फरीदाबाद नगर निगम घोटाला : विजिलेंस ने आडिट शाखा के चार अधिकारियों को किया गिरफ्तार

फरीदाबाद नगर निगम घोटाला : विजिलेंस ने आडिट शाखा के चार अधिकारियों को किया गिरफ्तार
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गिरफ्तार आरोपियों में आडिट शाखा के संयुक्त निदेशक दीपक थापर, वरिष्ठ लेखा अधिकारी विशाल कौशिक, वित्त नियंत्रक सतीश कुमार और वरिष्ठ लेखा अधिकारी हरगुलाल फागना शामिल हैं।

फरीदाबाद। बिना काम ठेकेदार को 200 करोड़ रुपये का भुगतान करने के घोटाले मामले में विजिलेंस ने बुधवार देर रात नगर निगम की आडिट व अकाउंट शाखा के चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में आडिट शाखा के संयुक्त निदेशक दीपक थापर, वरिष्ठ लेखा अधिकारी विशाल कौशिक, वित्त नियंत्रक सतीश कुमार और वरिष्ठ लेखा अधिकारी हरगुलाल फागना शामिल हैं। विजिलेंस ने विशाल कौशिक को यमुनानगर से पकड़ा। बाकियों को फरीदाबाद में ही अलग-अलग जगह से हिरासत में लिया। सभी आरोपियों को विजिलेंस ने बृहस्पतिवार को अदालत में पेश किया। अदालत ने उन्हें एक दिन की रिमांड पर सौंपा है। विजिलेंस ने अदालत से सात दिन की रिमांड मांगी थी। इनमें सतीश कुमार हरियाणा रोडवेज में कार्यरत है, वह नगर निगम में डेपुटेशन पर आया था।

दो मामलों में नामजद हैं आरोपी

चारों आरोपी विजिलेंस के मुकदमा नंबर 11 और 13 में नामजद हैं। मुकदमा नंबर 11 में 1.90 करोड़ का हेरफेर है। वहीं मुकदमा नंबर 13 में करीब पांच करोड़ रुपये का हेरफेर हुआ था। विजिलेंस सूत्रों ने बताया कि घोटाले के दौरान सभी आरोपी अकाउंट और आडिट के महत्वपूर्ण पदों पर थे। उन्होंने बिना आडिट और मौका मुआयना किए बिल पास कर दिए। इस तरह बिना काम किए ठेकेदार के खाते में रुपये पहुंच गए। इस मामले में विजिलेंस ठेकेदार सतबीर, निलंबित मुख्य अभियंता दौलतराम भास्कर और रमन शर्मा व जेई दीपक को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। सभी आरोपियों को अदालत से जमानत मिल चुकी है।

अदालत से मांगी थी सात दिन की रिमांड

विजिलेंस की तरफ से डीएसपी पार्थ सारथी अदालत में पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि आरोपी महत्वपूर्ण पदों पर थे। इनकी जिम्मेदारी बिलों के भुगतान से पहले वस्तुस्थिति पता करने की थी, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस तरह घोटाला होता चला गया। उन्होंने अदालत को बताया कि आरोपियों ने मुकदमे से जुड़े जरूरी कागजात अलग-अलग जगह छिपाकर रखे हुए हैं। इस मामले में पहले पकड़े गए आरोपियों को आमने-सामने बिठाकर भी पूछताछ करनी है, इसलिए सात दिन की रिमांड चाहिए। इस पर बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि विजिलेंस इस मामले में जरूरी बरामदगी पहले ही कर चुकी है। दोनों पक्ष सुनने के बाद अदालत ने एक दिन की रिमांड मंजूर की।

आइएएस अधिकारियों को जल्द बुला सकती है विजिलेंस

इस गड़बड़झाले में नगर निगम में आयुक्त पद पर रहे विभिन्न आइएएस अधिकारियों के भी नाम सामने आए हैं। जिनसे पूछताछ की अनुमति हरियाणा सरकार विजिलेंस को दे चुकी है। विजिलेंस अधिकारियों ने साफ तौर पर तो अभी कुछ नहीं कहा, पर संकेत दिए कि आइएएस अधिकारियों को जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।

यह है मामला

यह घोटाला मई 2020 में उजागर हुआ था। फरीदाबाद नगर निगम के चार पार्षदों दीपक चौधरी, दीपक यादव, सुरेंद्र अग्रवाल, महेंद्र सरपंच ने तत्कालीन निगम आयुक्त को शिकायत दी थी कि निगम के लेखा विभाग ने ठेकेदार सतबीर की विभिन्न फर्मों को बिना काम किए भुगतान कर दिया है। निगम आयुक्त ने अपने स्तर पर मामले की जांच कराई। ठेकेदार को भुगतान में अनियमितताएं पाए जाने पर उन्होंने विजिलेंस से जांच की सिफारिश की। साल 2020 से विजिलेंस इस मामले की जांच कर रही थी। विधानसभा में विधायक नीरज शर्मा द्वारा मामला उठाने के बाद जांच में तेजी आई और आरोपियों की गिरफ्तारी होनी शुरू हुई।

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