2013 में मर चुका किसान पैक्स से खाद और नकदी लेता रहा, भुगतान भी करता रहा, जानें पूरा मामला

2013 में मर चुका किसान पैक्स से खाद और नकदी लेता रहा, भुगतान भी करता रहा, जानें पूरा मामला
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संडील निवासी मेवा सिंह के बेटे बिजेंद्र सिंह ने बताया कि उसका पिता 15 जुलाई 2013 को एक्सपायर हो गया था लेकिन कर्मियों ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर उसके पिता के हस्ताक्षर कर 2013 में 12375 रुपयेे नकद तथा 2013 में ही 4878 की खाद पर हाथ साफ कर गए।

हरिभूमि न्यूज : अलेवा ( जींद)

संडील के किसानों द्वारा कर्मचारियों तथा अधिकारियों पर नकदी तथा खाद के मामले में लगाए घोटाले के आरोपों के चलते पेगा पैक्स मामले की जांच ज्यों-ज्यों आगे बढ़ रही है। वैसे-वैसे कर्मचारियों तथा अधिकारियों के कारनामों की लिस्ट एसआईटी के सामने आ रही है। उस लिस्ट में एक नाम तो ऐसा है जिसको कर्मचारियों ने स्वर्ग से बुलाकर जिंदा दिखाकर नकदी तथा खाद पर हाथ साफ किया है।

संडील निवासी मृतक किसान मेवा सिंह के बेटे बिजेंद्र सिंह ने बताया कि उसका पिता 15 जुलाई 2013 को एक्सपायर हो गया था लेकिन कर्मियों ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर उसके पिता के हस्ताक्षर कर 2013 में 12375 रुपयेे नकद तथा 2013 में ही 4878 की खाद पर हाथ साफ कर गए। मामले को लेकर जब विभाग के उच्चाधिकारियों के पास जाते हैं तो उनके द्वारा पिता की पास बुक न उठाकर उनको चुप रहने के लिए बोल दिया जाता है।

जांच के लिए नहीं बुलाया

कर्मचारियों तथा अधिकारियों द्वारा ऐसे लोगों की चेक बुक सामने लाने का काम किया जाता है। जिनका मामले को लेकर कोई लेना देना नहीं होता है। उसके मृत पिता के नाम से एक बार भी उनको जांच के लिए नहीं बुलाया है। जिसको लेकर परिवार के लोगों में विभाग के प्रति रोष है। अब उसके मृत पिता के कागजात किसानों के माध्यम से एसआईटी को सौंपने का काम किया है। अगर यहां भी परिवार के लोगों को किसी प्रकार का न्याय नहीं मिलता तो परिवार के लोग अदालत के दरवाजे पर जाने पर मजबूर होगें।

किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे : कौशिक

सहायक रजिस्ट्रार जितेंद्र कौशिक ने बताया कि पेगा पैक्स मामले में इस प्रकार का मामला उनके संज्ञान में नहीं था। अगर ऐसा है तो सीधे तौर से धोखाधड़ी का मामला बनता है। शिकायतकर्ता को पुलिस या फिर कहीं ओर जाने की जरूरत नहीं है। उसको सीधे मिल सकता है। किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। इस प्रकार के मामले में सीधे उसकी तरफ से कार्रवाही करवाने का काम किया जाएगा। अगर इस प्रकार के ओर मामले हैं तो उनको भी किसान सीधे उसके पास ला सकते हैं।

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