियों के मैट्रिक के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। बोर्ड ने एडीजीपी सीआईडी को पत्र लिखकर फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है। एडीजीपी के आदेशानुसार जिला स्तर पर एफआईआर दर्ज कराने का सिलसिला शुरू हो गया है। रेवाड़ी के थाना कोसली में विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।

बोर्ड सचिव की ओर से एडीजीपी सीआईडी को पत्र लिखकर यह बताया गया है कि कोरोना के दौरान दूसरे राज्यों के शैक्षिणक संस्थानों से मैट्रिक सर्टिफिकेट के आधार पर स्कूलों में प्रवेश दिया गया था। जब संबंधित विद्यार्थियों ने सीनियर सैकेंडरी की परीक्षाओं में हिस्सा लिया, तो बोर्ड की ओर से उनके मैट्रिक के सर्टिफिकेट्स का संबंधित बोर्डों से सत्यापन कराया, तो इन बोर्डों ने सर्टिफिकेट उनकी ओर से जारी होने की बात से इंकार कर दिया। 129 सर्टिफिकेट बोर्ड की जांच में फर्जी पाए गए। बोर्ड को इस बात की आशंका है कि फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले लोगों ने अपने फायदे के लिए न सिर्फ विद्यार्थियों का आर्थिक शोषण किया है, बल्कि उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ करने का काम किया है।

बोर्ड के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के लगभग सभी जिलों में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर एडमिशन हुए। बाद में विद्यार्थी सीनियर सैकेंडरी की परीक्षा में अपीयर भी हो गए। हालांकि बोर्ड ने इस बात का खुलासा होने के बाद इन सभी बच्चों के परीक्षा परिणाम पर रोक लगा दी है। इसके बाद बोर्ड इस पूरे मामले में फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले लोगों को कानून के दायरे में सजा दिलाने के प्रयास कर रहा है। जिन बच्चों के फर्जी सर्टिफिकेट मिले हैं, उन्होेंने यूपी, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्टÑ व कुछ अन्य राज्यों से बने सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने के बाद प्रवेश लिए थे। इन राज्यों के संबंधित शैक्षणिक संस्थानों से सर्टिफिकेट्स के ओरिजनल होने की पुष्टि कराई, तो उन्होंने 129 सर्टिफिकेट को फर्जी करार दे दिया।

रेवाड़ी में 19 सर्टिफिकेट फर्जी

एडीजीपी के आदेश पर थाना कोसली पुलिस ने जालसाजी के आरोप में एक एफआईआर दर्ज करते हुए जांच शुरू की है। पुलिस सूत्रों के अनुसार रेवाड़ी जिले से ऐसे 19 सर्टिफिकेट फर्जी पाए जाने की पुष्टि हुई है। एक एफआईआर पानीपत में दर्ज हो चुका है, जबकि अन्य जिलों में भी एफआईआर दर्ज होने की प्रक्रिया जल्द पूरी हो सकती है। कोसली पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में जुड्डी और भाकली के दो स्कूलों के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। इनके अलावा जिले के दूसरे स्कूलों में भी ऐसे मामले सामने आए हैं। पुलिस ने इन सभी मामलों की जांच शुरू कर दी है।

स्कूलों पर लगाया जा रहा जुर्माना

शिक्षा बोर्ड के वाइस प्रेजीडेंट वीपी यादव ने कहा कि कई स्कूलों ने मैट्रिक की सर्टिफिकेट्स की जांच तक नहीं की। कई स्कूलों में दस बच्चों तक के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। बोर्ड की ओर से ऐसे स्कूलों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। साथ ही पुलिस को फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने वाले लोगों की तक जाने के लिए एफआईआर दर्ज कराने का निर्णय लिया गया है। पुलिस इस बात का पता लगाएगी कि फर्जी सर्टिफिकेट बनाने के पीछे आखिर कौन लोग हैं।

जालसाजी का केस दर्ज करने के बाद इस बात का पता लगाया जा रहा है कि बच्चों ने यह सर्टिफिकेट कैसे हासिल किए। मामले की जांच शुरू करते हुए सर्टिफिकेट जारी करने के सोर्स पता किए जा रहे हैं। पूरे रेवाड़ी जिले के लिए कोसली में ही एफआईआर दर्ज की गई है, जिस पर जांच का कार्य शुरू कर दिया गया है। - यशपाल, जांच अधिकारी।

Tags

Next Story