खटकड़ टोल प्लाजा पर जहरीला पदार्थ निगल किसान ने की आत्महत्या

खटकड़ टोल प्लाजा पर जहरीला पदार्थ निगल किसान ने की आत्महत्या
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घटना का उस समय पता चला जब पाला काफी समय तक नहीं उठा। किसान जब मौके पर पहुंचे तो वह मृत पड़ा था और उसके पास ही जहरीले पदार्थ की बोतल पड़ी थी। मृतक पाला आंदोलनरत किसानों की सेवा में पिछले छह माह से जुटा था और उनके लिए चाय बनाता था। किसानों ने पाला द्वारा आत्महत्या करने की सूचना उचाना थाना पुलिस को दी। सूचना मिलने पर उचाना थाना पुलिस मौके पर पहुंची है।

हरिभूमि न्यूज. जींद

खटकड़ टोल प्लाजा पर मंगलवार रात एक व्यक्ति ने जहरीला पदार्थ निगल कर आत्महत्या कर ली। सूचना मिलने पर उचाना थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। टोल पर मौजूद किसान नेताओं का कहना था कि सरकार तीन काले कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर रही है। जिसके चलते मृतक सरकार के इस रवैये से आहत था। किसान नेताओं का कहना था कि मृतक के शव को खटकड़ टोल प्लाजा पर लेकर जाएंगें वहां पर खटकड़ टोल प्लाजा कमेटी पर जो भी फैसला लेगी वही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

तीन कृषि काले कानूनों के विरोध में खटकड़ टोल पर किसानों द्वारा लगातार धरना दिया जा रहा है। मंगलवार रात को गांव खटकड़ निवासी पाला (55) ने जहरीला पदार्थ निगल कर आत्महत्या कर ली। घटना का उस समय पता चला जब पाला काफी समय तक नहीं उठा। किसान जब मौके पर पहुंचे तो वह मृत पड़ा था और उसके पास ही जहरीले पदार्थ की बोतल पड़ी थी। मृतक पाला आंदोलनरत किसानों की सेवा में पिछले छह माह से जुटा था और उनके लिए चाय बनाता था। किसानों ने पाला द्वारा आत्महत्या करने की सूचना उचाना थाना पुलिस को दी।

किसान नेता सतबीर पहलवान ने कहा कि पाला इस बात से नाराज था कि सरकार तीन कृषि कानून रद्द करने के लिए कुछ नहीं कर रही है। इसे लेकर वह मानसिक रूप से परेशान भी था। कुछ किसान सोमवार को दिल्ली आंदोलन में धरने के लिए गए थे। जब उन्होंने वापस आकर सरकार के किसानों के प्रति रवैये के बारे में बताया तो पाला और परेशान हो गया। मंगलवार रात को इसी परेशानी के चलते उसने जहरीला पदार्थ निगल कर आत्महत्या कर ली। मामले की सूचना पुलिस को दे दी गई है। उन्होंने कहा कि किसान लगभग सात महीनों से तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे है लेकिन सरकार इन कानूनों को रद्द करने के लिए कुछ नहीं कर रही है। आंदोलन को कैसे तोड़ा जाए इस तरफ सरकार का ध्यान है। सरकार को चाहिए कि आंदोलन को तोडऩे के लिए नहीं बल्कि किसानों की जो मांग है उनको पूरा करने की तरफ ध्यान दे। आंदोलन अब टूटने की बजाए मजबूत होता जा रहा है।

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