सिरसा में फर्जी विकलांग प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, सरकार को ऐसे लगाते थे चपत

सिरसा में फर्जी विकलांग प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, सरकार को ऐसे लगाते थे चपत
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सीएम फ्लाइंग की शिकायत पर करीब के डेढ़ दर्जन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई। गिरोह के लोगों द्वारा विकलांग पेंशन लगवाने की एवज में 5 से 7 हजार रुपये वसूले जाते थे।

हरिभूमि न्यूज. सिरसा

जिले में चल रहे अपात्र लोगों के विकलांग सर्टिफिकेट बनाने के गोरखधंधे का सीएम फ्लाइंग ने भंडाफोड़ किया है। सीएम फ्लाइंग की शिकायत पर करीब के डेढ़ दर्जन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई। गिरोह के लोगों द्वारा विकलांग पेंशन लगवाने की एवज में 5 से 7 हजार रुपये वसूले जाते थे। गिरोह के लोग नागरिक अस्पताल में विकलांग प्रमाणपत्र बनाने की औपचारिकता पूरी करते थे। इसके बाद समाज कल्याण विभाग में इन फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर पेंशन प्राप्त करते थे।

सीएम उड़नदस्ता के सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार की ओर से सिविल लाइन थाना में दर्ज करवाई गई शिकायत में बताया गया कि फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्रों के आधार पर विकलांग पेंशन के गोरखधंधे की सूचना पर जब उन्होंने छानबीन की तो पाया कि षड्यंत्र रचकर सरकार को चपत लगाई जा रही है। शिकायत में बताया कि बग्गा सिंह पुत्र मक्खन सिंह निवासी बीरूवाला गुढ़ा, गुरलाल पुत्र नाजर सिंह निवासी मल्लेवाला व प्रमिंद्र सिंह पुत्र लाल सिंह निवासी ऐलनाबाद ने कुछ लोगों के फर्जी विकलांग प्रमाणपत्र बनाए। इन फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर मोहनलाल पुत्र भूराराम, जग्गा पुत्र जोगेंद्र सिंह, काकादीन पुत्र बगड़दीन, भोला पुत्र जंगीर सिंह, सुखप्रीत पुत्र सेवक सिंह निवासी बीरूवाला गुढ़ा ने विकलांग पेंशन प्राप्त की।

गुरतेज पुत्र हरनेक, जसकौर पत्नी जग्गा सिंह, जग्गा सिंह पुत्र गुरदेव सिंह, शिमला पत्नी लालचंद, सोहन सिंह पुत्र वचित्र सिंह निवासियान बीरूवाला गुढ़ा ने फर्जी प्रमाणपत्र हासिल करके विकलांग पेंशन हासिल करने के लिए आवेदन किया। सुनील उर्फ सनिया पुत्र वजीर सिंह निवासी छतरिया ने अपने पिता को फर्जी तरीके से विकलांग पेंशन दिलवाने के लिए उसका विकलांग प्रमाणपत्र तैयार करवाया। सिविल लाइन सिरसा पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धारा 120बी, 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज किया है। बता दें कि इनमें सबसे ज्यादा मामले गांव बीरूवालागढ़ा के हैं। सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा जारी हुए प्रमाणपत्रों को फर्जी बताया गया है और उन पर लगी मोहर भी फर्जी बताई है।



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