फॉर्मर कोल करेगा किसानों की आय दोगुनी, पराली व गाय के गोबर से तैयार किया कोयला

फॉर्मर कोल करेगा किसानों की आय दोगुनी, पराली व गाय के गोबर से तैयार किया कोयला
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। हिसार के दो युवा विज्ञानियों ने फॉर्मर कोल के रूप में इस समस्या का समाधान निकाला है। गोबर व पराली के मिश्रण से तैयार यह कोयला न केवल पारंपरिक कोयले से सस्ता मिलेगा, साथ ही पराली की तुलना में पर्यावरण को प्रदुषित भी नहीं करेगा।

हिसार : पर्यावरण प्रदूषण को लेकर पराली जलाने में किसानों व सरकार के बीच जारी खींचतान अब जल्द सुलझ सकती है। हिसार के दो युवा विज्ञानियों ने फॉर्मर कोल के रूप में इस समस्या का समाधान निकाला है। गोबर व पराली के मिश्रण से तैयार यह कोयला न केवल पारंपरिक कोयले से सस्ता मिलेगा, साथ ही पराली की तुलना में पर्यावरण को प्रदुषित भी नहीं करेगा। इसके साथ साथ किसानों की आमदनी को भी बढ़ाएगा।

इस कोयले को तैयार करने वाले विज्ञानी विजय श्योराण व मनोज नहरा बताते हैं कि धान की फसल के बाद पराली को लेकर अभी तक सरकार व किसानों के बीच खींचतान रहती थी। किसानों को अगली फसल के लिए जमीन तैयार करने के लिए पराली जलाना फायदेमंद लगता था, वहीं सरकार पराली जलाने से होने वाले प्रदुषण को लेकर चिंतित थी। इसी समस्या को देखते हुए उन्होंने पराली प्रबंधन की दिशा में यह कदम उठाते हुए शोध कार्य किया और फॉर्मर कोल के रूप में एक अलग तरीके का कोयला तैयार किया है। उनके इस शोध में सुभाष गोयल का पूरा सहयोग रहा।

वहीं कृषि विभाग से सहायक कृषि अभियंता गोपीराम सांगवान व एपीओ योगेश जाखड़ व लाडवा गौशाला से प्रधान आनंदराज के साथ साथ एचएयू के वैज्ञानिकों ने भी पूरा मार्गदर्शन किया। उन्होंने विश्वास जताया कि उनका यह प्रोजेक्ट क्रांतिकारी साबित होगा और पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाएगा।8

गूगल मीट में किया प्रजेंटेशन

इसी फॉर्मर कोल को लेकर शनिवार को गूगल मीट के माध्यम से वेबीनार आयोजित किया गया। इस वेबीनार में लाडवा व सातरोड के किसानों के अलावा हिसार, गुरुग्राम, झज्जर तथा करनाल से कृषि अधिकारी, एचएयू से डॉ डीके शर्मा, डॉ बलजीत सहारण, इंजी वेदपाल दहिया, जीजेयू से डॉ. अनीता किरोलिया, इन्वायरमेंट इंजीनियर डॉ. सुंदर सिंह, पंजाब विश्वविद्यालय और कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से कई प्रोफेसर व अधिकारी जुड़े।

वेबीनार में विजय श्योराण तथा मनोज नहरा ने पूरे विस्तार से फॉर्मर कोल की खूबियों को रखा। उन्होंने कहा कि यह कोयला किसानों की आय को दोगुणा करने और धान की पराली व गाय के गोबर की भी कीमत बढ़ाएगा। यह कोयला पूर्ण रूप से पर्यावरण हितैषी तथा प्रदूषण रहित ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिसकी उच्च उष्णता है। इस कोयले को आसानी से भंडारण व सुरक्षित रूप से रखा जा सकता है। यहां तक की इस कोयले की राख भी इस्तेमाल लाई जा सकेगी।

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