किसान आंदोलन : बुखार-खांसी व जुकाम से ग्रस्त होने लगे है धरने पर बैठे किसान, रोजाना हो रहा दो हजार किसानों का चैकअप

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़। शनिवार अलसुबह हुई बूंदाबांदी के कारण तापमान में एकदम चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। आंदोलन (protest) में शामिल हुए किसानों को कड़कड़ाती ठंड का सामना करना पड़ रहा है। सबसे अधिक बुजुर्ग किसान प्रभावित हो रहे हैं।
ठंड के कारण उनके बीमार होने का सिलसिला भी बढ़ने की आशंका बन गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए गए विशेष कैंपों में प्रतिदिन करीब दो हजार किसानों की जांच के बाद चिकित्सकों द्वारा दवा-परामर्श दिया जा रहा है।
शुक्रवार रात को मौसम ने करवट ली और शनिवार की सुबह होते-होते बूंदाबादी के कारण अधिकतम और न्यूनतम तापमान में 4 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। अचानक ठंड बढ़ने से आंदोलन (protest) में शामिल किसानों पर सर्वाधिक असर पड़ा है। खुली सड़कों पर ट्रॉली व तंबू आदि में बसेरा बनाकर रह रहे किसान कंबल व रजाई में भी सर्दी महसूस कर रहे थे।
किसानों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे चिकित्सकों के अनुसार आंदोलनकारी किसान बुखार के साथ ही सर्दी-जुकाम के ज्यादा शिकार हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्थापित कैंपों में प्रतिदिन करीब दो हजार किसान बीमारी का इलाज करवाने पहुंच रहा है। इनमें बुजुर्ग किसानों की संख्या सबसे अधिक है। चूंकि धरनास्थल पर सर्दी से बचने के कोई खास इंतजाम नहीं हैं। अधिकतर किसान रात को ट्रैक्टर ट्रॉली में सो रहे हैं।
कई ट्रॉली में पराली बिछी हुई है, तो कुछ किसानों ने प्लास्टिक की चादर बिछा रखी है। वे अपने साथ गर्म कपड़े ज्यादा नहीं लाए हैं। एक ट्रॉली में 10 से अधिक किसान ठंड में जैसे-तैसे सो रहे हैं। कुछ किसानों ने प्लास्टिक की तिरपाल से अपनी तिकोनाकार झोपड़ी बनाई हुई है।
जिसमें वे रात गुजारते हैं। हालांकि कई संगठनों द्वारा कुछ किसानों में कंबल बांटे गए। कुछ किसानों के पास गर्म चादर भी पहुंची। लेकिन फिर भी सर्दी से पूरी तरह बचाव नहीं हो पा रहा है। शासन-प्रशासन की ओर से कोविड-19 के संक्रमण से बचाने के लिए मास्क, थर्मल स्कैनिंग, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली टैबलेट व अन्य जरूरी दवाएं बांटी जा रही हैं।
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