दम तोड़ रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों का मोह हुआ भंग, जानिए क्या हैं कारण

दम तोड़ रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों का मोह हुआ भंग, जानिए क्या हैं कारण
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फसल बीमा के प्रति किसानों का रूझान कम होने के कारण कृषि विभाग व सरकार की चिंता का बढ़ना स्वाभाविक है। फसल बीमा योजना में अधिकारियों द्वारा गड़बड़ करने और समय पर मुआवजा न मिलने के चलते किसानों ने फसल बीमा से किनारा करने का महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है।

सुरेन्द्र असीजा : फतेहाबाद

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों के साथ गड़बड़झाले व भारी अनियमितताओं के चलते फतेहाबाद जिले में किसानों का फसल बीमा के प्रति मोह भंग होता जा रहा है। जिले के कुल 1 लाख 10 हजार किसान परिवारों में से इस बार मात्र 27 हजार किसान परिवारों ने ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपना बीमा करवाया है। बता दें कि बीते वर्ष खरीफ की फसल में 45 हजार किसानों ने फसल बीमा करवाया था। फसल बीमा के प्रति किसानों का रूझान कम होने के कारण कृषि विभाग व सरकार की चिंता का बढ़ना स्वाभाविक है। फसल बीमा योजना में अधिकारियों द्वारा गड़बड़ करने और समय पर मुआवजा न मिलने के चलते किसानों ने फसल बीमा से किनारा करने का महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है।

फतेहाबाद जिला में 2 लाख 48 हजार हैक्टेयर भूमि पर खेती होती है, जिसमें नरमा व धान की मुख्य फसल है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान प्रीमियम देकर इसमें प्रति एकड़ के हिसाब से फसल बीमा करवाते हैं। वर्ष 2021 तक किसानों के लिए फसल बीमा जरूरी था। केसीसी वाले व अन्य बैंकों के ऋणी किसानों का बीमा प्रीमियम स्वयं ही काट लेते थे। उस समय बैंक व अन्य विभाग किसानों की सहमति नहीं लेते थे। वर्ष 2022 में इसे ऐच्छिक कर दिया गया। यानि अब फसल बीमा के लिए किसानों की सहमति अनिवार्य है। जो किसान बीमा नहीं करवाना चाहते, वह इस बारे बैंक को लिखकर देते हैं कि उनका प्रीमियम न काटा जाए।

जिला में 1 लाख 10 हजार किसान पंजीकृत है। 2021 की खरीफ फसल में इनमें से 45131 किसानों ने ही फसल बीमा करवाया था। शेष किसानों ने या तो बीमा नहीं करवाया या अपना पंजीकरण नहीं करवा पाए। वर्ष 2022 की खरीफ फसल में फसल बीमा करवाने वालों की संख्या में भारी गिरावट आई और यह मात्र 27720 तक सिमट कर रह गई। यानि कि किसानों ने फसल बीमा के प्रति अपना मोह नहीं दिखाया। बीमा करने वाली बजाज अलायंस कम्पनी के अधिकारी भी इसमें कम दोषी नहीं। बता दें कि यहां पिछली खरीफ फसल में किसानों की नरमा की फसल डूब गई थी। बीमा कम्पनी के अधिकारियों ने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर कम नुकसान दिखाया, जिस कारण किसानों को पूरा मुआवजा नहीं मिल पाया। यह अलग बात है कि बाद में प्रशासनिक अधिकारियों की हस्तक्षेप से स्पेशल गिरदावरी हुई तो किसानों को मुआवजा मिला। इस बारे में बजाज अलायंस कम्पनी के कोर्डिनेटर पुनीत से बात की गई तो उनके पास किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी। कोई भी डेटा व जानकारी देने की बजाय उन्होंने इस बारे मुख्यालय से बात करने को कहा।

क्या कहते हैं अधिकारी

वर्ष 2021 में नरमा की फसल खराब हुई तो सरकार ने स्पेशल गिरदावरी करवाई। जिन किसानों ने फसल बीमा करवा रखा था, उन्हें बीमा कम्पनी द्वारा 199 करोड़ रुपये दिए जबकि राजस्व विभाग ने गैर बीमित किसानों को 100 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया। अब किसानों की यह सोच है कि जब बगैर बीमा करवाए मुआवजा मिल रहा है तो वह बीमा क्यों करवाए। इसके अलावा अनेक किसानों ने नरमा में नुकसान को देखते हुए फसल चक्र अपनाया। कई फसलें बीमा योजना में नहीं आती। इसके अलावा इस बार फसल बीमा स्वैच्छिक कर दी गई है। यही कारण है कि इस बारे कम किसानों ने फसल बीमा करवाया है। - राजेश सिहाग, उप कृषि निदेशक, फतेहाबाद

खरीफ में कितने किसानों ने करवाया बीमा

फसल वर्ष 2021 वर्ष 2022

नरमा 25086 19285

धान 19479 8135

बाजरा 521 214

मक्का 35 39

कुल 45131 27720

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